मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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युद्ध
1.
आसमान में जब
गुर्रा रहे होते हैं
तरह तरह के
लड़ाकू जहाज
तोप के बरसते गोलों से
जब दहलते हैं पहाड़
इस बीच जब मां के स्तनों से मूंह लगाये बच्चा
जब मुस्कुरा उठता है
झुक जाता है शीश
दुनिया भर के राज्याधीशों का....
सरोकार पर Arun Roy
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नियति बन महके
शब्द मधुर हो जन मानस के
दिखा नियति ऐसा कोई खेल
करुण ह्रदय से सींचे प्रीत को
फले फुले प्रीत की बेल |
प्रज्वलित हो दीप ज्ञान का
साँझ की मधुर निश्छल छाया में
ढुलकता मोह मनुज नयन से
निर्जन मानवता महके प्रीत में...
दिखा नियति ऐसा कोई खेल
करुण ह्रदय से सींचे प्रीत को
फले फुले प्रीत की बेल |
प्रज्वलित हो दीप ज्ञान का
साँझ की मधुर निश्छल छाया में
ढुलकता मोह मनुज नयन से
निर्जन मानवता महके प्रीत में...
गूँगी गुड़िया पर Anita saini
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जोश
जब तक होश है।
रग-रग में जोश है।
जिगर में
जोश के बुलबुले नहीं ,
जोश के जुगनू भी नहीं
जो पलक झपकने तक ही
मौजूद रहें...
रग-रग में जोश है।
जिगर में
जोश के बुलबुले नहीं ,
जोश के जुगनू भी नहीं
जो पलक झपकने तक ही
मौजूद रहें...
noopuram
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बुलाता है मुझे वो पास अपने......
महेशचंद्र गुप्त 'ख़लिश'
कहे दुनिया सनम से दूर रहना
मुझे तनहा नहीं मंजूर रहना
दिया है प्यार हमने प्यार ले कर
किसी का किसलिए मश्कूर रहना...
मेरी धरोहर पर Digvijay Agrawal
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दाद देना जुगनुओं की हिम्मत को
अब क्या कहेंगे आप, इस आदत को
ग़लतियाँ ख़ुद की, कोसा क़िस्मत को।
तमाम चीजें बेलज़्ज़त हो गई
पाया जिसने इश्क़ की लज़्ज़त को...
कुछ सेक्युलर मित्रों ने कहा कि युद्ध की बात न हो। हम भी जानते है कि
जवाब देंहटाएंमानव जीवन वैसे ही दर्द से भरा है। उसमें भी यह हिंसा और प्रतिकार का उन्माद,घृणा का भाव एवं राजनीति ..?
फिर भी युद्ध और चुनौती से पीछे कैसे हट सकते हैं!
पथिक को मंच पर सम्मान देने के धन्यवाद शास्त्री सर।
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स से सजा चर्चामंच |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्रीजी.
जवाब देंहटाएंसबके मन में भाव उमड़ रहे हैं.
सभी वीरों का आभार व्यक्त कर रहे हैं.
लोग तो वही थे.
बुनियाद ही बुरी थी.
इति.
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंशानदार रचनाएँ, मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आदरणीय
सादर