मित्रों।
माता शारदे की आप सब पर कृपा बनी रहे।
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए कुछ ब्लॉगों के अद्यतन लिंक।
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उच्चारण
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अच्छे दिन आने लगे, हुआ शीत का अन्त।
धीरे-धीरे चमन में, सजने लगा बसन्त।।
नदियों में बहने लगा, पावन निर्मल नीर।
जल में डुबकी लगाकर, निर्मल करो शरीर।।
पतझड़ का मौसम गया, जीवित हुआ बसन्त।
नव पल्लव पाने लगा, बूढ़ा बरगद सन्त।।
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- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
सपने वासंती हुए, रंगों से भरपूर।
ऐसे में कोई रहे, क्यों अपनों से दूर।।
खेतों में सरसों खिले, जंगल खिले पलाश ।
खजुराहो की भांति ऋतु, किसने दिया तराश ।।
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- सुमन अग्रवाल “सागरिका”
पीत चुनरिया ओढ़कर, आई बसंत बहार।
धरा वासंती हो गई,…कर सोलह श्रंगार।।
सूर्य उदित अब हो गया, भोर हुई अब जाग।
चहचहाती चिड़ियाँ भी, करती कलरव राग।।
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- डॉ. वर्षा सिंह
माघ शुक्ल की पंचमी, प्रकृति करे श्रृंगार ।
वर देती वागीश्वरी, विद्या का उपहार।।
"वर्षा" की शुभकामना, रहें सभी ख़ुशहाल।
अपनेपन का, प्रेम का, मौसम रहे बहाल।।
अर्चन तेरा ,हम करें साधना माँ !
तू स्वर की जननी , सुरों से सजा दे
चलें जिसपे वो सत्य का पथ दिखा दे
निराशा के छाने लगें जब अँधेरे
आशा की किरणें हृदय में जगा दे
उजालों की तुझसे करें याचना माँ !
अर्चन तेरा ••••••
शेष हुए अनुयाई तुम्हारे
क्या कोई रिक्त स्थान नहीं
बचा है हमारे लिए |
बहुत ही सुंदर लिंक्स
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसजा सुन्दर लिंक्स से आज का यह अंक
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को भी शामिल किया है आज
\धन्यवाद सर |
सुन्दर, मोहक संयोजन!
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई, आभार 🙏
एक ओर माँ सरस्वती की वंदना से सजी पोस्ट्स तथा दूसरी ओर अफ्रीका में हो रही शर्मनाक घटना को दिखाता निरपेक्ष चर्चा मंच, इतना वीभत्स अत्याचार यदि इसी तरह दुनिया में होता रहता है तो प्रलय आने में कितनी देर लगने वाली है, कोरोना जैसे वायरस भी इसके सामने कुछ नहीं, आभार !
जवाब देंहटाएंबसंत के खुशबु से महकते वातावरण में अफ्रीका की जीवंत सच्चाई से सामना होना ये दर्शा गया कि-हम बहुत सौभाग्यशाली है जो भारत देश में जन्मे है। बाकी देशों की क्रूरता को देखकर तो इंसानियत शर्मशार है। बहुत ही सुंदर चर्चा अंक आदरणीय सर,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं सादर नमन
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! अपनी रचना को यहाँ पाकर बहुत हर्षित हूँ ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी,नमस्कार ! बहुत ही सुन्दर समसामयिक रचनाओं से सुशोभित चर्चा अंक..मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हृदय से आभार एवं अभिनंदन..
जवाब देंहटाएंसमस्त चर्चमंच को बसंतोत्सव एवं माँ सरस्वती प्रकटोत्सव की हार्दिक शुभकामनएे !
जवाब देंहटाएंआदरणीय डाँ. साहब
इस मरीज का निरंतर ख्याल रखने के लिए तहेदिल से शुक्रिया !
जयो जयो माँ सरस्वती ! जय भारत !! जय भारती !!!
सुन्दर और सराहनीय चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपूरी तरह बासंती रंग से सराबोर, सुंदर संकलन !
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स का बेहतरीन संयोजन है। मां सरस्वती का आशीर्वाद हम पर बना रहे यही कामना है।
मेरी पोस्ट को सम्मिलित करने हेतु आपके प्रति हार्दिक आभार 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
धन्यवाद
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