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मंगलवार, अगस्त 30, 2016

एक मरे हुए देश की कथा; चर्चा मंच ; 2450


रविकर के 51 दोहेरविकर 
"कुछ कहना है" 

भाषा वाणी व्याकरण, कलमदान बेचैन।
दिल से दिल की कह रहे, जब से प्यासे नैन।।

रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात |
एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात |

अगर वेद ना पढ़ सको, पढ़ो वेदना नित्य ।
कैसे हो मानव सुखी, करो वही फिर कृत्य ||

वक्त कभी भी ना दिया, रहे भेजते द्रव्य |

घड़ी गिफ्ट में भेज के, करें पूर्ण कर्तव्य ||

 सोते सोते भी सतत, रहो हिलाते पैर |
दफना देंगे अन्यथा, क्या अपने क्या गैर || 

बूझे बिरला कोय 

rajeev kumar Kulshrestha 

ग़ज़ल 

कालीपद "प्रसाद" 

एक टुकड़ा धूप का ले आऊंगा ... 

एक टुकड़ा धूप का ले आऊंगा 
जब कभी सूरज से मैं टकराऊंगा 
"सत्य" सच है जान कर जाना नहीं 
दूसरों को किस कदर समझाऊंगा... 
Digamber Naswa 

एक मरे हुए देश की कथा 

vijay kumar sappatti 

फ़िराक़ गोरखपुरी से क्षमा-याचना के साथ 

Gopesh Jaswal 

कश्मीरी अराजकता पर काबू जरूरी 

pramod joshi 

Hockey Pockey, Plain Talk, Double Talk, 

मधुलेखा, कांची....in हैदराबाद ! 

सतीश पंचम 

**~दोहे--अपने देते तोड़! ~** 

Anita Lalit (अनिता ललित ) 

बातों का फ़लसफ़ा 

mahendra verma 

उम्मीदों की सलीब 

मुकेश कुमार तिवारी 

सिर्फ एक दो ईंटों से ही 

udaya veer singh 

एलोरा की गुफ़ाओं की सैर 1994 

ब्लॉ.ललित शर्मा 

---प्रेम तत्वामृत---- डा श्याम गुप्त..... 

shyam gupta 

गीत  

"सूरज आग उगलता जाता" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

धर्म और राजनीति -  

एक पुनर्परिभाषा 

Ravishankar Shrivastava 

google chrome में गलती से 

बंद हुवे टैब को दुबारा खोले 

Faiyaz Ahmad 

बालगीत 

"जोकर" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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जो काम नही कर पायें दूसरे,
वो जोकर कर जाये।
सरकस मे जोकर ही,
दर्शक-गण को खूब रिझाये।

नाक नुकीली, चड्ढी ढीली,
लम्बी टोपी पहने,
उछल-कूद कर जोकर राजा,
सबको खूब हँसाये... 

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर चर्चा।
    बढ़िया लिंक।।
    आपका आभार आदरणीय रविकर जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर मंगलवारीय चर्चा रविकर जी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. समसामयिक सुन्दर चर्चा रविकर जी |

    जवाब देंहटाएं
  4. सार्थक चिंतनशील चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छा साहित्य और जीवन ज्ञान का संग्रहन ।

    जवाब देंहटाएं

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