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रविवार, अगस्त 09, 2020

"भाँति-भाँति के रंग" (चर्चा अंक-3788)

 मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
 हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी पर्व भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है, जिसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 12 अगस्त को पड़ रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन श्रीकृष्ण के भक्त उनकी आराधना में उपवास रखते हैं। घरों में बाल गोपाल की पूजा होती है। उनके लिए झूले सजायें जाते हैं। 
हर बार की तरह इस बार भी जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है। 11 और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। लेकिन 12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ है। मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा। 
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और भक्ति के लिए उपवास करें। अपने घर की विशेष सजावट करें। विद्वानों, माता-पिता और गुरुजनों के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लें। इसके साथ ही यह ध्यान रखें कि परिवार में कोई भी किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करे। 
मेरा सृजन पर Onkar Singh 'Vivek' 
जब हर घर में जन्मते, दुनिया में इंसान।
मानवता का क्यों हुआ, फिर जग में अवसान।।
--
देख दशा संसार की, हुए हौसले पस्त।
भरी दुपहरी में हुआ, मानो सूरज अस्त।। 
उच्चारण पर डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
कुछ पाना है जग में आकर 
क्या पाना है यह ज्ञात नहीं, 
कुछ भरना है खाली मन में 
क्या भरना है आभास नहीं  
 मृगमरीचिका-सी भ्रम जाल फैलाती 
 धूप-सी जलाती है ज़िंदगी।
कभी बरसात बन भिगोती 
पेड़-सा आसरा बनती है ज़िंदगी।
गूँगी गुड़िया पर अनीता सैनी 
अर्पित ‘सुमन’ पर सु-मन (Suman Kapoor)
खोलना चाहती थी ,
मन की वीथियों के ।
बंद दरवाजे ...
नेह में डूबे ,
फुर्सत के लम्हों में ।
मगर…
कुंडी-तालों पर ,
जंग लगा था ।
दुनियादारी का…
नेह का तेल ,
पानी सा हो गया ।
या फिर…
चाबी खो गई ,
वक्त के दरिया में ।
जल्दबाजी में…
मेरी स्मृति ही ,
धूमिल हो गई थी कहीं ।
मंथन पर Meena Bhardwaj 

सरहद के उस ओर 

मैं सरहद के इस ओर से देखता हूँ
उस ओर की हरियाली,
कंटीली तारें नहीं रोक पातीं
मेरी लालची नज़रों को.
सतर्क खड़े हैं बाँके जवान
इस ओर भी, उस ओर भी,
पर वे चुप हैं,
उनकी संगीनें भी चुप हैं. 
कविताएँ पर Onkar  
सीप रो भी नही पाई
मोती के कारण जान गमाई
कभी इसी मोती के कारण
दूसरी सिपियों से
खुद को श्रेष्ठ मान लिया
हाय क्यों मैंने!! 
स्वाति का पान किया ।। 

विनीत तिवारी :  

भीष्म साहनी की जन्मशताब्दी वर्ष 2015 में  

घाटशिला में दिया वक्तव्य 

शब्दों के माध्यम से पर शेखर मल्लिक   

इंसानियत का उजाला हो तो बेहतर है..... 

दिल की गलियों में इंसानियत का उजाला हो तो बेहतर है
करुणा,प्रेम रस से ह्रदय सिंचित हो तो बेहतर है।
कलह से भरा घर भला खुशियों से आबाद कहाँ होता है
रिश्तों में खुसबू-ए वफ़ा त्याग की बुनियाद हो तो बेहतर है। 
सागर लहरें पर उर्मिला सिंह 
कांग्रेस १३५ साल से परे कौन जीता है।भारत धर्मी समाज के एक सौ पैंतीस करोड़ से ऊपर लोग कब्र के लिए ज़मीन की तलाश पूरी कर लिए हैं।
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक  ,कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक। 

राम के चरित्र को समझने में वह समय महत्वपूर्ण रहा ! समझ में आया कि राम को क्यों मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता हैं ? पर मैं मानती हूँ कि हमारे भक्ति से अधिक हमारे आचरण में राम होने चाहिए ! राम के प्रति भक्ति से भारत में उतना सुधार  नहीं हो सकता जितना राम को आचरण में रखने से हो सकता हैं ! 
Gatyatmak Jyotishपर संगीता पुरी  
मेजर माइक टैंगो! ये वही ऑफिसर है जिसकी लीडिंग में सर्जिकल स्ट्राइक अंजाम दी गयी थी और 80 कमांडोज़ में से एक भी कमांडो हताहत नहीं हुआ।
अब सोचिए क्या डिप्रेशन लेवल रहा होगा उस शख्स का जिसे हर कोई लताड़ रहा है, जिसे गटर में रखा जाता है और उससे सड़ा माँस कटवाया जाता है। अब आप दिल पे हाथ रखकर बताइए कि हीरो कौन हैं? हृतिक रौशन या शाहरुख़ खान? जिन्हें देखकर हमारे बच्चे वैसा बनना चाहते हैं और न बन पाने की सूरत में नस काट लेते हैं या मेजर माइक टैंगो और क्रिस काइल जिनके नाम तक आम लोगों तक नहीं पहुँच पाते पर उनकी वजह से आज हम चैन से बैठे हैं?
मुझे लगता है, इस देश के नौजवानों को डिप्रेशन से निकलना है तो उन्हें अपने आइडल्स बदलने की ज़रुरत है पर आपको ये पोस्ट शेयर करने से पहले मुझसे पूछना ज़रूरी नहीं है। 

रायटोक्रेट कुमारेन्द्र पर राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर 
मालूम था हमको,वो बुरी चीज है,
जिसे पीती है दुनियांं बडे नाज से,
मगर, ऐ साकी, बर्बाद हम यूं हुए,
कुछ तेरे पिलाने भर के अन्दाज से। 
'परचेत' पर पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
निराशा भी बडे निराशाजनक तरीके से अभिव्यक्त होती है 
इस गीत की तरह---
बीहडों की कंकरीली राह सी हुई।
जिन्दगी यूँ किसलिये गुनाह सी हुई ?

