Followers



Search This Blog

Saturday, March 23, 2019

"गीत खुशी के गाते हैं" (चर्चा अंक-3283)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--

गीत  

"सबके मन को भाते हैं"  

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

जब-जब आती मस्त बयारें,
तब-तब हम लहराते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
गीत खुशी के गाते हैं।।

हमसे ही अनुराग-प्यार है,
हमसे है मधुमास जुड़ा,
हम संवाहक सम्बन्धों के,
सबके मन को भाते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
गीत खुशी के गाते हैं... 
--

दोहे  

विश्व जल दिवस  

"पानी को लाचार"  

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

पुस्तक समीक्षा ।  

आशा की किरणें ।  

सत्यप्रकाश भारद्वाज ।  

समीक्षाकार: दिलबागसिंह विर्क 

Chandresh  

होली का हुड़दंग ! 

बालकहानी 

बालकुंज पर सुधाकल्प  

न तो सवाल पूछने वाला विपक्ष राष्ट्रविरोधी है,  

न ही हिंदूराष्ट्र-वादी राष्ट्रवाद के एकमात्र संरक्षक हैं   

सी.पी. भांबरी 

विजय राज बली माथुर 

लोक, जीवन और प्रतिरोध के कवि केदार नाथ सिंह,  

प्रस्तुति : कौशल किशोर 

Santosh Chaturved 

देश का बागवां सशक्त है 

सखी! चुनाव ऋतु आ गयी। अपने-अपने दरवाजे बन्द कर लो। आँधियां चलने वाली है, गुबार उड़ने वाले हैं। कहीं-कहीं रेत के भँवर बन जाएंगे, यदि इस भँवरजाल में फंस गये तो कठिनाई में फँस जाओंगे। पेड़ों से सूखे पत्ते अपने आप ही झड़ने लगेंगे। जिधर देखों उधर ही पेड़ पत्रविहीन हो जाएंगे। सड़के सूखे पत्तों से अटी रहेगी, चारों तरफ सांय-सांय की आवाजें आने लगेगी। पुष्प कहीं दिखायी नहीं देंगे, बस कांटों का ही साम्राज्य स्थापित होगा। इस ऋतु को देश में पतझड़ भी कहते हैं, लेकिन चुनाव की घोषणा के साथ ही देश में पतझड़ रूपी यह चुनाव-ऋतु सर्वत्र छाने लगती है... 
smt. Ajit Gupta  
मैं हूँ पागल, मैं हूँ नादान

यह जंग है इसमें क्या उम्मीद-ए-अतफ़ 

Shyam Bihari Shyamal 

भीगी चुनरी चोली 

shashi purwar 

अच्छे दिन की आस में 

जोगीरा सारा रा रा रा-2  
[होली के कुछ रंग, हास्य-व्यंग के संग]  
16.  
जुड़ता कुनबा देखते, रघुवर हैं बेचैन  
अरसे से हेमंत की, सत्ता पर है नैन  
जोगीरा सारा रा रा रा ... 
Himkar Shyam  

।।भगवान सब देखता है।। 

आज ही नहीं पता नहीं कब से मानव मन सोचता है। 
मेरा मन तन दिल दिमाग जेहन बार-बार ई सोधता है... 
Girijashankar Tiwari  

रंग तो प्रिय .... 

नीला -काला -बैगनी, रंग न ये तुम लगाना ,  
ये तो सारे अंधियारा लाते !  
लाल-गुलाबी-हरा औ पीला  
ये ही सब मनभाते हैं  
सबके शगुन बन खुशियाँ फैला जाते हैं... 
झरोख़ा पर 
निवेदिता श्रीवास्तव  

609.  

रंगों की होली  

(10 हाइकु) 

1.   
रंगो की होली   
गाँठ मन की खोली   
प्रीत बरसी।   

2.   
पावन होली   
मन है सतरंगी   
सूरत भोली... 
डॉ. जेन्नी शबनम  

बाल कविता  

" रंग बिरंगे फूल "  

( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ) 

मुझे पुकार लो...  

हरिवंशराय बच्चन 

Digvijay Agrawal  

कार्टून :-  

इक बुत बनाउंगा और तेरी पूजा करूंगा 

"मेरी कुछ सूक्तियाँ"
ब्लॉगिंग के सम्बन्ध
एक क्लिक में शुरू
एक क्लिक में बन्द

दस्तक से पहले 

अग्निशिखा : पर 

Shantanu Sanyal  

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्र्स्तुति।

    ReplyDelete
  2. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    ReplyDelete

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।