मित्रों!
कल से देश में लॉकडाउन 4.0 की शुरुआत कई क्षेत्रों में दी गई है अधिक छूटराज्य तय कर सकेंगे रेड-ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन।
देश में जारी कोरोना वायरस के महासंकट के बीच लॉकडाउन 4.0 की शुरुआत हो चुकी है. अब 31 मई तक देश में लॉकडाउन रहेगा, जिसमें कई तरह की छूट दी गई हैं। केंद्र सरकार की ओर से रविवार शाम को इस लॉकडाउन के लिए गाइडलाइन्स जारी की गईं, जो पहले से काफी अलग हैं। इस लॉकडाउन में राज्य सरकारों की ताकत कुछ हद तक बढ़ी है, वहीं आर्थिक गतिविधि को अधिक छूट दी गई हैं.
लॉकडाउन 4.0 में इस बार क्या खास है, दस महत्वपूर्ण बातों में समझें...
1. अब राज्य सरकारें तय करेंगी कि प्रदेश में रेड, ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन कौन-सा है. इसी के साथ बफर ज़ोन और कंटेनमेंट ज़ोन भी तय किया जाएगा. राज्य सरकारें ये फैसले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर करेंगी।
2. कंटेनमेंट ज़ोन को छोड़कर अब देश के हर इलाके में ई-कॉमर्स को होम डिलीवरी की छूट दी गई है। पहले ये छूट सिर्फ जरूरी सामान के लिए थी, लेकिन अब गैर जरूरी सामान भी डिलीवर हो सकेगा। इसके अलावा रेस्तरां, ऑनलाइन फूड साइट/ऐप से भी खाना डिलीवर हो सकेगा.
3. सैलून, मिठाई की दुकान समेत अन्य दुकानों को खोलने की इजाजत दी गई है। लेकिन ये राज्य सरकार ही तय करेंगी कि उन्हें कौन-सी दुकानें खोलनी हैं और दुकान खोलने के क्या नियम हो सकते हैं। यानी आर्थिक गतिविधि को पूरी तरह से खोला जा सकता है, सिर्फ नियमों का पालन जरूरी है।
4. पिछले 50 दिनों से बंद बस सर्विस अब खोल दी गई हैं, साथ ही एक राज्य से दूसरे राज्य में बसें जा सकेंगी। लेकिन दोनों राज्यों के बीच सहमति जरूरी है, इसके अलावा प्राइवेट वाहन भी एक राज्य से दूसरे राज्य जा सकेंगे। लेकिन, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, दोनों राज्यों की हेल्थ एडवाइज़री का पालन जरूरी है।
5. लॉकडाउन के बीच पहली बार स्टेडियम और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स खोलने की इजाजत दी गई है। हालांकि, यहां सिर्फ खिलाड़ी जा पाएंगे दर्शक नहीं जा पाएंगे। इसी के साथ ये भी चर्चा शुरू हो गई है कि क्या आईपीएल शुरू हो पाएगा। अभी तक इसपर कोई पुष्टि नहीं हो पाई है।
6. अब कंटेनमेंट इलाकों को छोड़कर पान, गुटखा, शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत दी गई है। लेकिन, सड़क पर थूकना या गंदगी फैलाना पूरी तरह से मना है। ऐसा करने पर जुर्माना लग सकता है।
7. लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए सभी तरह के ट्रकों को मंजूरी दी गई है। जो एक राज्य से दूसरे राज्यों में जा सकेंगे। हालांकि, इस दौरान राज्यों को अपने अनुसार नियमों का पालन करवाना होगा।
8. पिछले लॉकडाउन की तरह इस बार भी पैसेंजर ट्रेन, घरेलू-विदेशी उड़ान, मेट्रो सर्विस, सिनेमा हॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बंद रहेंगे। इसके अलावा सार्वजनिक कार्यक्रम, धार्मिक स्थल, राजनीतिक कार्यक्रमों पर पाबंदी जारी रहेगी।
9. किसी भी शादी समारोह में सिर्फ 50 लोग ही एकत्रित हो सकेंगे। वहीं किसी अंतिम संस्कार में 20 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने की अनुमति नहीं है। दफ्तरों को भी खोला जा सकता है, लेकिन 33 से 50 फीसदी दफ्तरों के साथ ही खोला जा सकता है इसके अलावा कर्मचारियों को आरोग्य सेतु ऐप रखने की सलाह देनी होगी।
10. शाम को सात बजे से सुबह सात बजे तक घर से बाहर निकलना मना है, अब नाइट कर्फ्यू जारी रहेगा। इसके साथ ही 65 वर्ष से अधिक, 10 वर्ष से कम उम्र के लोगों का घर से बाहर निकलना मना है, साथ ही प्रेगनेंट महिला का बाहर निकलना भी मना है।
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अब देखिए बुधवार की चर्चा में
मेरी पसन्द के कुछ लिंक...
