मित्रों।
प्रस्तुत है कुछ पोस्टों की चर्चा।
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
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आज मैंने अपनी नज़र से ये चिट्ठे चुने हैं।
आप भी इन पर दृष्टिपात कर लें।
--आप भी इन पर दृष्टिपात कर लें।
दोहे
"होता है अनुमान"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मानवता
अनाज के कुछ दानें पक्षिओं के
हिस्सें में जाने लगे,
अपने हिस्सें की एक रोटी
गाय को खिलाने लगे...
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पहचान.............
डॉ. सुरेन्द्र मीणा
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मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal
वो गाँव का पगडंडी,
वो पक्षियों का कलरव,
वो चहलकर करते
घर के आँगन में
नन्हें-से मेमने...
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तो चंद्रशेखर के बहाने
बनारस को दलित हिंसा में धधका कर
विपक्ष नरेंद्र मोदी को मात देगा
सरोकारनामा पर
Dayanand Pandey
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मुक़म्मल मोहब्बत की दास्तान।
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रात में नीले स्याही से
तुम्हारा नाम लिखने की कोशिश करता रहा,
लेकिन तुम्हारा नाम धुंधला नज़र आ रहा था।
शायद स्याही भी बेवफ़ाई कर रही थी,
बिल्कुल तुम्हारी तरह...
Nitish Tiwary
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अब तो दिल बहला रखा है
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चंद रोज़ की मुश्किल थी, अब तो दिल बहला रखा है
तेरे जाने के बाद ग़म को अपने पास बुला रखा है।
जैसे तू ही है मेरी बाँहों में, यूँ समझता हूँ
तेरी याद को कुछ ऐसे सीने से लगा रखा है...
Dilbag Virk
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युद्धोंमाद और विपक्ष को
देशद्रोही बताने से पाकिस्तान को लाभ -----
कुमार प्रशांत
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क्रांति स्वर पर
विजय राज बली माथुर
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आज बस इतना ही.....!
सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
सादर नमन
बेहतरीन लिनक्स की चर्चा ..... मुझे स्थान देने का आभार
जवाब देंहटाएंसदा की तरह उम्दा चर्चा !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
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