मित्रों !
आप सबके अवलोकनार्थ
मैं अपनी दूसरी चर्चा
चर्चा मंच पर लगा रही हूँ
अनीता सैनी
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आलेख
"निष्पक्ष चुनाव के लिए"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
आज सारी दुनिया भारत को सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश के रूप मे जानती है। परन्तु इस लोकतन्त्र का घिनौना चेहरा अब लोगों के सामने आ चुका है।
क्या आपने किसी निर्धन और ईमानदार व्यक्ति तो चुनाव लड़ते हुए देखा है...
बहुत सुंदर प्रस्तुति अनिता जी, तमाम विषयों को चर्चा मंच के पटल पर रखा। पथिक आँसुओं को भी सम्मान दिया।
जवाब देंहटाएंऔर बड़ा सवाल ...
क्या किसी गरीब और ईमानदार व्यक्ति को चुनाव लड़ते देखा है ?
ऐसे लोगों को न तो कोई बड़ी राजनैतिक पार्टी टिकट देती है और यदि छोटे दल से खड़े भी हो जाएं, तो जनता की अदालत में उपहास करा बैठते हैं अपना।
जीवन भर की कमाई चंद वोटों में सिमट जाती है।
प्रणाम।
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है अनीता सैनी दी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति अनीता जी । हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआभार
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाओं का संकलन
आभार आदरणीया मुझे यहाँ जगह देने के लिए
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति अनिता जी सभी लिंक शानदार सभी रचनाकारों को बधाई एंव आपको बधाई इस सुन्दर संकलन के लिए।
जवाब देंहटाएंमुझे चर्चा में शामिल किया इस हेतु बहुत सा स्नेह आभार।
सहृदय आभार आप सभी का चर्चा में पहुँचे और चर्चामंच की शोभा बढ़ाई |
जवाब देंहटाएंउम्मीद है आप स्नेह और साथ यूँही बना रहेगा
सादर
देर से आने के लिए खेद है, सुंदर प्रस्तुति, आभार !
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