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शुक्रवार, अक्तूबर 18, 2019

"सबका अटल सुहाग" (चर्चा अंक- 3492)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
आयी राम की

अवध में होली ,

छायी कान्हा की

बृज में रंगोली।


पक गयी सरसों
बौराये हैं आम,
मनचलों को अब
सूझी है ठिठोली...
हिन्दी-आभा*भारत  पर Ravindra Singh Yadav  
गूँगी गुड़िया पर Anita saini 
कहते हैं,
खरबूजे को देखकर
खरबूजा रंग बदलता है।
लेकिन पत्नी पर भैया, भला
किसका वश चलता है... 
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल 

Sahitya Surbhi पर dilbag virk  
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
--

कुछ अलग सा पर गगन शर्मा 
वो एक होकर भी अनेक लगती है,
ऐश्वर्या है मगर अभिषेक लगती है।
ये दौर-ए-इक्कीसवीं सदी है प्यारे,
कामकाजी पत्नी तो चैक लगती है। 

मेरी दुनिया पर विमल कुमार शुक्ल 'विमल'  

उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी  

BOL PAHADI पर Dhanesh Kothari 
बेटी की किलकारी
कन्या भ्रूण अगर मारोगे
मां दुुरगा का शाप लगेगा।
बेटी की किलकारी के बिन
आंगन-आंगन नहीं रहेगा।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
वह घर सभ्य नहीं होता है।
बेटी के आरतिए के बिन
पावन यज्ञ नहीं होता है… 
काव्य-धरा पर रवीन्द्र भारद्वाज  
--

7 टिप्‍पणियां:

  1. बेटी की किलकारी के बिन
    आंगन-आंगन नहीं रहेगा।
    जिस घर बेटी जन्म न लेती
    वह घर सभ्य नहीं होता है।

    प्राचीनकाल में भी कन्यादान के धार्मिक महत्व का उल्लेख है। यह हर मनुष्य का नैतिक कर्तव्य था । जिनके पास कन्या नहीं थी , वह अपने परिजनों की किसी बच्ची का विवाह संपन्न कराते थे। वैसे कन्यादान में दान शब्द पर आपत्ति व्यक्त की जाती है।
    यह मंच हमेशा विविध विषयों का संगम रहा है। सभी लिंक्स अलग-अलग होते हैं , पर सभी को नमन मैं एक साथ कर रहा हूँँ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय.
    शानदार रचनाएँ,मेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया.
    सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद, मेरी रचना को स्थान देने के लिए।
    साथ ही सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी लिंक्स सराहनीय और बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर चर्चा मंच के लिंक्स.मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं

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