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चलो, सोचते हैं
अपने-अपने घरों में क़ैद हैं सब,
चलो, सोचते हैं, बाहर के बारे में,
उस कामवाली बाई के बारे में,
जिसकी पगार काटने को तैयार रहते हैं,
उन दिहाड़ी मज़दूरों के बारे में,
जो रोज़ कमाते,रोज़ खाते हैं,
उन डॉक्टरों,नर्सों के बारे में,
जो जान पर खेलकर जान बचाते हैं....
कविताएँ पर Onkar
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मोदीजी को भगत ताऊ का खुला खत
आदरणीय मोदीजी रामराम
वर्तमान स्थितियों में आप अति व्यस्त होंगे फिर भी समय निकाल कर कृपया अविलम्ब गौर करें।
हाल यह है कि इतने दिनों से काम धंधे बन्द कर घर में बैठकर खाते हुए सब जमा पूंजी खत्म हो गयी है अब क्या करें?
आपने 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज जब घोषित किया तो मन प्रसन्न हो गया और यक़ीन मानिए उस रात बिना नींद की गोली खाये ही मस्त नींद आयी।
पर अगले दिन जब बहन निर्मला सीतारमण जी ने जलेबी सी उतारना शुरू की और 5 दिन तक उतारती ही रही तो समझ आगया की इन जलेबियों में चाशनी नहीं है...
वर्तमान स्थितियों में आप अति व्यस्त होंगे फिर भी समय निकाल कर कृपया अविलम्ब गौर करें।
हाल यह है कि इतने दिनों से काम धंधे बन्द कर घर में बैठकर खाते हुए सब जमा पूंजी खत्म हो गयी है अब क्या करें?
आपने 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज जब घोषित किया तो मन प्रसन्न हो गया और यक़ीन मानिए उस रात बिना नींद की गोली खाये ही मस्त नींद आयी।
पर अगले दिन जब बहन निर्मला सीतारमण जी ने जलेबी सी उतारना शुरू की और 5 दिन तक उतारती ही रही तो समझ आगया की इन जलेबियों में चाशनी नहीं है...
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पटोला का असल मतलब क्या है?
टोला शब्द कई मायनों में उपयोग होता है। आइये पहले इसके सार्थक रूप को जानते हैं।
आपमें से कुछ ने शायद पटोला साड़ी पहनी हो और हर महिला की इच्छा अवश्य रहती है कि वह एक बार यह साड़ी जरूर पहने। कुछ ऑन लाइन साइट्स पर भी आपने पटोला साड़ी चार पांच हजार की कीमत में बिकती अक्सर देखी होगी। पर यह ओरिजिनल नहीं है। बस नाम ही पटोला साड़ी है वहां।
पटोला एक सिल्क की साड़ी को कहते हैं जो मुख्यतया गुजरात के पाटन में तैयार की जाती है। 6/7 लोगों द्वारा एक साड़ी 6 से लेकर 12 महीनों में तैयार हो पाती है...
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आपने देखा सड़कों पर
तड़पता बिलखता आत्मनिर्भर भारत?
सड़कों पर तड़पते, बिलखते
आत्मनिर्भर(?) भारत की तस्वीर...
श्रमजीवी लहू से लहूलुहान
रेल पटरियाँ-सड़कें...
यह तो नहीं थी ख़्वाब की ताबीर...
कचोटती है बस रोने नहीं देती
कोविड-19 महामारी ने सिद्ध किया है कि
समाज कितना आत्मकेन्द्रित हुआ है
Ravindra Singh Yadav
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मैं लौटकर आऊँगा यार, इंतज़ार करना
लाऊँगा फिर नई बहार, इंतज़ार करना।
ग़म के बादल में कब तक छुपेगा ख़ुशी का चाँद
होगा कभी-न-कभी दीदार, इंतज़ार करना
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पद चिन्ह
उस पर पद चिन्ह तुम्हारे
अनुकरण करना क्यूँ हुआ प्रिय मुझे ?
कारण नहीं जानना चाहोगे...
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दृष्टि
हम सभी को मिली है दृष्टि संजय की!
देख सकते हैं दशा कुरुक्षेत्र की।
धृतराष्ट्र बन पूछते कितने मरे?
धृतराष्ट्र बन पूछते कितने मरे?
आज तक घायल हुए कितने बताओ?
चल रहे हैं सड़क पर मजदूर सारे
लड़ रहे हैं निहत्थे क्रूर पल से...
लड़ रहे हैं निहत्थे क्रूर पल से...
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय
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...रक्त पिपासु ने विक्रय की लाखों में तस्वीर
इंडिया टुडे ग्रुप की ओर से हृदयविदारक तस्वीरें ई कॉमर्स वेबसाइट पर बिक्री के लिए देख कर हैरान हूं मैं। इन कामगारों को तो पता भी न होगा कि वो बिक गए, उनके आँसू… टूटी चप्पल… फटा बैग… सब सेल पर लगे हैं । इनमें से एक एक फ़ोटो का दाम 8000 से 20000 तक रखा गया है...
