मित्रों!
मंमलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
आलेख
"माँ पूर्णागिरि का मेला"
होली के समाप्त होते ही माँ पूर्णागिरि का मेला प्रारम्भ हो जाता है और भक्तों की जय-जयकार सुनाई देने लगती है!
मेरा घर हाई-वे के किनारे ही है। अतः साईकिलों पर सवार दर्शनार्थी और बसों से आने वाले श्रद्धालू अक्सर यहीं पर विश्राम कर लेते हैं...
मेरा घर हाई-वे के किनारे ही है। अतः साईकिलों पर सवार दर्शनार्थी और बसों से आने वाले श्रद्धालू अक्सर यहीं पर विश्राम कर लेते हैं...
--
हर कोई
किसी गिरोह में है
फिर कैसे कहें
आजादी के बाद
सोच भी आज
आजाद हो गयी है
उलूक टाइम्स पर
सुशील कुमार जोशी
--
--
--
--
ये कैसे बोल.....
*चुनाव का मौसम है ! हर पार्टी स्वयं को तीसमारखाँ और विरोधी को एकदम तुच्छ एवं निकृष्ट सिद्ध करने में प्राणप्रण से जुटी हुई है ! लेकिन क्या किसी पर कटाक्ष करते समय शिष्टता और मर्यादा का पालन करने का दायित्व केवल आम जन का ही होता है...
Sudhinama पर
sadhana vaid
--
--
610.
परम्परा
मैं उदासी नहीं चाहती थी
मैं तो खिलखिलाना चाहती थी
आजाद पंक्षियों-सा उड़ना चाहती थी
हर रोज नई धुन गुनगुनाना चाहती थी
और यह सब अनकहा भी न था...
डॉ. जेन्नी शबनम
--
--
शब्दों में भावों की आकांक्षा :
कलम और कला के अंतर्गत
दैनिक जागरण में चर्चा
शब्द-शिखर पर
Akanksha Yadav
--
मैं शराब हूँ
लोग कहते हैं मैं खराब हूँ।
खराबी मुझमें नहीं,
पीने वालों की सोच में है।
छक कर पीना,
खोना होश में है...
मन के वातायन पर
जयन्ती प्रसाद शर्मा
--
हरसिंगार की लालिमा ....
श्वेता सिन्हा
उँघती भोर में
चिड़ियों के कलरव के साथ
आँखें मिचमिचाती ,अलसाती
चाय की महक में घुली
किरणों की सोंधी छुअन...
मेरी धरोहर पर
yashoda Agrawal
--
--
अरे “शिट” आखरी सिगरेट भी पी ली ...
सुनों छोड़ो चलो अब उठ भी जाएँ
कहीं बारिश से पहले घूम आएँ
यकीनन आज फिर इतवार होगा
उनीन्दा दिन है, बोझिल सी हवाएँ...
Digamber Naswa
--
मेघ - दूत :
अप्रैल की एक ख़ुशगवार सुबह
सौ प्रतिशत सम्पूर्ण लड़की को देखने पर :
हारुकी मुराकामी :
सुशांत सुप्रिय
समालोचन पर arun dev
--
--
सुन्दर चर्चा। आभार आदरणीय 'उलूक' की बकबक को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत ही विस्तृत चर्चा है आज की ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए ...
उम्दा चर्चा
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
कलम बीमार नहीं होगी.
जवाब देंहटाएंशायद कुछ सोच रही होगी.
बिना सोचे-समझे जो लिखती है
तो प्रलय हो जाती है ना.
चर्चा की विविधता को नमस्कार.
और सचमुच चोर से भला चौकीदार !
इसलिए मैं भी हूँ चौकीदार.
व्यस्तता के कारण आज ना कुछ पढ़ पाई ना देख पाई! आज की चर्चा में मेरे आलेख को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएं