फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, जुलाई 30, 2018

"झड़ी लगी बरसात की" (चर्चा अंक-3048)

सुधि पाठकों!
सावन के प्रथम सोमवार  की चर्चा में 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--

अब तो आजा पिया 

​ये धड़के मेरा, यह नाजुक जिया  
आया सावन यह आया , 
आया मस्ती भरा । 
ओ रे पिया ,आजा रे पिया... 
Hindi Kavita Manch पर  
ऋषभ शुक्ला  

निजाम का स्वर्ण दान ! 

अभी पिछले दिनों फिर एक बार 65 के युद्ध के बाद भारत सरकार को हैदराबाद के निजाम द्वारा स्वर्ण दिए जाने की बात चर्चा में रही थी। बात ठीक थी, समय पर देश को आर्थिक सहारा भी मिला था पर सारे घटनाक्रम पर एक सवाल भी अपना सर उठाता है कि अचानक भारत विरोधी, पाक परस्त, अत्यंत कजूंस माने जाने वाले निजाम में ऐसा बदलाव कैसे आ गया ? उसकी सोच कैसे बदल गयी ? कौन सी ऐसी परिस्थितियां थीं, कैसे हालात थे जो उसे देश की भलाई की याद आई ?
#हिन्दी_ब्लागिंगइतिहास के पन्ने पल्टे जाएं तो पता चलता है कि  जिस समय भारत में ब्रिटिश शासन ख़त्म हुआ, उस समय यहाँ के 562 रजवाड़ों में से सिर्फ़ तीन को छोड़कर सभी ने भारत में विलय का फ़ैसला कर लिया था। ये तीन रजवाड़े थे कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद। कश्मीर और जूनागढ़ देश की सीमाओं पर स्थित थे, उनकी सरहदें पहाड़ों और समुद्र तट को छूती थीं पर हैदराबाद, जो एक विशाल और सम्पन्न रियासत थी, चारों ओर से भारत से घिरा हुआ था। उसका स्वतंत्र रहना या पकिस्तान में मिलना, देश के लिए खतरनाक साबित हो सकता था। पहले दो का तो कुछ जद्दोजहद के बाद भारत में विलय हो गया पर हैदराबाद मुसीबतें खड़ी करता रहा। उस समय हैदराबाद की आबादी का अस्सी फ़ीसदी हिंदू लोग थे जबकि अल्पसंख्यक होते हुए भी मुसलमान प्रशासन और सेना में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन थे... 
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा 
--
--
--
--
--
--

अविश्वास प्रस्ताव का शब्दकोशीय मतलब 

अविश्वास प्रस्ताव का शब्दकोशीय मतलब यह एक ऐसा कथन या वोट है जो किसी व्यक्ति ,व्यक्ति समूह के खिलाफ इस बिना पर लाया जाता है के वह अपने निर्धारित कर्तव्य कर्म को अंजाम नहीं दे रहा है/रहें हैं, के उसके फैसले समूह के शेष सदस्यों के अनुसार बेहद की नुकसानी पैदा कर रहे हैं। सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का गंभीर अर्थ होता है यह एक गंभीर मसला होता है जो खुलासा करता है के सरकार पूरी तरह नाकारा हो गई है उसके तमाम फैसले देश को नुक्सान पहुंचा रहे हैं... 
Virendra Kumar Sharma  
--

दुनिया की नज़रों में...। 

दुनिया की नज़रों में ,शराफ़त का लबादा ओढ़ लेते हैं।  
बड़ी सफ़ाई से अपनी ,हक़ीक़त से मुंह मोड़ लेते हैं... 
kamlesh chander verma 
--

आदत..  

श्यामल सुमन 

मेरी यही इबादत है।  
सच कहने की आदत है।।  
मुश्क़िल होता सच सहना तो।  
कहते इसे बग़ावत है... 
yashoda Agrawal  
--
--

"पूज्य पिता जी आपका, वन्दन शत्-शत् बार"  

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

पूज्य पिता जी आपको श्रद्धापूर्वक नमन।
2014 में आज ही के दिन आप विदा हुए थे।
पूज्य पिता जी आपकावन्दन शत्-शत् बार।
बिना आपके हो गयाजीवन मुझ पर भार।।
--
एक साल बीता नहींमाँ भी गयी सिधार।
बिना आपके हो रहादुखी बहुत परिवार।।
--
बचपन मेरा खो गयाहुआ वृद्ध मैं आज।
सोच-समझकर अब मुझे, करने हैं सब काज।।
--
जब तक मेरे शीश पररहा आपका हाथ।
लेकिन अब आशीष काछूट गया है साथ।।
--
प्रभु मुझको बल दीजिएउठा सकूँ मैं भार।
एक-नेक बनकर रहेमेरा ये परिवार।।

7 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक चर्चा।
    सावन के प्रथम सोमवार की बधाई हो।।

    जवाब देंहटाएं

  2. हरियाली होती सदा, धरती का परिधान ।
    बारिश के जलपान से, खुश होते हैं धान।।

    आज धरा को हो रहा, सुंदर सा आभास।
    बादल अंबर के सभी, तोड़ चुके संन्यास।।

    झड़ी लगी बरसात की, छाता रक्खो पास।
    दुख में जो भी साथ दे, समझो उसको खास ।।
    बहुत अर्थ गर्भित दोहावली राधे के संसार की।

    राधा नागर देख कर हर्षित होते कृष्ण ,

    होता इस आनंद से तन मन पूरन तृष्ण।

    जवाब देंहटाएं
  3. पिता एक निस्वार्थ छाता जिसकी छाँव और आश्रय से बाहर होते ही व्यक्ति नितांत अकेला आश्रयहीन रह जाता है। फिर भी पिता एक श्री राम सबके हर दम राम। हमें अपनी शरण में ले लो राम।

    जवाब देंहटाएं
  4. श्रावणी सोमवार की बधाई..सदा की तरह चर्चा मंच की सुंदर प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।