स्नेहिल अभिवादन।
रविवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आज विश्व मदर्स डे है। माँ को समर्पित यह दिन माँ की महिमा और स्मृतियों के बखान का विशेष अवसर है ।
मदर्स डे की अनंत शुभकामनाएँ ।
हमारी सोमवारीय प्रस्तुति माँ को समर्पित होगी जिसे लेकर आ रहे हैं आदरणीय रवींद्र जी।
आइए पढ़ते है शब्द-सृजन का बीसवां अंक।
गुलमोहर का ग्रीष्म ऋतु में खिलना प्रकृति में नज़ाकत को बनाए रखना है।
बसंत के बाद पतझड़ का आना और पुनः प्रकृति का सजना-संवरना लेकिन फूलों की अचानक विदाई हमारे मन को विचलित न करे अतः प्रकृति ने मई-जून की भीषण गर्मी में खिले हुए छतनारी छाया लिए गुलमोहर जैसा उपहार दिया है।
शब्द-सृजन-२० का विषय दिया गया था- 'गुलमोहर'
आइए पढ़ते हैं इस विषय पर सृजित नई-पुरानी रचनाएँ-
रविवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आज विश्व मदर्स डे है। माँ को समर्पित यह दिन माँ की महिमा और स्मृतियों के बखान का विशेष अवसर है ।
मदर्स डे की अनंत शुभकामनाएँ ।
हमारी सोमवारीय प्रस्तुति माँ को समर्पित होगी जिसे लेकर आ रहे हैं आदरणीय रवींद्र जी।
आइए पढ़ते है शब्द-सृजन का बीसवां अंक।
गुलमोहर का ग्रीष्म ऋतु में खिलना प्रकृति में नज़ाकत को बनाए रखना है।
बसंत के बाद पतझड़ का आना और पुनः प्रकृति का सजना-संवरना लेकिन फूलों की अचानक विदाई हमारे मन को विचलित न करे अतः प्रकृति ने मई-जून की भीषण गर्मी में खिले हुए छतनारी छाया लिए गुलमोहर जैसा उपहार दिया है।
शब्द-सृजन-२० का विषय दिया गया था- 'गुलमोहर'
आइए पढ़ते हैं इस विषय पर सृजित नई-पुरानी रचनाएँ-
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सुरीला संगीत
फूलोंभरा बिस्तर
रिश्तों की डोर
किताबोंभरी अलमारी
मुस्कुराती बांसुरी
शर्म से लाल हुए गुलमोहर की छांव
गुलमोहर...
लाल-पीले फूलों की झब्बेदार
टोकरी जैसे भरी धूप में
किसी ने उलट के रख दी
तने के सिर पर…
उस पेड़ को देख भान होता है
**
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गुलमोहर वृक्ष,
तुम्हारी नन्हीं नन्हीं
करीने से सजी पत्तियां
बहुत सुन्दर लगती हैं
और टहनियों में जड़े सुंदर पुष्प
और उनका रंग
बहुत भाते हैं
भाती है तुम्हारी छाया भी
तुम्हें पता है ?
तपिश सहता वह गुलमोहर,
आज भी ख़ामोश निगाहों से,
तुम्हारी राह ताकता रहता है।
जलती जेठ की दोपहरी में भी,
लाल,नारंगी,पीली बरसता धूप,
वह मंद-मंद मुस्कुराता रहता है।
झरती सांसें जीवन की उसकी,
सुकून की छतनारी छाया बनती है,
हर जगह, हर मोड़, पर इंसान ठहरा ही रहा,
वक्त की रफ़्तार के संग ज़िंदगी चलती रही !
खुशनुमां वो गुलमोहर की धूप छाँही जालियाँ
चाँदनी, चम्पा, चमेली की थिरकती डालियाँ
पात झरते ही रहे हर बार सुख की शाख से
मौसमों की बाँह थामे ज़िंदगी चलती रही !
**
गुलमोहर
गुलमोहर
कच्ची सड़क के दोनो ओर गुलमोहर के वृक्ष लगे
देते छाँव दोपहर में करते बचाव धूप से
धरा
से हो कर परावर्तित आदित्य की किर
मिल कर आतीं हरे भरे पत्तों से
खिले फूल लाल लाल देख
ज्यों ही गर्मीं बढ़ती जाती
चिचिलाती धुप में नव पल्लव मखमली अहसास देते
चमकते ऐसे जैसे हों तेल में तरबतर
फूलों से लदी डालियाँ झूल कर अटखेलियाँ करतीं
मंद मंद चलती पवन से
**
**
कहो तो गुलमोहर
मई जून में भी यूं खिल-खिल
बौराये बसंत हुवे जाते हो ।
कहो तो गुलमोहर कैसे !
गर्मी में यूं मुस्कुराते हो ?
