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बुधवार, अगस्त 26, 2020

"समास अर्थात् शब्द का छोटा रूप" (चर्चा अंक-3805)

 26 अगस्त 2020, दिन: बुधवार, श्री राधाष्टमी।  
हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
देवी राधा का पूजन दोपहर के समय करना शास्त्र सम्मत है। इस वर्ष 25 अगस्त को 12 बजकर 22 मिनट से अष्टमी तिथि लग रही है और 26 अगस्त को सुबह 10 बजकर 40 पर पर अष्टमी समाप्त हो रही है। 
राधा जी की पूजा के बिना श्रीकृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गयी है। श्रीमद देवी भागवत में श्री नारायण ने नारद जी के प्रति ‘श्री राधायै स्वाहा’ षडाक्षर मंत्र की अति प्राचीन परंपरा तथा विलक्षण महिमा के वर्णन प्रसंग में श्री राधा पूजा की अनिवार्यता का निरूपण करते हुए कहा है कि श्री राधा की पूजा न की जाए तो मनुष्य श्री कृष्ण की पूजा का अधिकार नहीं रखता। अतः समस्त वैष्णवों को चाहिए कि वे भगवती श्री राधा की अर्चना अवश्य करें। श्री राधा भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसलिए भगवान इनके अधीन रहते हैं। यह संपूर्ण कामनाओं का राधन (साधन) करती हैं, इसी कारण इन्हें श्री राधा कहा गया है। राधा जी की आरती निम्नवत् है-
आरती राधा जी की कीजै, 
कृष्ण संग जो करे निवासा, कृष्ण करें जिन पर विश्वासा, 
आरति वृषभानु लली की कीजै।  
कृष्ण चन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई,  
उसी शक्ति की आरती कीजै।  
नन्द पुत्र से प्रीति बढाई, जमुना तट पर रास रचाई,  
आरती रास रचाई की कीजै।  
प्रेम राह जिसने बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई,  
आरती राधा जी की कीजै।  
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती,  
आरती दु:ख हरणी की कीजै।  
कृष्ण चन्द्र ने प्रेम बढाया, विपिन बीच में रास रचाया,  
आरती कृष्ण प्रिया की कीजै। दुनिया की जो जननि कहावे,  
निज पुत्रों की धीर बंधावे, आरती जगत मात की कीजै।  
निज पुत्रों के काज संवारे, आरती गायक के कष्ट निवारे,  
आरती विश्वमात की कीजै।

 मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

श्री गणेश स्तुति 

हे गणपति, हे गणराया। 
समझ न पाए, कोई तेरी माया ।1। 
शिव पार्वती के, तुम हो दुलारे । 
शीश पे सोहे, मुकुट तुम्हारे।2।  
~Sudha Singh vyaghr~ 

रात सदा रात होती है 



अपनी अस्मिता क़ुर्बान करनी चाहिए थी ?  
सुनो ! 
खोखली मान्यताओं के पहरेदारों  
बेटी  है अब सड़क पर  उतर  आई  नए मूल्यों की इबारत लिखने से रोक पाओगे ? 
हिन्दी-आभा*भारत पर 
Ravindra Singh Yadav 

लज़्ज़ते-इश्क़ का, कभी बयां नहीं होता 
ज़मीं नहीं होती, उनका आसमां नहीं होता
सीने में जिनके छुपा कोई तूफ़ां नहीं होता।
क्यों खोखले शब्दों को सुनना चाहते हो 
लज़्ज़ते-इश्क़ का, कभी बयां नहीं होता।
साहित्य सुरभि पर दिलबाग सिंह विर्क 

उन्मुक्त उड़ान 

देख कर उन्मुक्त उड़ान भरती चिड़िया की  
हुआ अनोखा एहसास उसे  
पंख फैला कर उड़ने की कला  
खुले आसमान में जागी  
उन्मुक्त जीवन जीने की चाह  
अंतस में... 

ढाक ने अपनी रीत बताई,  

तीन पात ही रहेंगें भाई ! 

अब वे दिन तो लद गए जब इस पार्टी में एक से बढ़ कर एक नेता हुआ करते थे ! जिन्हें सारा देश जानता-मानता था। अब तो सब कुछ सिमट कर तीन जनों पर आ सिमटा है। सोनिया जी, राहुल तथा प्रियंका ! दल के प्रथम तीन स्थानों पर इन्हीं का वर्चस्व है और होना भी चाहिए, पार्टी के यही तीन सदस्य ऐसे हैं जिनकी देश भर में पहचान है। कहीं भी जाएं तो कमोबेस इनके समर्थक मिल ही जाएंगें। चौथा स्थान फिलहाल खाली है, शायद उसके लिए तैयारी चल रही है। अब पांचवें पायदान पर तकरीबन पचास लोग, गिरने से अपने को बचाने, अपने अस्तित्व को संभालने, अपनी पहचान बनाए रखने के लिए जोर आजमाइश में जुटे हुए हैं। यह जानते हुए भी कि तीन के बाद सब तृण हो जाते हैं ! दुनिया को तीन तक ही कुछ याद रह पाता है, स्वर्ण-रजत-कांस्य ! उसके बाद तू कौन तो मैं कौन ! 
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा 

बाढ़ की विभीषका दानव की तरह मुंह फैलाये  

जन जीवन को त्रस्त कर रही है। 

उस समय की मनःस्थिति को चित्रित करती हुई रचना..... 

बेजान होगई है जिन्दगी सबकी
विस्मृति होगई है सावन कजली
बचे भी तो अन्न के दानों से महरूम हो जाएंगे
बह गईं खुशियां हजारों परिवार की
बच गई बदनसीबी ही बदनीसीबी सबकी।। 
सागर लहरें पर उर्मिला सिंह 

अंतस में दर्ज मधुमास के अनावरण का नाम है  

'फरवरी नोट्स' 

फरवरी नोट्स’ इन्ही मुश्किलोंनेह छोह के संबंधों और मन की छटपटाहटों की कहानी समेटे हुए है। यह कहानी मेरी हैयह कहानी आपकी हैयह कहानी हर उस व्यक्ति की है जिसके हृदय में स्पंदन है और स्मृतियों में कोई धुंधली सी याद जो एक निश्छल मुस्कुराहट का कारण बन जाती है। 

PAWAN VIJAY  


नाम 

मुझे अच्छा लगता है अपना नाम,
जब पुकारता है अपना कोई,
अक्षर-अक्षर में भरकर 
ढेर-सारा प्यार,
भीगी हवाओं की तरह 
मेरे कानों तक पहुँचता है मेरा नाम,
ख़ुशी भर देता है मेरे रोम-रोम में... 
कविताएँ पर Onkar 


अटकन-चटकन: कुछ प्रतिक्रियाएं 

अपनी किताब की प्रशंसा , अपनी ही वॉल पर, खुद के द्वारा पोस्ट करने में सकुचाहट तो होती है, लेकिन फिर आप सब तक वो रिव्यू कैसे पहुंचे, जो केवल मुझे मिला हो? फिर किताब का पहला रिव्यू एक अलग ही महत्व रखता है। Shaily Ojha मेरी भांजी है, मोटिवेशनल स्पीकर है और सकारात्मकता से भरी एक ऐसी शख़्सियत है, जिसका साथ हमेशा खुशनुमा अहसास से भर देता है। आज शैली का छोटा सा, प्यारा सा रिव्यू मिला तो मैंने झट से Rashmi Ravija की तर्ज़ पे उससे फ़ोटो भी मांग ली, किताब सहित। आप भी देखें, क्या लिखा शैली ने-.. 
वन्दना अवस्थी दुबे 


अजिंक्य शर्मा से दूसरा चेहरा पर  

छोटी सी बातचीत 

अजिंक्य शर्मा ब्रजेश कुमार शर्मा का उपनाम है। ब्रजेश कुमार शर्मा छत्तीसगढ़ के महासमुन्द नामक नगर में रहते हैं। फिलहाल छत्त्तीसगढ़ में वे एक साप्ताहिक समाचार पत्र में कार्यरत हैं। बचपन से ही किस्से कहानियों के शौकीन अजिंक्य शर्मा उपन्यासों और कॉमिक बुक्स पढ़ा करते हैं। किस्से कहानियाँ पढ़ते पढ़ते ही वो अब किस्से कहानियाँ गढ़ने लगे हैं... 
विकास नैनवाल 'अंजान' 

अब घर में रहेंंगे  

सोनू भईया के बहन और भाई। 

Sonu sood
बस से शुरू हुआ सफर,
ट्रेन की मदद से,
हवाई जहाज तक पहुँचा।

खेत जोतने को ट्रैक्टर,
पढ़ने को किताब, 
ऑपरेशन और दवाई।
सबको मिला है रोजगार,
होगी खूब कमाई।

अब घर में रहेंगे,
सोनू भईया के
बहन और भाई।  

धरती सदा लुटाती वैभव 

धरती हर तन को धारे है 
वसुधा तप से प्राणी हैं थिर, 
पृथ्वी का आकर्षण बाँधे
भूमि में ही मिलेंगे इक दिन ! 

