फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, अगस्त 12, 2020

"श्री कृष्ण जन्माष्टमी-आ जाओ गोपाल" (चर्चा अंक-3791)

 मित्रों!
सभी पाठकों को श्री कृष्ण जन्मोत्सव की बधाई हो!
--
बिना किसी भूमिका के बुधवार की चर्चा में
मेरी पसन्द के कुछ लिंक देखिए-

"कलयुग तुम्हें पुकारता, आ जाओ गोपाल" 

जब-जब अत्याचार सेलोग हुए लाचार।
तब-तब लेते धरा परमहापुरुष अवतार।।
--
बढ़ते पापाचार सेहुए सभी बेहाल।
कलयुग तुम्हें पुकारताआ जाओ गोपाल।। 

लीलाधर की लीला 

काली अँधियारी निशा,खुलते कारागार।
वासुदेव की गोद में,किलके तारणहार।

प्रभु की इच्छा से चले,करने यमुना पार
स्वागत में प्रभु की खुले,नंद भवन के द्वार। 
Anuradha chauhan  
कानों सुनी -आँखों देखी 
शेरू शांत हो गया 
मालिक का मन 
क्लांत हो गया
शेरू पर अब 
प्यार का सागर 
उमड़ आया
मालिक ने 
थपकी देकर
रुँधे गले से 
गले लगाया।
Ravindra Singh Yadav

चाहता हूँ अब प्रलय आए 


कुछ ऐसा हो जो दिल दहलाए  
धरती गगन समंदर सब हिल जाए  
चाहता हूँ अब प्रलय आए।  
ठौर बदलते इस बुरे दौर का  
जलता दीपक अब बुझ जाए  
चाहता हूँ अब प्रलय आए।  
कोई नहीं भरोसे जैसा  
धोखे का निशाँ मिट जाए  
चाहता हूँ अब प्रलय आए। 
जो मेरा मन कहे पर यशवन्त माथुर 

बादल 

इधर उधर से आए बादल  
आसमान में छाए बादल  
आसमां हुआ स्याह घन घोर घटाएं छाई है |  
जब बदरा हुए इकट्ठे गरजे तरजे टकराए  
आपस में टकराने से हुआ शोर  
जबरदस्त विद्द्युत कौंधी  
रौशनी फैली गगन में 

चाय पीने के अरमान 

कुल्लड़ वाली चाय यह मन को है ललचाय  
दूध मलाई जब डले स्वाद अमृत बन जाए  
कुल्लड़ वाली चाय की, सोंधी सोंधी गंध  
और इलाइची साथ में,पीने का आनंद  
बांचे पाती प्रेम की, दिल में है तूफान  
नेह निमंत्रण चाय का, महक रहे अरमान  
shashi purwar 

मन पंकज बन खिल सकता था ! 


तन कैदी कोई मन कैदी 
कुछ धन के पीछे भाग रहे, 
तन, मन, धन तो बस साधन हैं 
बिरले ही सुन यह जाग रहे !

रोगों का आश्रय बना लिया 
तन मंदिर भी बन सकता था, 
जो मुरझा जाता इक पल में  
मन पंकज बन खिल सकता था ! 

किताबों  की दुनिया  

उसने पढ़ी नमाज तो 
मैंने शराब पी  
दोनों को, लुत्फ़ ये है  
बराबर नशा हुआ  

A Letter To Papa 

आपकी अलमारियां साफ करते समय
एक दिन कविताओं से भरी आपकी डायरी मिली
समय के प्रभाव से जर्द होते,
बिखरते,
एक-एक पन्‍ने पर
आपकी मुस्‍कुराहट
आपकी उदासी की छाया
स्‍याही के उतरते रंगों में
आज भी पैबस्‍त हैंपापा।
यह वसीयतनामा था
आपके जीवन
और जीने के सलीके का. 
Ghonsla पर Rajiv  

कोरोना रे अब तो जा रे 


कोरोना रे, अब तो जा रे|
जाड़े गये, फिर गर्मी आई,
तूने पाँव पसारे|
लोग-बाग़ घर भीतर घुसि गए,
तूने डेरे डारे|
बारिश जाई रही अपने घर,
अब तो तू भी जा रे| 
विमल कुमार शुक्ल 'विमल' 

ऐसा भी क्या बिगड़ा है 

ये जो प्यारा मुखड़ा है
क्यों ऐसे उखड़ा उखड़ा है

प्यार, मोहब्बत और ये शिक़वे

हर प्राणी का दुखड़ा है... 
अनकहे किस्से पर Amit Mishra 'मौन'  

हाथ खेतों के धान होते हैं 


वो जो कड़वी ज़ुबान होते हैं, 
एक तन्हा मचान होते हैं. 


