मित्रों
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाऔं के साथ।
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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चुपके से मन पोट ली, ली पोटली तलाश |
यादों के पन्ने पलट, पाती लम्हे ख़ास |
पाती लम्हे ख़ास, प्रेम पाती इक पाती |
कोरा दर्पण-दर्प, और फिर प्रिया अघाती |
शंख सीप जल रत्न, कौड़ियां गिनती छुपके |
मन के मनके जोड़, विहँसती चुपके चुपके ||
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धरती धरती गर धीर नहीं, सहती रहती यदि पीर नही ।
वह सागर सा गर शांत नही, नटनागर सा गमभीर नही।
कर शोषण दोहन मानव तो पहुँचाय रहा कम पीर नहीं।
जल वायु नहीं फलफूल नहीं, मिलते जड़ जीव शरीर नहीं।|
वह सागर सा गर शांत नही, नटनागर सा गमभीर नही।
कर शोषण दोहन मानव तो पहुँचाय रहा कम पीर नहीं।
जल वायु नहीं फलफूल नहीं, मिलते जड़ जीव शरीर नहीं।|
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प्रलय...
नहीं मालूम कौन ले गया
रोटी को और सपनों को
सिरहाने की नींद को
और तन के ठौर को
राह दिखाते ध्रुव तारे को
और दिन के उजाले को
मन की छाँव को
और अपनो के गाँव को...
डॉ. जेन्नी शबनम
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क़ाज़ी करे फ़रेब ....
क़ाज़ी करे फ़रेब तो अल्लाह क्या करे
इक मर्द दूजे मर्द को आगाह क्या करे....
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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अच्छे दिन
अच्छे दिन की सबकी परिभाषा हो सकती है
मेरे लिए सबसे अच्छा रहा
शपथ ग्रहण के बाद मोदीजी का
गंगा आरती में शामिल होना...
अरुणा
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सहिष्णुता के सबसे बड़े पैरोकार
डाल देते हैं नमक
अपने विरोधियों की लाशों पर ...
चमक उठती हैं उनकी आँखे
जब जंगल के भीतर
रेत दी जाती है गर्दनें
Neeraj Kumar Neer
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