छिपे धरा में मोती-माणिक 
नदियाँ बहतीं हिम शिखरों से, 
रुधिर नाड़ियों में संचारित 
अनगिन राज छिपे नर तन में !

रात जागी तो कान में बोली
इस अँधेरे की अब चली डोली
बंद रहना ही इसका अच्छा था
राज़ की बात आँख ने खोली 

स्वप्न मेरे पर दिगम्बर नासवा 

आज खोया आसमां है 
काले मेघों से घिरा है 
रोक दो इन बारिशों को 
डूबी जाए अब धरा है। 
आँसुओं की उठती लहरें 
नयन का सागर भरा है 
शूल बन कर चुभती यादें 
घाव अब तक वो हरा है। 
अनकहे किस्से पर Amit Mishra 'मौन' 


जनशून्य प्लेटफॉर्म, आखरी ट्रेन भी
जा चुकी, न किसी का इंतज़ार,
न ही कोई मिलन बिंदु की
तलाश, दूर तक कुछ
है तो सिर्फ़ यादों
की परछाइयां... 
SHANTANU SANYAL शांतनु सान्याल 

अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफर के हम हैं। 

रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं। 

सारसंक्षेप -भावसार-मंतव्य : 

जिधर प्रारब्ध ले जाए व्यक्ति पहुँच जाता है  

उसके हाथ में खुद कुछ नहीं होता।  

(परम्परा गत चिंतन ) (निदा फ़ाज़ली साहब ) - 

अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफर के हम हैं।

रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं।

-- 

पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है, 

अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं 

-- 

रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं 

अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफर के हम हैं। 

-- 

कबीरा खडा़ बाज़ार में पर virendra sharma  


आखिर क्या है सम्बंध 
सगे- सम्बंधी में
या बिना संबंध के ही
रहते हैं एक साथ
जैसे रहते हैं कई बार लोग
या दोनों है एक दूसरे के पूरक
क्या इस युग्म में समाहित हैं
वो संबंध भी जिनके मध्य
नहीं है कोई संबंध, संबंध होकर भी
क्या ये मिलकर बनाते हैं परिधि
जिसमें समा सकते हैं
सारे रिश्ते... 

Active Life पर 
Sawai Singh Rajpurohit

 अन्त में देखिए,
हिन्दी व्याकरण पर आधारित मेरी यह पोस्ट-

विभक्तियों का लोप कर. करता जो उद्भास। 
शब्दों के विन्यास का, छोटा रूप समास।।
    समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि "समास वह क्रिया हैजिसके द्वारा कम-से-कम शब्दों मे अधिक-से-अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। 
   समास’ शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है छोटा-रूप। अतः जब दो या दो से अधिक शब्द (पद) अपने बीच की विभक्तियों का लोप कर जो छोटा रूप बनाते हैंउसे समास की संज्ञा दी गयी है। 

आज के लिए बस इतना ही-  

14 टिप्‍पणियां:

  1. राधा अष्टमी की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई

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  2. सराहनीय चर्चा और मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आदरणीय शास्त्री जी का बहुत-बहुत आभार/धन्यवाद

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  3. सुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.

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  4. राधा अष्टमी के उत्सव पर सभी रचनाकारों व पाठकों को बधाई, बेहतरीन रचनाओं से सजा चर्चा मंच, आभार मेरी रचना को स्थान देने हेतु !

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  5. उम्दा लिंक्स|मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |समास पर रचना बहुत अच्छी लगी |

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  6. सुन्दर प्रस्तुति। अजिंक्य शर्मा जी के साथ उनके उपन्यास पर की गयी बातचीत को चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।

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  7. बहुत सुंदर चर्चाओं का सुंदर संकलन।
    राधा अष्टमी पर बहुत सुंदर जानकारी।
    सभी रचनाकारों को बधाई, बहुत शानदार प्रस्तुति।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

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  8. बहुत विस्तृत ... अनेक सूत्र ...
    आभार मेरी गज़ल को भी इस सूत्र में पिरोने के लिए ...

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  9. सुन्दर संकलन । सुन्दर सार्थक सूत्रों का संयोजन ।

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  10. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

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  11. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

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  12. बहुत सुंदर सामयिक प्रस्तुति। बेहतरीन रचनाओं का चयन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    इस लाजवाब प्रस्तुति में मेरी रचना शामिल करने के लिए सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी।

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