चुप ही रहने में है समझदारी, 

कुछ किवाड़ों में कान होते हैं. 


स्वप्न मेरे पर दिगम्बर नासवा 

एक भुला दिया गया शहज़ादा-  

दारा शिकोह 

दारा शिकोह मुग़ल सल्तनत का एक शहज़ादा जिसे शाहज़हां ने अपना उत्तराधिकारी माना था, जो हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धाराओं के दार्शनिक पहलुओं को जोड़ने को प्रयासरत था। इसी कड़ी में उसने उपनिषदों का अनुवाद किया, वेदांत और सूफ़ीवाद का तुलनात्मक अध्ययन किया और कई पुस्तकें लिखीं। कहते हैं वह अपने एक हाथ में उपनिषद और दूसरे हाथ में पवित्र कुरान रखते थे। वे भगवान श्रीराम के नाम की अंगुठी पहनते थे तो नमाज़ भी पढ़ते थे।शायद यही प्रतिभा, विद्वता और उदारता उसकी सबसे बड़ी दुश्मन हो गई... 
DHAROHAR पर अभिषेक मिश्र  

कहीं फिर नारा न लगाना पड़ जाये 

एक बात गाँठ बाँध लो, जहाँ बाँध पाओ. चुटिया में, धोती में या कहीं और. यदि वे खुलकर कह रहे हैं कि मंदिर गिरा देंगे तो इसके निहितार्थ समझो. वे कह रह तो मतलब है कि करने की दम रख रहे, करने को अपने लोगों को एकजुट होने का आव्हान कर रहे और तुम सब क्या कर रहे? तुम सब किसी न किसी का इंतजार करने में लगे हो. चाहे वो आडवाणी जी हों, कल्याण सिंह हों, न्यायालय हो, मोदी-योगी हों. तुम्हारे करे-बूते कुछ नहीं. ध्यान रखना यदि तुम सबकी इसी अति-सक्रियता में प्रदेश में सरकार बदल गई तो... तो फिर नारा लगाना, 
*रामलला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे.* 
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र पर राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर 

जब से हमारे रस्ते जुदा हो गए 


 जब से हमारे रस्ते जुदा हो गए 
वो खुश और हम तनहा हो गए 
अपने ही हाथो से तराशा जिन्हे 
वे ही पत्थर मेरे ही ख़ुदा हो गए  

मानसून 

उम्मीदों का मानसून खूब घुमड़ घुमड़ के आयेगा
धरती पर छम छम करता रिम झिम गीत गाएगा
प्रेम आभार विश्वास और मेहनत के बीजों को
फलों फूलों उन्नति करो का आशीष दे जाएगा
हर वृक्ष ,हर वेल हर पुष्प प्रेम गीत गाएगा 
Hindi Pandit Jii पर hindiguru 

कोविड के दौर में डेंगू की मार 

इयत्ता पर इष्ट देव सांकृत्यायन  
आज के लिए बस इतना ही...
--

12 टिप्‍पणियां:

  1. जय श्री कृष्णा,जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
    बेहतरीन अंक
    सभी लिंक्स शानदार
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  2. विविधताओं से परिपूर्ण सृजन से सजी सुन्दर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें ! चर्चा मंच की सुंदर प्रस्तुति, आभार मेरी रचना को शामिल करने हेतु।

    जवाब देंहटाएं
  4. ब्लॉगर साथियों की सम -सामयिक रचनाओं का सराहनीय सार -संकलन । आपको और सभी ब्लॉगर मित्रों को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर चर्चा,

    श्री कृष्ण जन्माष्टमी कि हार्दिक शुभकामनाएँ|

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय सर, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय। आप सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर चर्चा ....बधाई

    कृपया मेरे ब्लॉग साहित्य वर्षा पर भी पधारें 🙏
    लिंक दे रही हूं -
    https://sahityavarsha.blogspot.com/2020/08/blog-post_12.html?m=1

    जवाब देंहटाएं
  9. विस्तृत चर्चा है आज की ...
    आभार मेरी गज़ल को शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  10. आदरणीय शास्त्री जी बहुत ही शानदार आज की चर्चा मंच और मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।