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मंगलवार, मई 12, 2020

" ईश्वर का साक्षात रूप है माँ " (चर्चा अंक-3699)

स्नेहिल अभिवादन। 
 आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।

जैसे " हरि अनंत हरि कथा अनंता "वैसे ही माँ की महिमा भी अनंत हैं  ,जैसे हरि को शब्दों में नहीं समेट सकते ,वैसे ही माँ को भी चंद शब्दों में समेटना मुश्किल हैं। " माँ " और " हरि " कहने को तो हम दोनों की पूजा करते हैं उनका   गुणगान भी  करते हैं पर उनकी अवहेलना भी हम सबसे ज्यादा ही करते हैं... 

 " माँ " शब्द सुनते ही हृदय में ममत्व के कुछ कोमल भाव उमड़ने लगते हैं

और हम उसे कलमबद्ध कर लेते हैं .....
तो आज का एक और अंक माँ को समर्पित हैं...
 आज  ,मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ....
**********

दोहे  

"सम्बन्धों का योग" 

 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

मन तो मिलता है नहीं, तन का है अनुबन्ध।
कैसे अन्तिम समय तक, टिकें यहाँ सम्बन्ध।।
********
ईश्वर का साक्षात रूप है माँ 
मेरी फ़ोटो
माँ है विशाल वट-वृक्ष की
छाई छतनारी छांव
रचती रहती है
स्पंदन-अनुभूति का
नया-नबेला गुणात्मक गांव
माँ की गोद में समाया है लोक

******


My photo
चलो हटो!
आने दो
माँ को मेरी.
करने पवित्र
देवत्व मेरा.
छाया में
ममता से भींगी
मातृ-योनि की अपनी!
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My photo

कल मदर्स डे था

सबसे छोटी बिटिया ने
मदर्स डे मनाया
माँ को मीठा सा चुंबन
देती हुई प्यारी सी फोटो
डीपी पर रखी।

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तुमसे ही मेरा जहान माँ
तुम ही मेरी भगवान
बड़ी ही प्यारी भोली-भाली
मेरे चेहरे की मुस्कान है 
******
मदर्स डे का अनुठा गिफ्ट
''दिपक, मदर्स डे आ रहा हैं। मैं सोच रही हूं कि 
इस बार मम्मी को कुछ अनुठा गिफ्ट दिया जाएं...
कुछ ऐसा जिससे मम्मी का जीवन ख़ुशियों से भर जाएं...'' शिल्पा ने कहा। 
''लेकिन ऐसा कौन सा गिफ्ट देंगे हम? मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा हैं।'' 
******
उस किले की आधारशिला हो
सुदृढ़ जमीन हो
घनेरा आसमां भी तुम हो मां
जिंदगी का  सिलसिला हो
मंजिल के मील का पत्थर भी तुम
******
माँ तो सांसों में जीवन के हर पल में होती
माँ का कोई मुख्य दिन भी होता है ,
ये तो अता पता ही नही था मुझको....
हर दिन हमको तो माँ का दिन लगता है ।
******
माँ  ज्यों ही   गाँव के करीब  आने लगी  है  --------- कविता |
चिरपरिचित खेत -खलिहान यहाँ हैं ,
माँ के बचपन के निशान यहाँ हैं ;
कोई उपनाम - ना   आडम्बर -
माँ की सच्ची पहचान यहाँ है ;
गाँव की भाषा सुन रही माँ -
खुद - ब- खुद मुस्कुराने लगी है !
माँ की आँख डबडबाने लगी है !!
******
माँ मेरी माँ 
सबकी माँ 
जन्म से लेकर 

अंतिम श्वास तक 

जरूरत सबकी माँ 

जीवन की हर 

छोटी -छोटी बातों में 

याद बहुत आती माँ 

******

माँ  

Maa i miss you - Photos | Facebook 


उंगली थाम कर चलना सीखा
कदम कदम पर डाँट पड़ी

हाथ पकड़ संतान चलाये

निर्देशों की लगी झड़ी

स्वर्ग मिला है मातु गोद में

बच्चे अब भान करायें

स्व सुत सुता निज की मातु बने

हृदय झूम नभ छू आये।
******
मुझे लगता है माँ ही सबकुछ है तभी तो जब भी, भगवान भी इस धरा पर अवतरित हुआ, 
तो वह भी माँ के गर्भ से जबकि वह तो खुद हर प्रकार से समर्थ है 
वह तो ऐसे भी अवतरित हो सकता है। 
पर उसे भी माँ की आवश्यकता पड़ी अर्थात
भगवान की भी माँ है माँ .....
*****
एक तरफ इधर मदर्स डे के दिन सोशल मिडिया पर " माँ "शब्द प्यार और
 स्नेहमयी गंगा का रूप धारण कर धारा  प्रवाह बह रहा होगा और वही दूसरी तरफ -
 " किसी वृद्धाआश्रम  में  फ़ोन के पास बैठी हजारो माँये एक फोन के इंतज़ार में होगी 
और सोच रही होगी  कि -" आज तो मेरा बेटा जरूर फ़ोन करेगा...
******
आज का सफर यही तक, अब आज्ञा दें  
आपका दिन मंगलमय हो 
कामिनी सिन्हा 
--


21 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!

    बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण आदरणीया कामिनी जी द्वारा।

    पठनीय समकालीन चिंतन से लबरेज़ सूत्र।माँ को समर्पित बेहतरीन अंक।

    भारतीय जीवन दर्शन में माँ के प्रति कृतज्ञता दर्शाने के लिए किसी विशेष दिवस का प्रावधान नहीं किया गया क्योंकि हम हर वक़्त माँ को अपने साथ पाते हैं परोक्ष या अपरोक्ष रूप में।

    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    मेरी रचना आज की चर्चा में सम्मिलित करने हेतु बहुत-बहुत आभार कामिनी जी।



    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छे लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर प्रस्तुतिकरण के साथ उम्दा चर्चा, कामिनी। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. मां शब्द है कितना पावन,बने कहीं ना वृद्धा आश्रम, बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद भारती जी , सही कहा आपने ,सादर नमन

      हटाएं
  5. माँ को समर्पित अत्यन्त सुन्दर सुन्दर लिंक्स से सुवासित अनुपम प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सहृदय धन्यवाद मीना जी ,सादर नमन

      हटाएं

    2. मेरे द्वारा लिखे इस काव्य लेख को आपने पढ़ा उसके लिए धन्यवाद और "चर्चा मंच" पर इस काव्य लेख की प्रविष्टि के लिए इसे स्थान दिया उसके लिए भी मैं आपका आभारी रहूँगा। आप जैसे सहयोगियों की वजह से ही हम जैसे नौसिखिए लेखकों को प्रोत्साहन और मार्गदर्शन मिलता है। एक बार फिर से बहुत बहुत धन्यवाद ....💐💐💐

      हटाएं
    3. आपका इस मंच पर स्वागत हैं आदरणीय ,कभी हम सब भी नए थे। इस मंच ने हमेशा हमें सराहा और प्रोत्साहित किया हैं। सादर

      हटाएं
  6. बेहतरीन संकलन
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. सहृदय धन्यवाद अनीता जी ,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन प्रस्तुति।सभी रचनाएँ एक-से बढ़कर एक।

    जवाब देंहटाएं
  10. प्रिय कामिनी, माँ जितनी प्यारी होती है उतनी ही प्यारी रचनाएँ सँजोकर आपने चर्चामंच के इस अंक को यादगार बना दिया है। सुंदर रचनाओं में मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  11. प्रिय कामिनी, ममता और माँ सबको शब्दों में जीवंत कर दिया प्रस्तुत रचानाओं में। शानदार अंक के लिए हार्दिक बधाई सखी। मेरी रचना को भी मंच पर लाने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार ,
    माँ के सीने की हर सांस तपस्या है
    आती जाती हल करती हर एक समस्या है ।
    अपनी इन दो पंक्तियों के साथ कामिनी जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद साथ ही सभी मित्रों को बधाई देती हूं

    जवाब देंहटाएं
  14. विषय को पूरी गरिमा प्रदान करता अद्भुत संकलन। हर रचना 'माँ' की ममता को गौरवान्वित करती हुई। आभार और बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं

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