मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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अकविता
"विकास के पूत"
पढ़े-लिखों के आका
रिश्वत के दूत
विकास के पूत...
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लोकतंत्र नहीं, लहर तंत्र है..
चुनाव में मात्र 25 दिन बचे हैं। जो नेता जी आएंगे वे कौन-कौन से गांव जा पाएंगे? सोच कर देखिए! गांव अगर जाएंगे भी तो क्या वे किसानों का दर्द सुन सकेंगे...
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साबुत लाल मिर्च की सूखी चटनी
जो दो महिने तक भी
ख़राब नहीं होती!

उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
सुन्दर चर्चा ।
जवाब देंहटाएंनमस्कार, उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर
Sastri ji sab khairiyat hai na
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