सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
प्रस्तुत हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ रचनाएँ-
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वासन्ती मौसम हुआ, काम रहा है जाग।
बगिया में गाने लगे, कोयल-कागा राग।२।
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सबकी अपनी चाहतें, सबके अपने फ्रेम।
फिर वसंत है ट्रेंड में, हैशटैग में प्रेम।।
युवा नहीं पहचानते, सेमल और पलाश।
नेट-चैट पर है टिकी, उनकी सकल तलाश।।
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भविष्य का दरदराया चेहरा अनदेखाकर
अनदेखा करते हैं मुँह में पड़े अनगिनत छाले
आत्मभाव में डूबे स्वप्न के पँखों पर सवार
आत्मविभोर हो मन की उड़ान है जीता
वैसे ही हर नौजवान आज-कल प्रेम में है।
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संदली सी हुईं फिज़ाएं ।
उम्र की ऐसी रवानी ।।
अक्सर उनका जिक्र सुना ।
हर जगह पर मुँह जुबानी ।।
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किसी को
देखते ही
जब
शब्द खो देते हैं
अपनी ध्वनियां
और
मुस्कुराता है मौन
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जब भी उदासी पढ़ती हूँ तुममें
देख लेती हूँ मुस्कुराते हुए तुम्हारे चित्र
बचपन के भी...कोशिश करती हूँ
तुम्हें पहचानने की अपनी आँखों से
प्रेम में आँखें कभी झूठ नहीं बोलतीं
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उस चांद से पूछो ?
तुम हर दिन घटते बढ़ते
क्यों रहते हो ?
कभी तो लगता हैं
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दिल से दिल मिले
मन बगिया में फूल खिले
पर एक कमी रही आज
लाल गुलाब नहीं मिले |
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कुछ तिनके ऐसे भी हैं,
जो सीधे खड़े हैं,
उन्हें डर है कि
अगर आसमान गिर पड़ा,
तो उनका क्या होगा.
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बेटा, ढाई अक्षर के इस प्यार को छूना आसान होता है पाना भी आसान होता है मगर संभालना बहुत मुश्किल।दो लोग मिलकर भी इस ढाई अक्षर को नहीं संभाल पाते। बस यही समझ नई पीढ़ी के पास नहीं होने के कारण प्यार का रूप बिगड़ता चला जा रहा है। आज तो प्यार दैहिक हो चुका है,दैहिक सुख को ही प्यार का नाम दे दिया गया है। माना, दैहिक मिलन प्रेम की प्रकाष्ठा होती है परन्तु, प्रेम आत्मा का मिलन है देह इसका माध्यम,देह का आकर्षण चंद दिनों का होता है और जब वो सरलता से मिलने लगता है तो बहुत जल्द ये आकर्षण फीका पड़ने लगता है फिर जिसे "प्रेम" नाम दिया जाता है वो बदलकर कोई और देह तलाशने लगता है।
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव जी,
जवाब देंहटाएं"चर्चा मंच" में मेरी कविता को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद...
चर्चा मंच पर अपनी रचना को देखना सदा सुखद अनुभूति कराता है।
आपका हार्दिक आभार 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
सभी लिंक्स सर्वोत्तम रचनाओं से परिपूर्ण हैं।
जवाब देंहटाएंआपको साधुवाद रवीन्द्र जी, इतने अच्छे लिंक्स मंच पर प्रस्तुत करने के लिए ❗🙏❗
- डॉ शरद सिंह
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
रविन्द्र सिंह जी शुक्रिया मेरे ब्लॉग को इस मंच तक लाने के लिए । सभी लिंक्स रोचक और अच्छे चयन किये । कुछ नए ब्लॉगर्स से भी परिचय हुआ । आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। आपका आभार
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी,
जवाब देंहटाएंवसंत का स्वागत करती आज की चर्चा में बेहतरीन लिंक्स उपलब्ध कराने का महती कार्य किया है आपने... साधुवाद 🙏
इस चर्चा में मेरी पोस्ट को साझा कर आपने मुझे जो सम्मान दिया है उसके लिए मैं हृदय से आपकी आभारी हूं।
सादर,
शुभकामनाओं सहित,
डॉ. वर्षा सिंह
बेहद खूबसूरत लिंक्स संयोजन । चर्चा में मेरी पोस्ट को साझा कर ने लिए आपका हृदय से आभार.., सादर ।
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद सर, सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आदरणीय रवींद्र जी मेरी रचना रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार,सभी रचनाकारों को बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।मुझे स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया सर।
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