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मंगलवार, अगस्त 23, 2016

धरती धरती गर धीर नहीं: चर्चा मंच 2443

वह सागर सा गर शांत नही 
रविकर
 "कुछ कहना है" 
धरती धरती गर धीर नहीं, सहती रहती यदि पीर नही । 
वह सागर सा गर शांत नही, नटनागर सा गमभीर नही। 
जल वायु नहीं फलफूल नहीं, मिलते जड़ जीव शरीर नहीं।  कर शोषण दोहन मानव तो पहुँचाय रहा कम पीर नहीं। 
कालीपद "प्रसाद"  
गगन शर्मा 

एक सुझाव 

अगली बार मिलते हैं टोक्यो ओलिम्पिक में' इस वादे के साथ ओलिम्पिक का महाकुम्भ समाप्त और रियो से विदा हुए |* *117 प्रतियोगी, दो पदक और 67 वाँ स्थान !!! किसी की कोई आलोचना नही न इस लायक हूँ में लेकिन एक सुझाव कि खिलाड़ियों से आशा रखे तो उन्हें सुविधाएं भी दी जाए उन्हें आज से ही चार साल बाद के लिए तैयार किया जाए खेल में मर रही खेल भावना को जीवित रखने के उपाय किये जाए... 
अरुणा  

...लो बूटी और बेस 

हमारे गीतों में शामिल हो गए 

Kulwant Happy  

ईर्ष्या और प्रतिद्वंद्विता की पराकाष्ठा है 

नरसिंह यादव का 

रियो ओलिंपिक में बैन होना 

haresh Kumar 

क्या राष्ट्रीय बनेगा दलित प्रश्न? 

pramod joshi 

झपट्टा देख सियासत में..... 

रमेशराज 

yashoda Agrawal 

आलस वाला भूत! 

anamika singh 

कार्टून :-  

मैडल की क्या बि‍सात 

Kajal Kumar 

किसानों को खूब ठगा ---- 

रणधीर सिंह सुमन 

Randhir Singh Suman 

चिंता ताकि कीजिये जो अनहोनी होय , 

ए मारग संसार को नानक थिर नहीं कोय। 

Virendra Kumar Sharma 

तीरथगढ़ जलप्रपात बस्तर 

ब्लॉ.ललित शर्मा 

गीत  

"बहुत कठिन जीवन की राहें" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

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