मित्रों
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वे लम्हें
वे लम्हें जो कभी
साथ गुजारे थे
सिमट कर
रह गए हैं यादों में
हैं गवाह
उन जज्बातों के
जो धूमिल
तक न हुए हैं...
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फुरसतों का प्यार था हमारा...
तुमने फुरसतों में समझ मुझे,
फुरसतों में पढ़ा मुझे,
मैं हमेशा अपने लिए,
तुम्हारे वक़्त का इन्तजार करती रही,
कि क्या कहूँ की....
फुरस्तो का प्यार था हमारा...
'आहुति' पर Sushma Verm
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यत्र-तत्र बिखरे मोती
अमानत में खयानत की पगार पाकर खुश है जहां सिरफिरा,
यूं कि बदस्तूर जिंदगी का बस यही मजा,बाकी सब किरकिरा,
ज़रा पता तो करो यारों, ये बंदे कश्मीरी सब खैरियत से तो हैं,
बड़े दिनों से घर-आँगन हमारे, कोई पत्थर नहीं आकर गिरा...
यूं कि बदस्तूर जिंदगी का बस यही मजा,बाकी सब किरकिरा,
ज़रा पता तो करो यारों, ये बंदे कश्मीरी सब खैरियत से तो हैं,
बड़े दिनों से घर-आँगन हमारे, कोई पत्थर नहीं आकर गिरा...
अंधड़ ! पर
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
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रिश्ते हैं सब नाम के
[दोहावली]
बेटा कहता बाप से ,फ्यूचर मेरा डार्क।
रास न आये इण्डिया ,जाना है न्यूयार्क...
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आओगे ना!
दिल की दुनिया पुनः बसाने, आओगे ना!
रूठी हूँ तो मुझे मनाने, आओगे ना!
रंग हुए बदरंग, नज़ारों के हैं सारे
नव-रंगों के ले नज़राने, आओगे ना...
कल्पना रामानी
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जिंदगी अब कहाँ
किसी सिरहाने टिकती है।
हर एक रिश्तों की अब
धुंधली सी तस्वीर दिखती है...
किसी सिरहाने टिकती है।
हर एक रिश्तों की अब
धुंधली सी तस्वीर दिखती है...
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अभिव्यक्ति ऑफ फ्रीडम : औरत
मै मर्यादा का अवतार हूँ
मै समझौता का दूजा नाम हूँ
मै मितभाषी का सरोकार हूँ
मै भाइयों का अभिमान हूँ
मै माँ -बाप का दुलार हूँ ..
सादर ब्लॉगस्ते! पर Shashi Pandey
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विकीपीडिया पर देखिये
बरबरीक की कहानी
बर्बरीक महाभारत के एक महान योद्धा थे। वे घटोत्कच और अहिलावती के पुत्र थे। बर्बरीक को उनकी माँ ने यही सिखाया था कि हमेशा हारने वाले की तरफ से लड़ना और वे इसी सिद्धांत पर लड़ते भी रहे। बर्बरीक को कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त थीं, जिनके बल से पलक झपते ही महाभारत के युद्ध में भाग लेनेवाले समस्त वीरों को मार सकते थे। जब वे युद्ध में सहायता देने आये, तब इनकी शक्ति का परिचय प्राप्त कर श्रीकृष्ण ने अपनी कूटनीति से इन्हें रणचंडी को बलि चढ़ा दिया। महाभारत युद्ध की समाप्ति तक युद्ध देखने की इनकी कामना श्रीकृष्ण के वरदान से पूर्ण हुई और इनका कटा सिर अंत तक युद्ध देखता और वीरगर्जन करता रहा...
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
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चर्चा में आने से आनंद आता है जी ! रूप जी
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल की हार्दिक आभार आपका | बहुत उम्दा चर्चा
जवाब देंहटाएंइस उम्दा प्रस्तुति के लिए आभार आपका , शास्त्री जी !
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