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सोमवार, नवंबर 16, 2020

'शुभ हो दीप पर्व उमंगों के सपने बने रहें भ्रम में ही सही'(चर्चा अंक- 3887)

शीर्षक पंक्ति : आदरणीय 

 सादर अभिवादन। 

सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।  

आज की प्रस्तुति का आरंभ वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय डॉ. सुशील कुमार जोशी के काव्यांश से-

इंगित करता हुआ
महसूस कराता लगता है
समुद्र मंथन इसी तरह हुआ होगा 
 निकल कर आई होंगी
लक्ष्मी भी शायद

आँखें बंद कर लेने के बाद
दिख रहे प्रकाश को
दीपावली कहा गया होगा

 --

"भ्रातृ दूज का तिलक" 

मेरे भइया तुम्हारी हो लम्बी उमर,
 कर रही हूँ प्रभू से यही कामना।
लग जाये किसी की न तुमको नजर,
दूज के इस तिलक में यही भावना।।
थालियाँ रोली चन्दन की सजती रहें,
सुख की शहनाइयाँ रोज बजती रहें,
 हों सफल भाइयों की सभी साधना।
दूज के इस तिलक में यही भावना।।
--

हर्षोल्लास
चकाचौँध रोशनी
पठाकों के शोर
और बहुत सारे
आभासी सत्यों की भीड़

 बीच से
गुजरते हुऐ
कोशिश करना
पंक्तियों से नजरें चुराते हुऐ
लग जाना
बीच के निर्वात को
परिभाषित करने में

-- 

शून्य स्थान - -

बाद हम मिले हैं, ज़रूरी है
रखना मध्य अपने,
थोड़ा सा शून्य -
स्थान, मुझे
उतरना
है
अगले फेरी घाट में, और तुम्हें जाना है,
शायद किसी अज्ञात स्थान, पृथ्वी
नहीं रूकती है कभी, अपने
अक्ष में, आवर्तन उसका
चरम धर्म है फिर
भी हम तुम,
मंदिर -

--

पटाखे तो चलाएंगे

बारूद की गंध से आसमान को
आज खूब महकाएंगे
डरे या सहमे चाहे कोई भी
पटाखे तो चलाएंगे।

ऐसी तैसी पर्यावरण की 
धुंध की चादर बिछाएंगे
सांस न ले भले कोई भी
पटाखे तो चलाएंगे।
--
पौराणिक कथाओं में रक्तबीज का प्रकरण आया है -रक्त की एक बूँद से संपूर्ण काया विकसित हो जाती है. वह स्वाभाविक प्राणी नहीं है(उसे क्लोन कहना अनुचित नहीं होगा).किसी विशेष उद्देश्य के लिये उसे विकसित किया गया है ,वह उद्देश्य पूरा होने के बाद उसका कोई भविष्य नहीं .रक्तबीजों में से कोई बच गया हो तो वह मनुष्य की मूल प्रवृत्तियों से संचालित होगा या नहीं ,वह प्रजनन करने में समर्थ है या नहीं , क्या अपनी अस्मिता का भान उसे है, आत्मबोध से संपन्न है,एवं आत्म-विकास का उत्प्रेरण उसमें होता है या नहीं ,ये सारे ,और भी अनेक प्रश्न अनुत्तरित रह गये हैं. 
--
    मुंडेरी मुंडेरी दिए जगमगाए |
   निशा आज जैसे नख-शिख सजी है ,      
   खुशियों की मन में वंशी बजी है |        
   हर ओर उत्सव उमड़ती उमंगें ,      
   अब ये खुशी काश पल भर न जाये   
--
कोरोना के दिन,महीने निकल गए 
इनके साथ त्यौहार जन्मदिन भी 
संभलते बचते-बचाते निकल गए 
सुना छह दिनों की दिवाली अब के 
एक-दो दिन ही मनाई गयी इस साल 
न आना और न ही किसी को बुलाना 
सभी अपने-अपने संतुष्टि के अनुसार
--
जगमग करते 
दीपों जैसी
खुशियां लाए 
दीवाली।
--
मद्धिम सी लौ 
सारे जहां को कहाँ कर पाती रौशन **
 हवा के थपेड़े बाती का संघर्ष 
तेल का तपन माटी का दीया दीया
 तले अंधेरा और लौ की टिमटिम
--

दिवाली पर्व~

हरे गहन तम

मृतिका दीप ।

☀️

अमा की रात~

जगमग करती

तम मे दीप्ति ।

--
कमजोरी 
मत करो  प्रदर्शन ताहि , जो कमजोरी होय। 
नहि छोड़े फुसकार अहि , भले विषहीन होय।।

मित्र 
भले ही हो  अच्छा  मित्र ,कम करियो विश्वास। 
मित्र    होये  यदि  नाराज ,खोल भेद  उपहास।।
--
अफ़सोस
अफ़सर
अफ़वाह
अफ़साना
अज़ीम
अर्ज़ी
आवाज़
आज़माइश
औज़ार
आज़ाद/आज़ादी
अंदाज़
अख़बार
--
आज का सफ़र यहीं तक 
फिर फिलेंगे 
आगामी अंक में 

@अनीता सैनी 'दीप्ति' 

12 टिप्‍पणियां:

  1. दीप पर्व मंगलमय हो। आभार अनीता जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर पुष्प गुच्छ से सजी प्रस्तुति में सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार अनीता ।

    जवाब देंहटाएं
  3. 'जो मेरा मन कहे' को स्थान देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीया अनिता सैनी जी,मेरी रचना को चर्चा मंच के गरिमामय पटल पर शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

    दीपावली की असीम शुभकामनाएं 🌷🚩🌷
    - डॉ शरद सिंह

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत रोचक एवं भावपूर्ण रचनाओं को संजोने के लिए आपको साधुवाद 🙏

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीया बहिन सुनीता जी आपने अपने गरिमामय पटल पर हमारे दोहों को सम्मिलित कर हमारा मान बढ़ाया है इसके लिए आप का हृदय से बहुत बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. भइया दूज के अवसर पर सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार अनीता सैमी जी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को भाई दूज का हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  8. व्यवस्थित और सार्थक चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आभार ,अनीता जी .

    जवाब देंहटाएं
  9. सभी रचनाएँ बहुत सुन्दर व पर्व को गरिमा प्रदान करने वाली हैं | पर्व की बधाई भी और शुभ कामनाएं भी |

    जवाब देंहटाएं
  10. दीपोत्सव की असंख्य शुभकामनाएं सभी को। विविध किरणों से आलोकित चर्चा मंच, मुग्धता बिखेरता हुआ जीवन में नव संचार लाता है,मेरी रचना शामिल करने हेतु, हार्दिक आभार - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  12. Sundar kavitaon se saji prastuti mein srijan ko sammillit karne ke liye aapka aabhar , Dhanyawaad !

    जवाब देंहटाएं

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