स्नेहिल अभिवादन।
रविवासरीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
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पेश है शब्द-सृजन का नया अंक जिसका विषय दिया गया था-
मानवता / इंसानीयत
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मानवता अर्थात ऐसा मूल्य जो व्यक्ति को मानव होने, सामाजिक होने, संवेदनशील होने, सकारात्मक होने, सहअस्तित्त्ववादी होने का एहसास कराता रहता है।
मानवता सर्वोत्तम सामाजिक मूल्य है जो संसार में विद्यमान है। हम सब इस मूल्य को यथाशक्ति धारण करते हुए जीवन को सार्थक बनाते हैं।
-अनीता सैनी
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आइए पढ़ते हैं मानवता / इंसानीयत विषय पर सृजित कुछ रचनाएँ-
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उच्चारण
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मानवता की बात वहाँ बेमानी है
मूल्यहीन हो जिनके जीवन की शैली
आत्मतोष हो ध्येय चरम बस जीवन का
नहीं ज़रा भी चिंता औरों के दुःख की
आत्मनिरीक्षण की आशा बेमानी है !
**
मानवता
हुई मानवता शर्मसार
रोज देखकर अखबार
बस एक ही सार हर बार
**
"मानवता"
अरे ओ पत्थर दिल वालों ।
कभी इनकी भी सुध तो लो ।।
छोड़ कर तूं- मैं तुम अपनी ।
कभी तो जन-सेवा कर लो ।।
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सिसकती मानवता
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मानवता की बात वहाँ बेमानी है
मूल्यहीन हो जिनके जीवन की शैली
आत्मतोष हो ध्येय चरम बस जीवन का
नहीं ज़रा भी चिंता औरों के दुःख की
आत्मनिरीक्षण की आशा बेमानी है !
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मानवता
हुई मानवता शर्मसार
रोज देखकर अखबार
बस एक ही सार हर बार
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"मानवता"
अरे ओ पत्थर दिल वालों ।
कभी इनकी भी सुध तो लो ।।
छोड़ कर तूं- मैं तुम अपनी ।
कभी तो जन-सेवा कर लो ।।
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सिसकती मानवता
सिसकती मानवता
कराह रही है ,
हर ओर फैली धुंध कैसी है,
बैठे हैं एक ज्वालामुखी पर
सब सहमें से डरे-डरे,
बस फटने की राह देख रहे ,
फिर सब समा जायेगा
एक धधकते लावे में ।
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मन इतना उद्वेलित क्यों......…
मात्र मानव को दी प्रभु ने बुद्धिमत्ता !
बुद्धि से मिली वैचारिक क्षमता....
इससे पनपी वैचारिक भिन्नता !
वैचारिक भिन्नता से टकराव.....
टकराव से शुरू समस्याएं ?
उलझी फिर "मन" से मानवता !
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एक श्रमिक कुटी में बंधित,
भूखे बच्चों को बहलाता ।
एक श्रमिक शिविर में ठहरा,
घर जाने की आस लगाता।
गेहूँ पके खेत में झरते,
मौसम भी कर रहा ठिठौली।
महाशक्ति लाचार खड़ी है,
त्राहिमाम मानवता बोली ।
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निराधार नहीं अस्तित्त्व में लीन
पुण्यात्मा से बँधी करुणा हूँ।
मधुर शब्द नहीं कर्म में समाहित
नैनों से झलकता स्नेह अपार हूँ।
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चलते-चलते पढ़ते हैं आदरणीय रवीन्द्र सर की जीवन के सार्थक सवाल उठाती एक गंभीर लघुकथा-
कल -आज-कल / लघुकथा
वह एक शांत सुबह थी जेठ मास की जब बरगद की छांव में
स्फटिक-शिला पर बैठा वह सांस्कृतिक अभ्युदय की कथा सुना रहा था
नए संसार के साकार होने का सपना अपने सफ़र पर था जो नए-नए
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आज सफ़र यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी अंक में
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-अनीता सैनी
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सुन्दर चर्चा प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंआभार
शब्द सृजन मानवता पर सुन्दर रचनाएँ पढ़ने को मिलीं।
जवाब देंहटाएंअनीता सैनी जी आपका हार्दिक धन्यवाद।
धन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए |आज का उम्दा संकलन |
जवाब देंहटाएंकल से शुरू होने जा रहे अनलॉक 1 फेज के समय मानवता पर आधारित आज की चर्चा बहुत महत्वपूर्ण है।
जवाब देंहटाएंसुंदर संयोजन के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं अनीता जी 🙏🌹🙏
सार्थक चिंतन देती सुंदर भूमिका के साथ शानदार चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी लिंक बहुत उत्तम।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी क्षणिकाओं को चर्चा में शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
सादर।
बहुत सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को इसमें स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌👌
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंको से सजी शानदार चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंमेरी रचनाएं साझा करने हेतु बहुत बहि धन्यवाद एवं आभार।
शानदार खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण। मानवता पर उत्कृष्ट संक्षिप्त भूमिका के साथ बेहतरीन रचनाओं का सृजन हुआ है शब्द-सृजन अभियान के तहत। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ। मेरी रचना आज की चर्चा में सम्मिलित करने हेतु बहुत-बहुत आभार अनीता जी।
जवाब देंहटाएंआज तंबाकू निषेध दिवस है। सबका और अपना ख़याल रखें।
शब्द-सृजन की बहुत सुन्दर प्रस्तुति । सभी रचनाएँ अत्यंत
जवाब देंहटाएंसुन्दर । मेरी रचना को आज की चर्चा में सम्मिलित करने हेतु बहुत-बहुत आभार अनीता जी।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌
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