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कुछ और नहीं हमी की तरह है
कुछ और नहीं हमी की तरह है
ये जिंदगी जिंदगी की तरह है
यों न झुका सर हर चौखटों पर
ये आदत बंदगी की तरह है...
आपका ब्लॉग पर
sanjay kumar maurya
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"रावण पुष्ट होकर पल रहा"
देश में केवल हमारे,
आज पुतला जल रहा,
दुष्ट रावण तो दिलों में,
पुष्ट होकर पल रहा,
आओ सच्चा पथ दिखाएँ,
स्वयं को परिवार को।
बाँट दें सारे जगत में,
सत्य के उपहार को।।
आज पुतला जल रहा,
दुष्ट रावण तो दिलों में,
पुष्ट होकर पल रहा,
आओ सच्चा पथ दिखाएँ,
स्वयं को परिवार को।
बाँट दें सारे जगत में,
सत्य के उपहार को।।
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मुकुट रँग रँगीले
यात्रानामा पर
parmeshwari choudhary
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ग़ज़ल को उम्दा रखेंगे।
Nitish Tiwary
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विपक्षी के प्रति राजनीतिक निर्ममता ------
शिव प्रसाद जोशी / आरफा खानम शेरवानी
क्रांति स्वर पर
विजय राज बली माथुर
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जिन्हें चम्बल में रहना था
वे अब संसद में रहते हैं
किसी ने ठीक ही कहा है। हमारे जनप्रतिनिधि ऐसे हैं। इन्हें जनता ने अपना प्रतिनिधि बनाकर संसद और विधानसभा में भेजा है। अब वक़्त आ गया है इन्हें जेल भेजा जाए। अपने-अपने कार्यों के अनुरूप...
वंदे मातरम् पर
abhishek shukla
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जो जनता ने करना है वो खुद कर ले रहे हैं सेवक। सुन्दर जूता चर्चा। आभार आदरणीय 'उलूक' के छींकने को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा। मेरी ग़ज़ल को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सूत्र ! मेरी रचना को आज के मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आदरणीय
सादर
बेहतरीन लिंक्स संयोजन के साथ उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं