मित्रों
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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देश भक्ति गीत
"प्राणों से प्यारा है अपना वतन"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जिसकी माटी में चहका हुआ है सुमन,
मुझको प्राणों से प्यारा वो अपना वतन।
जिसकी घाटी में महका हुआ है पवन,
मुझको प्राणों से प्यारा वो अपना वतन।
जिसके उत्तर में अविचल हिमालय खड़ा,
और दक्षिण में फैला है सागर बड़ा.
नीर से सींचती गंगा-यमुना चमन।
मुझको प्राणों से प्यारा वो अपना वतन...
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वो हिन्द का सपूत है..
लहू लुहान जिस्म रक्त आँख में चड़ा हुआ..
गिरा मगर झुका नहीं..पकड़ ध्वजा खड़ा हुआ..
वो सिंह सा दहाड़ता.. वो पर्वतें उखाड़ता..
जो बढ़ रहा है देख तू वो हिन्द का सपूत है..
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नियति
बालकनी में टंगे पिजंरे में बने
छोटे से झूले पर झूलता तोता,
'ट्वी -ट्वी ' कर रहा था।
पास ही पेड़ पर एक तोता भी
'ट्वी -ट्वी ' कर रहा था।
शायद पिंजरे वाला तोता उसी से बतिया रहा था।
पास ही कुर्सी पर बैठी कोमल दोनों की आवाजों में
अंतर को सुन और पहचान रही थी...
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स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
ऐ मेरे वतन के लोगों
तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर न आये
ऐ मेरे वतन के लोगों
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी...
Computer Tips & Tricks
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