**
गर्मियों के तपते दिन
लाल फूलों से लदा गुलमोहर।
हर लेता है मन का संताप,
चटकती बिखरी तेज धूप में,
खिलखिला उठता है मन।
देख उसे लगता है ऐसे,
जैसे किशोरी पर आया यौवन।
**
गुलमोहर तुम क्यों नहीं हँसते
क्यों नहीं खिलते नवपुष्प लिए
इतराते थे कभी यौवन पर
शरमा उठते थे सुर्ख फूल लिए
कर श्रृंगार सुर्ख लाल फूलों से
सबके मन को लुभाते थे
**
**
आज सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी अंक में
-अनीता सैनी
फिर मिलेंगे आगामी अंक में
-अनीता सैनी
शब्द-सृजन की सुंदर प्रस्तुति जिसमें गुलमोहर पर विभिन्न दृष्टिकोण सुधी पाठकों के समक्ष प्रदर्शित हुए हैं।
जवाब देंहटाएंविषय आधारित रचनाओं को पढ़ते हुए एक ही स्थान पर काव्य के पृथक-पृथक रूप पाठक के समक्ष विस्तृत वैचारिकी का धरातल उपस्थित करते हैं।
मेरी रचना सम्मिलित करने हेतु बहुत-बहुत आभार अनीता जी।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंगुलमोहर पर सुन्दर लिनक्स
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद अनीता जी |
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम मंच की सभी महिला रचनाकारों, पाठिकाओं और चर्चाकारों को "मातृदिवस" के उपलक्ष्य में हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ । 'शब्द-सृजन' की अनुपम भूमिका के साथ लाजवाब प्रस्तुति । अत्यंत सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई अनीता जी ।
शब्द-सृजन अंक-20 के विषय "गुलमोहर" के लिए हमने भी अपने ब्लॉग से अपनी एक पुरानी रचना की निम्नलिखित लिंक निर्धारित दिन और समय के काफी पहले चर्चा-मंच के वेव-पन्ने पर साझा किया था :-
जवाब देंहटाएंhttps://subodhbanjaarabastikevashinde.blogspot.com/2019/10/blog-post_9.html?m=1
जिसका शीर्षक निम्नलिखित था या है :-
"अंतरंग रिश्ते के दो रंग ... ( दो रचनाएँ )."
इनसे उद्धृत अंश निम्नलिखित है
"पर ... तन जलाती
चिलचिलाती धूप लिए
मुश्किल पलों से भरे
जीवन के जेठ-आषाढ़ में
शीतल छाँव किए
बनकर गुलमोहर
खिलूँगा मैं अनवरत
हो तत्पर तुम्हारे लिए ..."
मुझे मेरी रचना शामिल नहीं किए जाने की फिलहाल किसी से कोई शिकायत नही है या कर नहीं रहा हूँ, ताकि इसके बाद किसी को कोई स्वाभाविक ही सही कानाफूसी का सुअवसर मिले।
केवल ये मालूम चल जाता तो मेहरबानी होती कि क्या मेरी रचना स्तरहीन है ? या क्या चर्चा-मंच के लायक नहीं है ? या क्या दिए गए विषय से भटका हुआ है ? या रचनाओं के साथ भी कोई आरक्षण लागू की गई है ?
खैर ! ... पूछा भर है .. बस यूँ ही ...
स्थान तो सीमित ही होता है।
हटाएंकोई बाध्यता नहीं है सभी रचनाओं को लेना।
--
काहे की कानाफूसी भाई।
इस प्रकार के कमेंट करके अपनी महत्वाकांक्ष क्यों सिद्ध कर रहे हो?
स्वान्तः सुखाय है चर्चा मंच।
स्तरहीन कमेंट मत कीजिए।
"स्थान तो सीमित ही होता है।
हटाएंकोई बाध्यता नहीं है सभी रचनाओं को लेना।" ...
और ...
"स्वान्तः सुखाय है चर्चा मंच।" ...
मुझ जैसा लिखने वाला अब तक इन दो महत्वपूर्ण बातों या नियमों से अवगत नहीं था, अन्यथा व्यर्थ में प्रतिक्रिया करता ही नहीं।
अब जान गया और मेरी कही गई स्तरहीन (?) बातों के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।
साथ ही अब तक चर्चा-मंच पर मेरी रचना/विचार को साझा किए जाने के लिए बहुत-बहुत आभार चर्चा-मंच का ...
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति सखी, बेहतरीन रचनाओं के साथ मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंशब्द सृजन में सभी स्तरीय रचनाओं का सुन्दर संकलन।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी।
शब्द सृजन अंक की बेहतरीन प्रस्तुति अनीता जी ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमन
जवाब देंहटाएंबहुत ही दिलचस्प links और चर्चा...
जवाब देंहटाएंअनेक वर्षों से देख रही हूं कि चर्चा मंच हेतु पोस्टस् का चयन एवं संकलन सदैव निष्पक्ष रहता है। चाहे कोई भी सुधीजन यह दायित्व निर्वाह करें। समस्त चयनकर्ताओं को अभिवादन 🙏💐
विशेष रूप से आदरणीय रूपचंद्र शास्त्री जी का वंदन, अभिनंदन जो सभी ब्लागरस् को चर्चा मंच के माध्यम से एक सूत्र में पिरोने का महती कार्य निःस्वार्थ भाव से लगातार अनेक वर्षों से करते आ रहे हैं।
चर्चा मंच एवं समस्त संबद्ध सुधीजनों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐🌹
शब्द सृजन पर आधारित बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, मातृदिवस की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन आज की चर्चा में ! मेरी रचना को आपने आज के अंक में स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा मंच प्रस्तुति...उम्दा लिंको से सजी...सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंमातृदिवस की शुभकामनाएं।
चर्चा मंच में आपने गुलमोहर पर चर्चा की तो दबी भावना कागज पर शब्द सृजन के रूप में।रचना सराही, स्थान दिया इसके लिए बहुत बहुत आभार। चर्चाएं आवश्यक हैं, गुलमोहर पर चर्चा से गुलमोहर और खिल गया।
जवाब देंहटाएंकृष्ण आधुनिक
कृष्णआधुनिक
गुलमोहर सी सजीली सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशानदार लिंक शानदार रचनाएं।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने केलि हृदय से आभार।