फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, अप्रैल 01, 2015

“मूर्खदिवस पर..चोर पुराण” (चर्चा अंक-1935 )

मित्रों।
अन्तर्राष्ट्रीय मूर्ख दिवस पर 
देखिए कुछ लिंकों की चर्चा।
--

"मूर्ख दिवस पर बुद्धिमानों को समर्पित)  

“मूर्खदिवस पर..चोर पुराण”
कुछ ने पूरी पंक्ति उड़ाई,
कुछ ने थीम चुराई मेरी।
मैं तो रोज नया लिखता हूँ
रोज बजाता हूँ रणभेरी।

चोरों के नहीं महल बनेंगे,
इधर-उधर ही वो डोलेंगे।
उनको माँ कैसे वर देगी,
उनके शब्द नहीं बोलेंगे।... 
--
--

वो दिल जो मैंने माँगा था 

मगर गैरों ने पाया था... 

तुम अपना रंज-ओ-ग़म, अपनी परेशानी मुझे दे दो 
तुम्हे ग़म की कसम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो... 
--
--

भारत यूं ही सोने की चिड़िया नहीं बन गया था ! 

अपना देश सोने की चिड़िया ही क्यूँ कहलाता था इसका जवाब कोई दे न दे पर यह तो सर्वविदित है कि इसके चिड़िया होने का लाभ कई बाजों ने उठाया... 
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा 
--

क्षणिकायें 

ज़िंदगी के थपेड़े 
सुखा देते अहसास 
और मानवीय संवेदनाएं
बना देते पत्थर
और तराश देता समय 
एक बुत जीते जी।
क्या तुमने सुनी है
मौन चीत्कार उसकी
जिसे बना दिया बुत
ज़िंदगी के हालातों ने।... 
Kashish - My Poetry पर Kailash Sharma 
--

एक ग़ज़ल : आप की नज़र 

चेहरे पे था  निक़ाब ,हटाने का शुक्रिया
"कितने कमीन लोग"-बताने का शुक्रिया

अच्छा हुआ कि आप ने देखा न आईना
इलजाम ऊँगलियों पे लगाने का शुक्रिया... 
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक 
--

ये कैसा धंधा है? 

आज इंसान भले ही चाँद पर पहुँच चुका हो, आधुनिकता और विज्ञान अपने चरम सीमा पर हों पर इंसान के लिए भविष्य आज भी एक अनजान पहेली की तरह है ऐसी पहेली जो सुलझती नहीं। हर कोई भविष्य जानना चाहता है, अपने आने वाले कल में जाना चाहता है। भविष्य एक रहस्य है जो बहुत आकषर्क होता है। प्रायः लोग भविष्य जानने का प्रयत्न भी करते हैं बस कोई एक भविष्यवक्ता दिख जाए लोग पहुँच जाते हैं भविष्यवक्ता के चरणों में मानो सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड का विपद इनके हाथों ही लिखा हो... 
वंदे मातरम् पर abhishek shukla 
--

एक स्त्री का प्रश्न है ये ... 

एक मुद्दत हुई 
न अपना कोई धर्म बना पायी 
न ही अपनी कोई जाति 
जबकि पायी जाती है ये 
हर धर्म और जाति में 
क्योंकि संभव नहीं इसके बिना 
सृष्टि की संरचना ... 
vandana gupta 
--

दिलों के खेल में... 

ग़ज़ल या गीत हो अय्यारियाँ नहीं चलतीं 
फ़कत ही लफ्जों की तहदारियाँ नहीं चलतीं... 
वाग्वैभव पर Vandana Ramasingh 
--

सत्य 

खोज सत्य की झूटों ने ही की होगी सच न बोले | 
शक्ति सत्य की जिसने पहचानी है वही ग्यानी ... 
Akanksha पर Asha Saxena 
--
--

जी लेती हूँ 

Sudhinama पर sadhana vaid 
--

व्यंग: पर्चा तो आउट होना ही था !!!! 

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग का पर्चा आउट हो गया और रद्द भी। अब कई आयोग बनेगे , जाँच हुआ करेगी। नतीजा भी निकलेगा मगर महज ढाक के तीन पात... 
बुलबुला Vikram Pratap singh 
--
--
1.आत्मा की तृष्णा 
प्रेम और दुलार 
निश्छल प्यार । 
2-उलझ गया 
चंचल मन मेरा 
देख कर उसे।... 

14 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    आज की लिंक्स कुछ हट कर |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

    जवाब देंहटाएं
  2. Suprabhat !!badhiya charcha !abhar Shastri ji meri kavita ko sthan mila !!

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर सार्थक लिंक्स शास्त्री जी ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार !

    जवाब देंहटाएं

  4. शुभ प्रभात।
    रोचक प्रस्तुति,
    रचनाएँ पसंद आईं। मेरी रचना सम्मिलित करने हेतु कोटिशः आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर लिंक्स .
    मेरी रचना सम्मिलित करने हेतु आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. मूर्ख दिवस
    यानि अपना दिवस
    और इसपर एक
    खूबसूरत चर्चा वाह
    खुश है 'उलूक' भी बहुत
    उसका जिक्र भी
    है अंत में किया हुआ
    आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  7. “मूर्खदिवस पर..चोर पुराण” saari kahani kah dene wala title.

    जवाब देंहटाएं
  8. Very interesting and thought provoking, it is unconventional, frank, satirical and to the point.

    जवाब देंहटाएं
  9. Very interesting and thought provoking, it is unconventional, frank, satirical and to the point.

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....आभार!

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर और रोचक चर्चा...आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. सुंदर चर्चा, सार्थक लिंक्स

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।