यह जो सन्ताप है ,
किसका अभिशाप है ।
गीत बन सका न दर्द,
बन गया प्रलाप है ।
सौतेले रिश्तों के डाह सी हुई।
जिन्दगी यूँ किसलिये गुनाह सी हुई ? 
Yeh Mera Jahaan पर गिरिजा कुलश्रेष्ठ  

व्यथा 

मेरी व्यथा की कथा 
क्या कहूँ......
मैं हूँ इक "आम"आदमी 
"आम"आदमी 
जो होता नहीं 
  कभी खास...। 
अभिव्यक्ति पर शुभा   

घंटी 

जनरल मैनेजर गोयल साब बैंक से रिटायर हो चुके थे. इस ख़ुशी में पार्टियां दे भी दी और पार्टियां ले भी लीं. अब किसी तरह की नौकरी करने का कतई मन नहीं था. दोनों बच्चे अमरीका चले गए और अब क्या कमाना. पेंशन के मज़े ले रहे हैं. सुबह अखबार के पन्ने उलट पुलट कर रहे थे तभी घंटी बजी. कॉलोनी की सुधार समिति के प्रधान जी दो साथियों के साथ आ गए. - नमस्कार जी. गोयल साब कैसे दिन कट रहे हैं? - मजे में हैं भई. कभी कभी देश विदेश घूम लेते हैं और कहीं ना जाना हो तो मैगज़ीन अखबार पढ़ लेते हैं... 
Sketches from life पर Harsh Wardhan Jog 
कल ही तो पूछा था
पानी पिलाते हुए
कैसा लग रहा आज ?

हमेशा की तरह
मुस्कुराकर
फुसफुसाती सी
आवाज़ में बोले
अच्छा ....! 
रूप-अरूप पर रश्मि शर्मा 
हमारा मक़्सद  
इंसाफ़ के लिये 
सतत संघर्ष है
पथरीली-कटीली 
राहों पर चलना 
रहा मंज़ूर 
हमें सहर्ष है।  
हिन्दी-आभा*भारत  पर Ravindra Singh Yadav 
आज के लिए बस इतना ही...! 

15 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता को शामिल किया. आभार.

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति. मेरे सृजन को चर्चा में। सम्मिलित करने हेतु सादर आभार सर.

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  3. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति । मेरी रचना को इस प्रतिष्ठित चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।

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  4. भूमिका के माध्यम से सुंदर जानकारी मिली।

    आज ललही छठ है। इस दिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इसे बलराम जयंती भी कहते हैं। हलषष्ठी का व्रत केवल पुत्रवती महिलाएं ही रखती हैं। विन्ध्य त्रिकोण के अंतर्गत स्थित माता षष्ठी देवी का मंदिर है।

    त्रिकोण परिपथ के अंतर्गत माता विन्ध्यवासिनी की दस महाविद्या शक्ति और नौ शक्तियाँ विन्ध्य पर्वत पर विराजती हैं, उन्हीं में से एक चमत्कारी शक्ति का नाम है माँ कात्यायनी ,जिन्हें यहाँ षष्ठी माता के नाम से भी जाना जाता है । आज के दिन इन्हीं का पूजन होता है।

    उल्लेखनीय है कि भगवान श्रीकृष्ण की बहन यशोदा-पुत्री योगमाया का अवतरण विंध्यक्षेत्र में हुआ था । इसलिए भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी के धाम में योगमाया की जयंती, पूजन, व्रत, उपवास तथा विविध आध्य्यात्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं । योगमाया की अनुकम्पा पाने के लिए श्रद्धालु पूरी रात जागते हैं तथा भजन-कीर्तन के माध्यम से योगमाया को प्रसन्न करते हैं । इसे लोकभाषा में 'जगरन' का पर्व कहा जाता है ।
    श्रीमद्भागवत की कथा के अनुसार कंस की बहन देवकी के 6ठें पुत्र शेषावतार बलराम का संकर्षण खुद योगमाया ने कृष्ण के कहने पर किया और वे वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थापित किया तथा स्वयं यशोदा के गर्भ से जन्म लिया ।

    बहन योगमाया और भ्राता बलराम के जन्म के पश्चात अष्टमी तिथि को स्वयं योगेश्वर कृष्ण का अवतरण हुआ है, इसीलिए भाद्रपद माह कल्याण का महीना माना जाता है।

    आप सभी को प्रणाम।

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  5. 'घंटी' को शामिल करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!

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  6. बहुत सुंदर चर्चा अंक! भूमिका में त्योहार गत जानकारी ।
    बेहतरीन रचनाकारों की शानदार रचनाएं'सभी को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

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  7. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

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  8. बहुत सुन्दर चर्चा अंक।हमारी रचना को शामिल करने के लिए शुक्रिया।

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  9. बेहतरीन चर्चाअंक सर ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार

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  10. बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय सर मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर आभार ।

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  11. बहुत सुंदर प्रस्तुति एक से बढ़ कर एक, बधाई रचनाकारों को और संकलन कर्ताओं को

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  12. विविध विषयों पर सुंदर रचनाओं के सूत्र देती सुंदर चर्चा ! आभार मेरी रचना को शामिल करने हेतु।

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