स्नेहिल अभिवादन।
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
" रमज़ान " पाक और मुबारक महीना .....
पुरे एक महीने के कठिन " रोज़ा " रखने के बाद...
वो आखिरी दिन जब चाँद खुशियाँ लेकर आता हैं और समझाता हैं ....
" पुरे एक महीने मिल -बाँटकर खाया तुमने ..अब आगे भी यूँ ही खुशियाँ और
अपनत्व बाँटते रहना ...मानवता को गले लगाते रहना। "
लेकिन हमने क्या किया ?
गले लगे दिखावे के लिए.... प्यार बाँटे सिर्फ बहलावे के लिए..
.मानव ही मानव का दुश्मन हुआ ...प्रकृति क्रुद्ध हो गई और सज़ा सुना दी....
जाओं तुमने प्यार की कदर नहीं की... अब इस ईद में अपने प्यारों से गले भी ना मिल पाओगे....
अगर गले मिले तो कोरोना के कहर के शिकार हो जाओगे...
अभी भी वक़्त हैं सम्भल जाओ ...सुधर जाओ....
प्यार की कदर करना सीखों ...
अपने प्यारों के प्यार को सलामत रखने के लिए ही खुद को उनसे दूर ही रखों....
प्यार के लिए दिलों का मिलना जरुरी हैं ....मानवता के लिए मानव मात्र से प्रेम करना जरुरी हैं..
यही सच्ची " ईद " हैं....
ये ईद हमारे लिए ढेरों खुशियाँ लेकर आए इन्ही दुआओं के साथ ...
चलते हैं आज की रचनाओं की और .....
******
दोहे
"गले न मिलना ईद"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कोरोना के काल में, मौमिन को ताकीद।
करना दुआ-सलाम ही, गले न मिलना ईद।।
बढ़ता जाता देश में, कोरोना का दम्भ।
तालाबन्दी का हुआ, चरण चार आरम्भ।।
******
बाधित हैं सेवाएँ औ बंद अब बाजार हैं।
दरवाजे के अंदर हम रहने को लाचार हैं।
और नहीं है दूसरा हथियार हाय रे जिंदगी।
लॉक डाउन में है गिरफ्तार सबकी जिंदगी।
******
आपकी बेचैनियों का ईलाज
एक अदद कविता
सत्ता की निरंकुशता का जवाब
एक अदद कविता
मजदूर की चुप्पी की आवाज
एक अदद कविता
*****
रोटी
रोटी पर कविता लिखे,कहाँ मिटे है भूख।
दो रोटी की आस में ,आंतें जाती सूख ।।
आंतें जाती सूख ,उदर पानी से भरते।
मिलती कवि को वाह,तड़प कर भूखे मरते।।
काल बड़ा है क्रूर,रही किस्मत भी खोटी ।
भरा रहे अब थाल ,लिखे कवि ऐसी रोटी ।।
*******
मुझे इस तरह रमे हुए देखकर उस वक्त किसी ने कहा कि आपको देखकर
मुझे फ्रीडा की याद आती है । ओह माय गुडनैस.......
मैंने यह नाम पहली बार सुना था इसलिए खुशी से उछल नहीं पड़ी थी।
******
मैं और माइक, माइक और मैं !
लोग "कैमरा कॉन्शस" होते हैं पर मैं तो "माइक कॉन्शस" हूँ।
होता क्या है कि जब किसी जुगाड़ु मौके पर कुछ बोलने के लिए खड़ा होता हूँ, तो अपने दाएं-बाएं-पीछे भी नजर डालनी पड़ती है कि सब सुन भी रहे हैं
******
कितने_किस्से_कितनी_कहानियाँ
Corona 19 May 2020
उनसे सहज ही पूछा कि तरबूज कहाँ से ला रहे हो - तो हड़बड़ा गया "
बाबूजी मेरा नाम राजू है और ये सब माल फल मंडी का है
देखिये दस्ताने पहने है, हाथ भी धो लेता हूँ साबुन से,
सेनिटाईज़ भी करता हूँ, आप बेफिक्र रहिये "
******
आदि - अंत
आदि में 'एक' ही था
'एक' के सिवा दूसरा नहीं था
फिर विभक्त किया उसने स्वयं को 'दो' में
एक वामा कहलायी, बांये अंग में बैठने वाली
दूसरा अथक श्रम से सृष्टि का संधान करने वाला
******
१५ मई २०२० को हमारे प्रिय शिक्षक प्रोफेसर एस के जोशी नहीं रहे। उनका जाना हमारे मन में अनुभूतियों के स्तर पर एक विराट शून्य गहरा गया। अतीत का एक खंड चलचित्र की भाँति मानस पटल पर कौंध गया।
******
शब्द-सृजन-22 का विषय है-
मज़दूर/ मजूर /श्रमिक/श्रमजीवी
शब्द-सृजन-22 का विषय है-
मज़दूर/ मजूर /श्रमिक/श्रमजीवी
आप इस विषय पर अपनी रचना (किसी भी विधा में)
आगामी शनिवार (सायं 5 बजे) तक
चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form ) के ज़रिये
हमें भेज सकते हैं।
चयनित रचनाएँ आगामी रविवासरीय चर्चा-अंक में
प्रकाशित की जाएँगीं।
--
आज का सफर यही तक, अब आज्ञा दें
आपका दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
--
--
बहुत सार्थक और सटीक प्राक्कथन की पृष्ठभूमि में सजा विविधताओं का रचना संसार। बधाई और आभार।
जवाब देंहटाएंआभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंबेहतरीन प्रस्तुति कामिनी जी।बधाइयाँ सभी रचनाएँ बेजोड़।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार कामिनी सिन्हा जी।
आभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंसंदेशात्मक भूमिका एवं विविधतापूर्ण विषयों से सजे सुंदर संकलन में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभारी हूँ प्रिय कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंसादर शुक्रिया।
आभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंतात्कालीन परिस्थितियों को सहज दर्शाती रचनाएं.... मेरी रचना को स्थान देने के लिये शुक्रिया
जवाब देंहटाएंआभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंसार्थक भूमिका के साथ रोचक लिंक्स का चयन, आभार मुझे भी शामिल करने हेतु !
जवाब देंहटाएंआभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत अच्छे लिंक्स |बधाई कामिनी जी
जवाब देंहटाएंआभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंसुन्दर सार्थक रचनाओं से सजी बेहद सुन्दर और लाजवाब प्रस्तुति कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंआभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंसुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार आपका ,सादर नमस्कार
हटाएंकोरोना के काल में, मौमिन को ताकीद।
जवाब देंहटाएंकरना दुआ-सलाम ही, गले न मिलना ईद।।
-- बहुत खूब सखी | आज समय की यही मांग है दूर से प्यार जताया जाये गले से लिपटकर नहीं |सुन्दर चर्चा के साथ शानदार लिंक सखी | सभी रचनाकारों के साथ तुम्हें भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं|
'झाड़ू झाड़न' को शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएं