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रविवार, दिसंबर 09, 2018

"कल हो जाता आज पुराना" (चर्चा अंक-3180)

मित्रों! 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।  
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।  
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दोहे  

"दोनों बहने साथ"  

राधा तिवारी "राधेगोपाल "

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दिसम्बर ने दौड़ना शुरु कर दिया तेजी से  

बस जल्दी ही साल की बरसी मनायी जायेगी 

सुशील कुमार जोशी - 
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झर उठते तुम अश्रु-सुमन क्यूँ हर बार ..... 

deepshikha70 
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कलकल नदिया है बही,  

छमछम चली बयार - 

कुंडलिया 

ऋता शेखर 'मधु'  
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गूँज शहनाई की... 

Anita Saini 
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मंटो :  

पूरे हीरो की अधूरी कहानी  

Manto movie review

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पहले मिलन का एहसास 

प्यार पर 
Rewa tibrewal  
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कुदरत और इंसान :  

एक करिश्मा  

( विडीओ देखे ) 

AAWAZ पर SACCHAI 
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अभिव्यक्ति की तृष्णा अतृप्त है  

तुम्हारे बिना. 

घर आँगन में चहकते,  
माटी की गंध सँजोये  
वे महकते शब्द, 
कहाँ खो गये !  
सिर-चढ़े विदेशियों की भड़कीली भीड़ में ,  
अपने जन कहाँ ग़ायब हो गये... 
प्रतिभा सक्सेना 
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चेहरे पर दिखाई देते भाव 

 चेहरे पर भाव विषाद के 

किसी को क्या दिखाना 
साथ में हंसता खिलखिलाते 
चहरे की झंडी 
हाथ में लिए घूमते 
कोई नहीं जानता किस लिए ?
दो भाव एक साथ क्यूँ ...
Akanksha पर Asha Saxen 
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धीरे धीरे मरना 

ब्राजील की प्रसिद्द कवयित्री  
मार्था मेडिएरोस की एक कविता -  
धीरे धीरे मरना  
Arun Roy  
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पुरखों का इतिहास 

बिछुड़ गया हूं खुद से।  
तभी से, जब डाला गया था, इस झुंड में।  
चरने को, विचरने को, धंसने को,  
फंसने को, रोने को, हंसने को... 
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कार्टून :-  

एक नेता की मौत 

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सार्थक.... 

सरोज दहिया 

मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal  

8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात आदरणीय
    बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति👌
    शानदार रचनाएँ, सभी रचनकारों को हार्दिक शुभकामनायें,
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए सह्रदय आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात उम्दा प्रस्तुति |मेरी रचना शामिल करने के लिए धनुवाद |

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर रविवारीय चर्चा प्रस्तुति। आभार आदरणीय 'उलूक' के पन्ने को भी चर्चा में स्थान देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर चर्चा बेहतरीन लिंको के साथ

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर रविवारीय चर्चा ,ये तो अजूबा है पोस्ट को स्थान देने के लीये आभार आदरणीय

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर चर्चा, बेहतरीन लिंक। बधाई और आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. सार्थक सूत्रों के साथ व्यवस्थित चर्चा|
    आभार आदरणीय मधुर गुंजन को स्थान देने के लिए|

    जवाब देंहटाएं
  8. तमाम अशआर अपना वजन और अर्थ मुखरित कर रहें हैं बे -पर्दा हो :
    तरुवर पत्ते को समझाए
    अभी है आना, अभी है जाना ,
    अभी नया है अभी पुराना।
    veerujan.blogspot.com
    veerusa.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं

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