अब छोड़ो भी पर Alaknanda Singh
एक गीत -
यादों में अब भी है मेहँदी जो छूट गई
सधे हुए
होंठ मगर
हाथों से छूट गई |
कल मुझको
सुनना
ये वंशी तो टूट गई...
जयकृष्ण राय तुषार
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ट्रम्प महोदय,
प्लीज आप अभी भारत आइए न...
ट्रम्प महोदय, भारत के 10 करोड़ प्रवासी मजदूर आपसे नम्र निवेदन कर रहे हैं कि प्लीज, प्लीज, प्लीज आप अभी भारत आइए न...!!! आप के उपस्थिति मात्र से इन मजदूरों के भाग्य खुल जायेंगे। उन्हें अपने गांव की ओर नंगे पैर हजारों किलोमीटर चलना नहीं पड़ेगा, उन्हें भुखे नहीं मरना पड़ेगा, रेल के नीचे आकर कटना नहीं पड़ेगा। प्लीज ट्रम्प महोदय, करोड़ों मजदूरों की प्रार्थना स्विकार कीजिए...ये मजदूर आपकी राह में पलक-पावड़े बिछाएं खड़े हैं...
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समर्पित कविता
क्या लिखी जा सकती है कविता
जो हो तुम्हे समर्पित
जिसके शब्द शब्द में
तुमसे जुड़ा हर एहसास हो समाहित...
मुकेश कुमार सिन्हा
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अभिशप्त बचपन
"चल निकाल, दस का फुटकर ! "
संदीप भैया की आवाज़ सुनकर चारों लड़कियों के मासूम चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है। इनमें जो सबसे छोटी थी वह सिर पर से अपनी पोटली उतार कर ज़मीन पर रखती है और फ़िर एक..दो..तीन ..चार.. कुछ इस तरह बुदबुदाते हुये भीख में मिले सिक्कों की गिनती शुरू कर देती है...
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किसका खेल
कितना कुछ होता रहता है
और सच तो ये भी है
कितना कुछ नहीं भी होता ...
फिर भी ...
बहुत कुछ जब नहीं हो रहा होता
कायनात में कुछ न कुछ ज़रूर होता रहता है...
स्वप्न मेरे पर दिगंबर नासवा
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गुलेल बनाऊँगा,
चिड़िया मारूँगा
लोगों का हाल ऐसा ही है न?
चाहे कितना भी इलाज करो, करवाओ
मगर रट एक बात की ही मचाए हैं.
राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
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हर नदिया गाती है !
तट पर बैठो सुनो जरा ,
हर नदिया गाती है ।
कल कल करती जल की धारा
रुक कर ये एक बात बताती है।
निर्मल मन रख कंर करना जब,
अर्पण हो या तर्पंण शांति लाती है।
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अंतर के पट खोल...
अंतर के पट खोल तभी तो
मन होवे उजियार।
मानव योनि मिली है हमको
इसे न कर बेकार ।।
~Sudha Singh vyaghr
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लौट रहें हैं अपने गांव
तुम्हारे वादों को आवाजों को
सिरे से खारिज कर
अपने मजबूत पांव में
बांधकर आत्मनिर्भरता
हम तो लौट रहें हैं अपने गांव--
Jyoti khare
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लोग
जग सारा इक मंजर पर,
एक खौंफ है आंखों में फिर भी मन मैले देखे,
हमने लोगों की बातों में कौन रहेगा कौन बचेगा,
सवाल खड़ा दरवाजों में फिर भी दिल छोटे देखे,...
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सुंदर चर्चाओं के मध्य मंच पर मेरे लेख "अभिशप्त बचपन" को स्थान देने के लिए आपका अत्यंत आभार, प्रणाम।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. मेरी कविता को जगह देने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा मंच सजा है |मेरी रचना को जगह वहां है |
आभार सहित धन्यवाद सर |
है तो सही, आपकी रचना आठवें नम्बर के लिंक पर।
हटाएंधन्यवाद इस चर्चा के लिए,शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंकों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति सर ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंविविधता सम्पन्न संकलन । बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद चर्चामंच, मेरी ब्लॉगपोस्ट को अपने इस अद्भुत कलेक्शन का हिस्सा बनाने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत आभारी हूँ आदरणीय सर मेरी रचना को पठनीय सूत्रों के बीच शामिल करने के लिए।
जवाब देंहटाएंसादर।
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं का संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करनें का आभार
सुन्दर चर्चा.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को जगह देने के लिए
आभार आदरणीय
चर्चा के सुन्दर सूत्र
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...
बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय सर.
जवाब देंहटाएंसादर