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रविवार, नवंबर 15, 2020

"गोवर्धन पूजा करो" (चर्चा अंक- 3886 )

 मित्रों!
दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की शृंखला में 
गोवर्धन पूजा की आपको बधाई हो।
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दीपावली की अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाती के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।

जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।

गोवर्धन पूजा के सम्बन्ध में एक लोकगाथा प्रचलित है। कथा यह है कि देवराज इन्द्र को अभिमान हो गया था। इन्द्र का अभिमान चूर करने हेतु भगवान श्री कृष्ण जो स्वयं लीलाधारी श्री हरि विष्णु के अवतार हैं ने एक लीला रची। प्रभु की इस लीला में यूं हुआ कि एक दिन उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे। श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से मईया यशोदा से प्रश्न किया " मईया ये आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं" कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोली लल्ला हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं। मैया के ऐसा कहने पर श्री कृष्ण बोले मैया हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? मैईया ने कहा वह वर्षा करते हैं जिससे अन्न की पैदावार होती है उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है। भगवान श्री कृष्ण बोले हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं अत: ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए।

लीलाधारी की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के बदले गोवर्घन पर्वत की पूजा की। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगे कि, सब इन*#का कहा मानने से हुआ है। तब मुरलीधर ने मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछडे़ समेत शरण लेने के लिए बुलाया। इन्द्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हुए फलत: वर्षा और तेज हो गयी। इन्द्र का मान मर्दन के लिए तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियत्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।

इन्द्र लगातार सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे तब उन्हे एहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता अत: वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सब वृतान्त कह सुनाया। ब्रह्मा जी ने इन्द्र से कहा कि आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं और पूर्ण पुरूषोत्तम नारायण हैं। ब्रह्मा जी के मुंख से यह सुनकर इन्द्र अत्यंत लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु हैं और कृपालु भी इसलिए मेरी भूल क्षमा करें। इसके पश्चात देवराज इन्द्र ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया।

इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्घन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्घन पर्वत की पूजा करते हैं। गाय बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रंग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।

गोवर्धन पूजा की विधि

इस दिन प्रात प्रात काल शरीर पर तेल की मालिश करने के बाद में स्नान करने का प्राचीन परंपरा है. इस दिन आप सुबह जल्दी उठकर पूजन सामग्री के साथ में आप पूजा स्थल पर बैठ जाइए और अपने कुल देव का, कुल देवी का ध्यान करिए पूजा के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत पूरी श्रद्धा भाव से तैयार कीजिए. इसे लेटे हुये पुरुष की आकृति में बनाया जाता है. यदि आप से ठीक तरीके से नहीं बने तो आप चाहे जैसा बना लीजिए. प्रतीक रूप से गोवर्धन रूप में आप इसे तैयार कर लीजिए फूल, पत्ती, टहनीयो एवं गाय की आकृतियों से या फिर आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे किसी भी आकृति से सजा लीजिए.

गोवर्धन की आकृति तैयार कर उनके मध्य में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है नाभि के स्थान पर एक कटोरी जितना गड्ढा बना लिया जाता है और वहां एक कटोरि या मिट्टी का दीपक रखा जाता है फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद और बतासे इत्यादि डालकर पूजा की जाती है और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.

गोवर्धन पूजा के दौरान एक मंत्र का जाप करना चाहिए.

कुछ स्थानों पर गोवर्धन पूजा के साथ ही गायों को स्नान कराने की उन्हें सिंदूर इत्यादि पुष्प मालाओं से सजाए जाने की परंपरा भी है इस दिन गाय का पूजन भी किया जाता है तो यदि आप गाय को स्नान करा कर उसे सजा सकते हैं या उसका श्रृंगार कर सकते हैं तो कोशिश करिए कि गाय का श्रृंगार करें और उसके सिंह पर घी लगाए गुड खिलाएं. गाय की पूजा के बाद में एक मंत्र का उच्चारण किया जाता है जिससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और आपके घर में कभी धन की कमी नहीं रहती है.

फल मिठाई इत्यादि आप पूजा के दौरान गोवर्धन में अर्पित करिए गन्ना चढ़ाई है और एक कटोरी दही नाभि स्थान में डाल कर झरनी में से छिड्कते हैं. गोवर्धन जो बनाया जाता है गोबर का उसमें दहि डालकर उसको झरनी से छानीये और फिर गोवर्धन के गीत गाते हुए गोवर्धन की सात बार परिक्रमा की जाती है परिक्रमा के समय एक व्यक्ति हाथ में जल का लोटा व दुसारा व्यक्ति अन्न यानि कि जौ लेकर चलते हैं और जल वाला व्यक्ति जल की धारा को धरती पर गिराते हुआ चलता है और दुसरा अन्न यानि कि जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करते हैं.

