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शुक्रवार, अगस्त 07, 2020

"राम देखै है ,राम न्याय करेगा" (चर्चा अंक-3786)

सादर अभिवादन !
शुक्रवार की प्रस्तुति में आप सभी का
हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन ।
आज की चर्चा का शुभारंभ स्मृतिशेष भवानीप्रसाद मिश्र जी की लेखनी से निसृत "मैं क्यों लिखता हूँ' के अंश से-

जब मैं कविता लिखने नहीं बैठा था
तब काग़ज़ काग़ज़ था
मैं मैं था
और कलम कलम
मगर जब लिखने बैठा
तो तीन नहीं रहे हम
एक हो गए
***
आज की चर्चा में आपके अवलोकनार्थ विभिन्न ब्लॉगस्  से
चयनित कुछ लिंक्स प्रस्तुत हैं  -
***
बीत गया सावन सखे, आया भादौ मास।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी, है बिल्कुल अब पास।।
--
दोपायो से हो रहे, चौपाये भयभीत।
मिल पायेगा फिर कहाँ, दूध-दही नवनीत।।
***
अगली बार गाँव गया,
तो छिप के सुनूंगा 
गाँववालों की बातें,
चुरा लूँगा उनमें से 
कुछ कविताएँ 
और थोड़ी-सी कहानियाँ.
***
मेरा और चश्मे का संबंध बहुत ही पुराना है। बालपन में ही इसने मेरे कानों का सहारा ले मेरी नाक पर कब्जा जमा लिया था। शुरुआत में तो काफी तनातनी रही ! मिजाज में धमाचौकड़ी तेज होने के नाते कोई भी चश्मा नाक पर ज्यादा देर कब्जा जमाए नहीं रख पाता था ! एक-दो पखवाड़े में एक चश्में का शहीद होना निश्चित था।
***
    रात्रि का दूसरा प्रहर बीत चुका था, किन्तु विभु आँखें बंद किये करवटें बदलता रहा। एकाकी जीवन में वर्षों के कठोर श्रम,असाध्य रोग और अपनों के तिरस्कार ने उसकी खुशियों पर वर्षों पूर्व वक्र-दृष्टि क्या डाली कि वह पुनः इस दर्द से उभर नहीं सका है।
***
सदियों से ये संघर्ष चला
आज धर्म फिर विजय हुआ।
अयोध्या की छवि अति सुंदर
खुशी लहर ने हृदय छुआ।
राम पधारेंगे अब अँगना
सारा शहर सजाएंगे।
***
टूट रही साँसों की डोरी
बिखर रहा सब ताना-बाना।

भूल-भुलैया में खोए सब
चमक चाँदनी भरमाती है
बिना शोर के टूटे लाठी
घाव नए देकर जाती है
***
कांता घरों में बर्तन व सफाई का काम कर के अपना गुजारा चला रही थी, वो तो भला हो सरिता मैडम का जो पिंकी की पढ़ाई और उसकी फीस में मदद कर देती थीं, कांता बाई देर से आई तो सरिता उसे डांटते हुए बोली ये कोई समय है आने का . 
***
जो दुश्मन है कभी तुमको नहीं अपना कहा करते,
ये कलयुग है यहॉं अपने नहीं अपने हुआ करते ।

कभी मैंने किसी का भी बुरा चाहा नहीं अब तक,
मगर किस्मत ने हाथों में लिखी ठोकर तो क्या करते ।
***
जब चंदा ने तारों ने मेरी कथा सुनी 
जब उपवन की कलियों ने मेरी व्यथा सुनी 
जब संध्या के आँचल ने मुझको सहलाया 
जब बारिश की बूँदों ने मुझको दुलराया ।
***
छोटी-छोटी उलझनों में खोया मन 
देख ही नहीं पाता स्वयं को 
हृदय कमल पर केवल ब्रह्मा ही तो नहीं विराजते 
जो खोजने निकल पड़ते हैं निज मूल 
और भेंट होती है उनकी नारायण से
***
भारत के सांस्कृतिक इतिहास में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जीवन -गाथा अनुपम और अतुलनीय है। प्राचीन काल में उनके । महान जीवन संग्राम पर  महाकवियों द्वारा  कई रामायणों की रचना की गयी है । अलग -अलग समय में ,अलग -अलग भाषाओं में अनेक रचनाकारों ने  भगवान श्रीराम की कीर्ति -कथा को  अपने -अपने ढंग से प्रस्तुत किया है।
***
वह एक डरावनी रात थी। दूर से फौजी जूतों की पास आती ध्वनि, पूरे मोहल्ले में मृत्यु का आतंक फैला रही थी। देश के तानाशाह ने एक नया फरमान जारी किया था। एक विशेष समुदाय के लोगों को खोज खोजकर कोण्सेंट्रेशन कॅम्पस में ठूँसा जा रहा था।
***
जैसे दुनिया कहेगी - भगवान देख रहा है, ईश्वर न्याय करेगा, धर्मराज के द्वार जाना है इत्यादि।
लेकिन हरियाणा मे कहेंगे ―
राम देखै है,
राम न्याय करेगा,
राम के घर जाना है,
राम से डर।
***
इजाजत दें...फिर मिलेंगे..
आपका दिन मंगलमय हो..
🙏 🙏
"मीना भारद्वाज"
***

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर और सार्थक भूमिका।

    जहाँ 'हम' है,वहाँ सृजन है..।
    जहाँ 'मैं' है, वहाँ अहंकार है; स्नेह नहीं तो फ़िर कैसा सानिध्य ..।

    मंच पर इतनी सुंदर रचनाओं के मध्य मेरे सृजन ' यादों की ज़ंजीर' को स्थान देने के लिए आपका अत्यंत आभार मीना दीदी ।

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्यवाद मीना जी मेरी रचना को शामिल करने के लिए
    सभी रचनाकारों को शुभकामनाए
    बेहतरीन अंक

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बहुत शुक्रिया मीणा जी मेरी रचना को इस चर्चा मंच स्थान देने के लिए । सभी रचनाये उत्तम भाव लिए प्रस्तुत की हैं ।
    साभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर चर्चा.मेरी कविता को स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर भूमिका, कलम के द्वारा रचनाकार ही तो उतर जाता है कोरे कागज पर और चर्चा मंच पहुँचा देता है उन रचनाओं को पाठकों तक, आभार मीना जी !

    जवाब देंहटाएं
  6. उपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    धन्यवाद आदरणीया मीना भारद्वाज जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत-बहुत आभार, सम्मिलित कर सम्मान देने हेतु

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर सार्थक सारगर्भित सूत्रों के मध्य 'सुधियों का क्या...... ~!' को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर संकलन, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार सखी।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुंदर लिंकों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति मीना जी,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार

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  11. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीय मीना दी।

    जवाब देंहटाएं
  12. आज की चर्चा में सम्मिलित हो कर आप सबने मंच की गरिमा और शोभा को द्विगुणित करने के साथ मेरा मनोबल संवर्द्धन किया इसके लिए आप सबका हृदयतल से आभार 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  13. साथी ब्लॉगरों की सुरुचिपूर्ण और ज्ञानवर्धक रचनाओं का बढ़िया सार -संकलन । अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं

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