मित्रों
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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गीत
"जग उसको पहचान न पाता"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
वो अनुगामी होगा कैसे?
जो सबके पथ का निर्माता।
ज्ञान-कर्म का मर्म बताता,
जीवन की भाषा समझाता।।
चन्दा में भी गरमी भर दे,
सूरज को भी शीतल कर दे,
जहाँ न पहुँचे रवि की किरणें,
लेकिन वो पल में हो आता।
ज्ञान-कर्म का मर्म बताता,
जीवन की भाषा समझाता...
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बारिस
भोर की बारिस कान में कुछ गुनगुना गयी
हौले से नींद मेरी चुरा ले गयी...
RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL
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सुदामा के कृष्ण
हे कृष्ण!
आज भी हैं कालिया नाग
आज भी दरिद्र हैं सुदामा पाण्डे
महुअर का मंत्र फूँक
कुछ नई लीला कर...
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गाय, कांवड़ और मोदी सरकार...
खुशदीप
शनिवार 7 अगस्त को दो बयान सामने आए...एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एक विपक्षी नेता शरद यादव का...शरद जेडीयू से जुड़े हैं, जिस पार्टी ने लंबे समय तक एनडीए में बीजेपी से गलबहियां करने के बाद बिहार चुनाव से ऐन पहले अलग रास्ता पकड़ लिया था...विद ड्यू रिस्पेक्ट टू सुशासन बाबू नीतीश कुमार... हां तो मुद्दे की बात पर आता हूं...पीएम मोदी जी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की तर्ज़ पर ‘टाउन’ में जनता के कथित सवालों का जवाब दे रहे थे...इसी कार्यक्रम में गोरक्षकों को लेकर मोदी ने कहा कि इनमें से 80 फीसदी के करीब लंपट हैं जो रात को उल्टे-सीधे काम करते हैं और सुबह गोरक्षक का चोला पहन लेते हैं......
देशनामा पर Khushdeep Sehgal
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चरागों में ढूढ़ता है
चरागों में ढूढ़ता है रोशनी यारों।
ख़ुद से कितना दूर है आदमी यारों।।
क्यूं ख़याल इतना क्यूं तड़प इतना है।
बस चार दिन की है जिंदगी यारों...
आपका ब्लॉग पर
Sanjay kumar maurya
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रस्मी बादल
फिर लौट आया है वो कारवां बदलो का,
जो रुखसत हो जाता है जाने कैसे
बिन बरसे ही इन राहों से...
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किसी की याद के सावन जब आहें भरते हैं।
हम आँसुओं के हिंडोलों में ऐश करते हैं॥
हवा सिसकती है अब्रों की ओट में छुप कर।
तुम्हारे लम्स का जब उस से ज़िक्र करते है...
हम आँसुओं के हिंडोलों में ऐश करते हैं॥
हवा सिसकती है अब्रों की ओट में छुप कर।
तुम्हारे लम्स का जब उस से ज़िक्र करते है...
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