सादर अभिवादन !
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
चर्चा का आरम्भ करते हैं स्मृति शेष "दुष्यंत कुमार"
के एक मुक्तक से -
"तरस रहा है मन फूलों की नई गंध पाने को
खिली धूप में, खुली हवा में, गाने मुसकाने को
तुम अपने जिस तिमिरपाश में मुझको क़ैद किए हो
वह बंधन ही उकसाता है बाहर आ जाने को।"
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तालाबन्दी में हमने, ईमान बदलते देखे हैं।
आड़ धर्म की ले करके, इंसान बदलते देखे हैं।।
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कोरोना आया भारत में, सबको सबक सिखाने को,
निर्मल नीर हुआ नदियों का, पावन हमें बनाने को,
मौलाना की बोली में, फरमान बदलते देखे हैं।
आड़ धर्म की ले करके, इंसान बदलते देखे हैं।।
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आशा बनी रहेगी
बेहतर संसार के लिए
फूल खिलते रहेंगे
भंवरों-तितलियों के
अनंत अतुलित प्यार के लिए।
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गलियां सब वीरां-वीरां सी, उखड़े-उखड़े सभी खूंटे है,
तमाशाई बने बैठे दो सितारे, सहमे-सहमे क्यों रूठे है।
डरी सी सूरत बता रही,बिखरे महीन कांच के टुकडों की,
कुपित सुरीले कंठ से कहीं कुछ, कड़क अल्फाज फूटे है।
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तुम अपनी बीमारी अपने दर्द की बात कर रहे थे। दर्द असहनीय था । दो साल पहले जब मुझे तुम्हारी इस बीमारी का पता लगा तब भी मैंने गूगल किया था और पाया कि यह एक बहुत रेयर बीमारी है इसी के करीब की बीमारी मेरी माँ को थी शायद इसीलिए तुम मेरी प्रार्थनाओं में शामिल हो गये।
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क्षितिज कभी मोबाइल तो कभी टीवी स्क्रीन पर निगाहें गड़ाए ऊब चुका था। ड्राइंगरूम के ख़ूबसूरत फ़िश बॉक्स में मचलती रंगबिरंगी मछलियाँ और पिंजरे में उछलकूद करता यह मिठ्ठू भी आज उसका मनबहलाने में असमर्थ था ।
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मेरे लिए तो ये कोरोना काल भी एक सफर ही साबित हो रहा हैं मगर हिंदी वाला safar ( यात्रा ) नहीं इंग्लिश वाला suffer ( भुगतना ) . वैसे तो भुगत सब रहे हैं पर मैं परिवार से दूर हूँ तो...उसका दर्द ज्यादा हो रहा। जब भी परिवार के पास जाने की तैयारी कर रही हूँ....लॉकडाउन की तारीखे फिर से बढ़ जा रही हैं। अब देखते हैं, मेरा अगला " सफर " कब शुरू होने वाला हैं और कितना रोचक होगा " पता नहीं "वैसे दुआ यही करुँगी कि -बस सही सलामत घर पहुँच जाऊँ अपनों के पास।
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डॉ. मुल्तानी पेशे से डॉक्टर हैं और वे दवाइयों से तो मरीजों को ठीक करते ही हैं, साथ-ही-साथ अपने लेखन द्वारा भी स्वस्थ रहने के उपाय बताते हैं। डिप्रेशन का संबन्ध तो जीवन-शैली से है, इसलिए इस विषय पर पुस्तक दवाई से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
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आरती ,पूजा बिना
जिसकी कोई शाम नहीं ,
पूरी दुनिया में कहीं
कृष्ण नहीं ,राम नहीं ,
इसकी खुशबू नहीं कम
हो ये जतन है मेरा |
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मैं उतने जन्म धरूँ तेरी गोदी में ,
तुम बिन बीतें जितनी सुबहें-संध्यायें ........'
उच्छल लहरों में खिलखिल हँसता रह तू
इन साँसों का सरगम तुझको ही गाए,
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है दूर बहुत मेरा गांव
रोजी रोटी के लिए
निकला था घर से
अब पहुँचने को तरसा
फँस कर रह गया हूँ
महांमारी के चक्र व्यूह में
जाने अब क्या होगा...
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बुन्देलखंड के नैसर्गिक सौंदर्य का वणन करते हुए उपन्यास जैसे ही ईसुरी के पैतृक गांव ’मेंड़की’ पहुंचा, मन प्राण वहीं अटक गये..... अचानक ही कानों में ईसुरी की सुपरिचित फाग-
“नैन नचाय, कहें मुस्क्याय,
आइयो लला फिर खेलन होरी....”
गूंजने लगी.....
उनके जन्म की कथा पढ़ने के लिये
मन बेताब होने लगा.
उनके जन्म की कथा पढ़ने के लिये
मन बेताब होने लगा.