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"गोवर्धन पूजा करो, शुद्ध करो परिवेश" 

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गोवर्धन पूजा करो, शुद्ध करो परिवेश।
गोसंवर्धन से करो, उन्नत अपना देश।
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अन्नकूट के दिवस परकरो अर्चना आज।
गोरक्षा से सबल होपूरा देश समाज।।
सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे लिए 
थक-हारकर
 जब सो जाती है पवन 
दीपक की हल्की-सी लौ में 
मिलने आतीं हैं 
बीते लम्हों की 
कुछ हर्षित परछाइयाँ 
अनीता सैनी, गूँगी गुड़िया 
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"जन्मदिवस चाचा नेहरू का भूल न जाना" 

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जन्मदिवस चाचा नेहरू का, 
बच्चों भूल न जाना।
ठाठ-बाट को छोड़ हमेशा, 
सादा जीवन अपनाना।।
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दीपावली की शुभकामनाएं |  अथ श्रीसूक्तं |  डॉ. वर्षा सिंह 
आइए, दीपावली के पावन पर्व पर हम देवी लक्ष्मी का आह्वान करें। हम, हमारा परिवार, हमारा समाज, हमारा देश और सकल विश्व धन-धान्य, सम्पदा से परिपूर्ण रहे। "वसुधैव कुटम्बकम्" का मंत्र हम सदैव स्मरण रखें और इस जगत के समस्त प्राणी निर्भय हो कर अपना जीवन व्यतीत करें। देवी लक्ष्मी को नमन 🚩🙏🚩 
🚩अथ श्रीसूक्तं 🚩
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्‌।
चंद्रां हिरण्यमणीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्‌।
यस्यां हिरण्यं विंदेयं गामश्वं पुरुषानहम्‌॥ 
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सबकी दीवाली मना पाएँ चलते-चलते अँधेरों में मंजिल अपनी पा जाएँ। जो देखते हैं सब सपने पूरा उनको कर पाएँ। दीप बनाने वालों के घर दीयों से रोशन हो जाएँ। नयी फसल काटने वाले भूखे कभी न सो पाएँ। फुटपाथों पर रहने वाले , कूड़े में जूठन ढूँढ़ने वाले, तीखा-मीठा नया नया सा, सबकी तरह ही खा पाएँ। कितना ही अच्छा हो गर, सब थोड़ा थोड़ा बदल पाएँ। नए ढंग से, नए रंग में सबकी दीवाली मना पाएँ।  
यशवन्त माथुर, जो मेरा मन कहे  
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आज दीपावली की है पावन घड़ी
प्रेम का दीप जलता  रहे उम्र भर 

दिल में खुशियाँ हैं,उल्लास है,प्यार है
रात भी रोशनी  से नहाई  हुई
और तारे गगन में परेशान हैं
चाँद -सी कौन है,छत पे आई हुई ? 
आनन्द पाठक, आपका ब्लॉग  
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शुभ दीवाली 
पी.सी.गोदियाल "परचेत", 'परचेत'  
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गृहलक्ष्मी 
"मअआ! आज इंडियन्स स्टोर में इतनी भीड़ थी कि कुछ मत पूछिए...। स्टोर में इतने समान थे , इतने सामान थे कि मन कर रहा था , सारे के सारे खरीद कर ले आऊँ।" बहुत दिनों के बाद माया बाजार निकली थी और लौट कर बेहद उत्साहित स्वर में बता रही थी।
विभा रानी श्रीवास्तव, "सोच का सृजन" 
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आज के लिए बस इतना ही...।
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8 टिप्‍पणियां:

  1. गोवर्धन पूजा की असीम शुभकामनाओं और अभिनन्दन के संग हार्दिक आभार आपका आदरणीय

    उम्दा लिंक्स चयन.. श्रम साध्य क्रय हेतु साधुवाद

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  2. आदरणीय शास्त्री जी,
    गोवर्धन पूजा की कथा एवं पूजन विधि से प्रारंभ आज की सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए आपका आभार 🙏
    इसी संदर्भ में आपके दोहे भी अनमोल हैं।
    मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु विनम्र आभार 🙏

    आपका दिन मंगलमय हो। 🍁🍀🍁

    सादर शुभेच्छाओं सहित,
    डॉ. वर्षा सिंह

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  3. आपको भी दीपावली पर्व और गोवर्धन पूजा की मंगलमय कामना , शास्त्री जी🙏

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  4. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति, गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं

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  5. गोर्वधन पूजा के सुन्दर विधान की जानकारी के साथ सुन्दर संकलन, माँ शारदे के सभी उपासकों को गोर्वधन पूजा की हार्दिक शुभकामनोयें

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  6. दीपोत्सव की असंख्य शुभकामनाएं - - रचना शामिल करने हेतु आभार। सार्थक अंक अध्यात्म की रौशनी से परिपूर्ण।

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  7. बहुत ही सुंदर भूमिका के साथ सराहनीय संकलन।
    मेरे सृजन को स्थान देने हेतु सादर आभार आदरणीय सर।

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  8. 'जो मेरा मन कहे' को स्थान देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद!

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