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रविवार, मई 17, 2020

शब्द-सृजन- 21'किसलय ' (चर्चा अंक-3704)

स्नेहिल अभिवादन। 
रविवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 
शब्द- सृजन-२१ का विषय दिया गया था-
'किसलय'
पेश है शब्द-सृजन का नया अंक। 
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किसलय अर्थात नवपल्लव, अत्यंत कोमल सुनहली कोंपलें जिनका स्पर्श रोमांचित और मन हर्षित करने वाला होता है। अक्सर पतझड़ के उपरांत प्रकृति जैसे अपनी ओढ़नी बदलती हुई दृश्यमान होती है तब किसलय परिवेश में नवीनतम आभा से नैसर्गिक सौंदर्य को बढ़ाते हुए पत्तों में बदलने का सफ़र तय करते रहते हैं ऋतु परिवर्तन हो या नई फ़सल का बीजारोपण...
-अनीता सैनी
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आइए पढ़ते हैं किसलय विषय पर सृजित कुछ रचनाएँ-
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एक समय ऐसा था 
जब गुलशन परिसर में घुसते ही 
सुगंध आने लगती थी 
पूरी बगिया महक उठती थी 
रंग बिरंगे खिलते पुष्पों से |
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सुबह सवेरे विहग ये सारे
बहुरंगी पंखों को पसारे
एक स्वर से चिढा-चिढाकर
मंद-मंद मुस्का-मुस्काकर
कोलाहल करते रहते हैं
मखौल उड़ा-उड़ा हंसते हैं
सड़कें गलियां बंद हुये हैं
पशु पक्षी स्वछंद हुये हैं
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नन्हा सा अवश्य हूँ लेकिन 
हौसला बहुत है मुझमें 
इतने बड़े वृक्ष के इतने सारे 
इतने पुराने फल फूल पत्ते 
मेरा मुकाबला नहीं कर सकते !
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 प्रतीक्षा 
 
नव पल्लव अंकुआए  
किसलय पंक्ति देख  
सूखे तरु हरषाये  
गोकुल की सब गौरी 
घर से वे निकली 
मिलने चोरी-चोरी
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पंखुड़ियों पर ही खेलती,
प्रचन्ड रवि की ये उष्मा झेलती,
स्वयं नव ऊर्जा संचित कर,
जीने के ये खुद मार्ग प्रशस्त करती,
सुकोमल से ये किसलय....

नील नभ के निलय में, खिल आए ये किसलय...

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नयन उठाकर देख धरा पर,
नव किसलय से भरा धरातल।
नन्हें-नन्हें पत्तों से ढककर,
लगता कितना हरा धरातल। 
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आज तो 
सुनहले सुकोमल किसलय 
झीनी हल्की हरी ओढ़नी-से 
लिपट गये हैं 
हवा में लहराते हुए
**
ख़ुशनुमा फ़ज़ाओं में 
सुनहले किसलय बने थे 
मधुमास की उमंगें,
सजल नत नयन नियति 
धरती-अंबर में लहराती 
परिवर्तन की तीव्र तरंगें। 
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तितली 

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शोभा श्री समन्वय जनगण से 
करुणा की बरसा बौछार। 
मजबूर मज़दूर पुर को दौड़े 
माली थमा पुष्प का एक हार। 
मणि-मनके खनि की शोहरत 
भावुक मन जगा अनुराग बंधु। 
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आज सफ़र यहीं  तक 
फिर मिलेंगे आगामी अंक में 
-अनीता सैनी

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    आज के अंक में "किसलय" पर उम्दा रचनाएं |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद अनीता जी |

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  2. बेहद खूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. " किसलय " को परिभाषित करती बेहतरीन भूमिका के साथ बहुत ही सुंदर प्रस्तुति अनीता जी ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. किसलय पर विविध रचनाओं की सुन्दर पेशकश।
    --
    आपका आभार अनीता सैनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  5. किसलय को परिभाषित करते हुए रचनाओं की खूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर शब्द-सृजन प्रस्तुति । सभी रचनाएँ बहुत ही सुन्दर ।
    "प्रतीक्षा" को साझा करने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी ।

    जवाब देंहटाएं
  7. कोमल किसलय सी ही अत्यंत कोमल एवं सुन्दर रचनाएं आज के अंक में ! मेरी रचना को आज की चर्चा में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  8. वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
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