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कैसे कह दूँ कि मैं परेशान नहीं हूँ ,
बिखरी सी राहों में पशेमान नहीं हूँ ।
उखड़ी सी साँसों से साँस भरती हैं ,
हाथों को नज़रों से थाम कहती हैं ।
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ये विरह की वेदना है,
या कि जलती आग कोई
नींद आँखों से उड़ी है
जागती हूँ या कि सोई
इक व्यथित सी व्यंजना फिर
देख हँसती आज दर्पण
साधक साथ------------।।
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"माँ जी ख़ुश हैं न?"
ज्योति ने बेचैनी से पूछा।
"हाँ बहुत ख़ुश हैं।"
"क्यों "
निधि ने बेपरवाही से कहा।
"उन्होंने पूजा रखी थी,मन्नतों में मांगा करती थीं घर का वारिस।"
अंतस में कुछ बिखरने की आवाज़ से ज्योति सहम-सी गयी।
बेटी के लिए अब आँचल छोटा लगने लगा...
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'शब्द-सृजन-१९ का विषय है-
"मुखौटा "
आप इस विषय पर अपनी रचना (किसी भी विधा में)
आगामी शनिवार (सायं 5 बजे) तक
चर्चा-मंच के ब्लॉगर संपर्क फ़ॉर्म (Contact Form ) के ज़रिये
हमें भेज सकते हैं।
चयनित रचनाएँ आगामी रविवासरीय चर्चा-अंक में
प्रकाशित की जाएँगीं।
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आज के लिए बस इतना ही …
आपका दिन मंगलमय हो 🙏
"मीना भारद्वाज"
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बहुत सुंदर चर्चा का आग़ाज़ कविवर दुष्यंत कुमार जी के शानदार मुक्तक के साथ। बेहतरीन संकलन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना आज की चर्चा में सम्मिलित करने हेतु सादर आभार आदरणीया मीना जी।
वह बंधन ही उकसाता है बाहर आ जाने को।
जवाब देंहटाएं- सचमुच, अब तो बंधन से मु्क्त होने की कामना जाग उठी है.
सुन्दर चर्चा.
बहुत सुंदर चर्चा एवं प्रेरणादायी भूमिका।
जवाब देंहटाएंयही सत्य है कि विपरीत परिस्थितियाँ हमें उससे निवारण का सामर्थ्य भी प्रदान करती हैं। हमें याद रखना होगा कि अंधकार के पश्चात प्रकाश का आगमन तय है। यदि हमने धैर्य के साथ परिस्थितियों का सामना कर लिया तो हमारे इस संघर्ष का मूल्यांकन समाज करेगा।
मेरी रचना नया सवेरा को मंच पर स्थान देने के लिए आपका अत्यंत आभार।
सुन्दर चर्चा । मेरे ब्लॉग रचना को सम्मिलित करने हेतू आपका मीना जी ।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद मीना जी |
जवाब देंहटाएंसशक्त संकलन, सराहनीय सद्प्रयास
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति का आरम्भ ही एक सुंदर और संदेशप्रद " मुक्तक " से ,लाज़बाब मीना जी ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए दिल से आभार ,ये मेरे नए ब्लॉग से हैं ,इसे तो मैंने अब तक साझा भी नहीं किया पता नहीं आपने कैसे दूध लिया ,एक बार फिर से आभार आपका ,सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं सादर नमन
जवाब देंहटाएंसुंंदर संकलन....मेरी रचना को स्थान देने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंकोरोना विपदा के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते इस अंक के माध्यम से फिल्म जगत के दो अद्वितीय कलाकारों को भावभीनी श्रद्धंजलि
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सखी सारगर्भित भूमिका के साथ ,सभी रचनाएं उत्तम, रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार 💐💐🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंकों का अद्भुत संगम।
जवाब देंहटाएंआदरणीया मीना भारद्वाज जी आपका आभार।
वाह !जवाब नहीं दी आपका लाजवाब प्रस्तुति के साथ लाजवाब मुक्तक.
जवाब देंहटाएंमेरी लघुकथा को मान देने हेतु तहे दिल से आभार आपका
सादर
बेहतरीन रचनाओं का संकलन, सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन मीनाजी.
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक प्रिय मीना जी | बहुत बहुत आभार सार्थक रचनाओं का संकलन करने हेतु | सखी कामिनी के नए ब्लॉग का स्वागत है ब्लॉग जगत में | जिसका मुहूर्त आप जैसी सरस्वतीसुता के हाथों हुआ उसकी प्रगति में कोई बाधा नहीं रहेगी ऐसा निश्चित है | प्रिय कामिनी को बहुत बहुत बधाई | आशा है समस्त पाठकगण उनके सफ़र के रोचक किस्सों को , उनकी विशिष्ट शैली में पढ़कर आनन्दित होंगे | आज के अंक के साथ स्टार सहभागियों को अभिवादन और बधाई | आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं सुंदर चर्चा के लिए | सादर
जवाब देंहटाएंआभार रेणु बहन इस मान के लिए🙏 कामिनी बहन के My blogs की सूची में नया नाम देखा तो शामिल कर लिया ...आपकी अमूल्य शुभेच्छाएं फलीभूत हो . हार्दिक आभार आपका .
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