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Friday, March 15, 2019

दोहे "होता है अनुमान" (चर्चा अंक-3275)

मित्रों।
प्रस्तुत है कुछ पोस्टों की चर्चा।
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" 
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आज मैंने अपनी नज़र से ये चिट्ठे चुने हैं। 
आप भी इन पर दृष्टिपात कर लें।
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दोहे  

"होता है अनुमान"  

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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मानवता

गूँगी गुड़िया पर Anita saini- 
अनाज के कुछ दानें पक्षिओं के  
हिस्सें में जाने लगे,  
अपने हिस्सें की एक रोटी  
गाय को खिलाने लगे...
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पहचान............. 

डॉ. सुरेन्द्र मीणा 

yashoda Agrawal  
वो गाँव का पगडंडी, 
वो पक्षियों का कलरव, 
वो चहलकर करते 
घर के आँगन में 
नन्हें-से मेमने... 
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मुक़म्मल मोहब्बत की दास्तान। 

रात में नीले स्याही से  
तुम्हारा नाम लिखने की कोशिश करता रहा,  
लेकिन तुम्हारा नाम धुंधला नज़र आ रहा था।  
शायद स्याही भी बेवफ़ाई कर रही थी,  
बिल्कुल तुम्हारी तरह... 
Nitish Tiwary 
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अब तो दिल बहला रखा है 

चंद रोज़ की मुश्किल थी, अब तो दिल बहला रखा है  
तेरे जाने के बाद ग़म को अपने पास बुला रखा है।  

जैसे तू ही है मेरी बाँहों में, यूँ समझता हूँ  
तेरी याद को कुछ ऐसे सीने से लगा रखा है... 
Sahitya Surbhi पर 
Dilbag Virk  
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आज बस इतना ही.....!

5 comments:

  1. सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
    मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
    सादर नमन

    ReplyDelete
  3. बेहतरीन लिनक्स की चर्चा ..... मुझे स्थान देने का आभार

    ReplyDelete
  4. सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    ReplyDelete

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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