मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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24 फरवरी का दिन देश के इतिहास में एक बड़ी हिंसक घटना के साथ दर्ज है। साल 1983 असम में फैली नस्ली हिंसा का सबसे बुरा दौर रहा। असम की इस हिंसा का मुख्य कारण 'बाहरी घुसपैठ' को माना जाता है। असम के मूल निवासियों का आरोप है कि बंगाल और बांग्लादेश से आए घुसपैठी उनकी संपदाओं पर हावी होते जा रहे हैं। यही चीज 1983 में बड़े पैमाने पर फैली हिंसा का कारण थी। आपसी रंजिश की वजह से साल 1983 में इसी दिन भड़के दंगे में 3000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
1483: भारत के पहले मुगल बादशाह बाबर का जन्म। उनका पूरा नाम जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर था।
1739: ईरान के नादिर शाह की हमलावर फौजों ने भारत के मुगल बादशाह मोहम्मद शाह की फौज को करनाल की लड़ाई में मात दी।
1942: नाजी नेताओं के दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए वॉयस ऑफ अमेरिका ने जर्मन में अपना पहला प्रसारण किया।
1948: दक्षिण भारतीय सिनेमा की अभिनेत्री, अन्नाद्रमुक की नेता और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता का जन्म।
1961: मद्रास की सरकार ने राज्य का नाम बदलकर तमिलनाडु करने का फैसला किया।
1981: ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स और लेडी डायना की शादी का बकिंघम पैलेस की ओर से औपचारिक ऐलान किया गया। विवाह इसी साल 29 जुलाई को हुआ।
1983: असम में तीन सप्ताह की जातीय और राजनीतिक हिंसा में 3000 से ज्यादा लोगों की मौत।--
अब देखिए कुछ अद्यतन लिंक।
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जब खारे आँसू आते हैं। अन्तस में उपजी पीड़ा की,पूरी कथा सुनाते हैं।। --धीर-वीर-गम्भीर इन्हें,चतुराई से पी लेते हैं, राज़ दबाकर सीने में,अपने लब को सी लेते हैं, पीड़ा को उपहार समझ,चुपचाप पीर सह जाते हैं।उच्चारण
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Amit Mishra 'मौन', अनकहे किस्से
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Onkar Singh 'Vivek', मेरा सृजन
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मगज है कि शिकायतों का इक पुलिंदा
जो हर बात पे खफा रहता था
यूँ तो जमाने के लिए बंद था दिल का द्वार
पर उनमें ही हो जाता था
खुद का भी शुमार
Anita, मन पाए विश्राम जहाँ
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BAL SAJAG, बाल सजग
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डॉ टी एस दराल, अंतर्मंथन
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प्रतिभा सक्सेना, लालित्यम्
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स्वप्नों की चौपाल सजी है
कोई व्यवधान न आने दूंगी
बंद आँखों पर चश्मा चढ़ा है
चित्र धूमिल न होने दूंगी |
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Anuradha chauhan, मेरे मन के भाव
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यदि कोई विवाद ना हो..
मुझे कोई प्रतिवाद ना हो..।
छेड़ दिया है जो शंखनाद ..
युद्ध की फिर क्यों शुरुवात ना हो..।
ये अतिक्रमण तुम्हारा..!!
मौन हमारा कब तक होगा..
ये दमन हमारा..तुम्हारे द्वारा..
क्योंकर ना प्रतिउत्तर होगा..।
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देखने में यह एक साधारण सा दृश्य है। एक बैलगाड़ी, खुला मैदान जिसकी दाहिनी तरफ़ आधा बना कमरा है और ठीक उसके पास मंदिर जैसी कोई जगह। मगर मुझे दिख रहा.... बैलगाड़ी पर सामान लदवाते पापा और पीछे दोनों पाँव झुलाते बैलों के गले की टुनटुन के साथ-साथ सिर हिलाती कुछ दूर तक जाती मैं... पक्की सड़क पर पहुँच कर पापा ने गोद में उठाकर उतार दिया नीचे... “घर जाओ...शाम को चढ़ना इस पर”
रश्मि शर्मा, रूप-अरूप
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जयदीप शेखर, कभी-कभार
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सरस शुभ्र, फेनिल जल,
सरित - वारि प्रवाह अविरल
अरुण - किरणों का तरुओं
से हो रहा संवाद अविचल।
जीवनानंद ले रहा विस्तार है।
प्रकृति नटी कर रही शृंगार है।
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गिरिजा कुलश्रेष्ठ, Yeh Mera Jahaan
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मध्यप्रदेश के बुंंदेलखंड क्षेत्र में सागर जिला मुख्यालय से लगे हुए गांव देवलचौरी में एक शताब्दी से ज्यादा अर्थात् 115 वर्ष की परम्परा और विरासत को समेटे जीवंत सात दिवसीय रामलीला महोत्सव का आयोजन वसंत ऋतु में होता है।
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आज के लिए बस इतना ही...।
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बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारो को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर
बहुत सुंदर चर्चा। सभी लिंक्स शानदार।
जवाब देंहटाएंबहुत लाभप्रद चर्चाएँ रहीं-आभार.
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंएक से एक नायाब मोतियों सी रचनाओं को चुनकर लाया है चर्चा मंच ! आभार !
जवाब देंहटाएंआप का यह मंच कुछ ब्लॉग्स तक पहुँचाने में सहायक है । सभी का श्रमसाध्य कार्य वंदनीय है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार। सुन्दर संकलन। आपका प्रयास अत्यंत सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंनमन आपको इतने बेहतरीन लिंक्स यहां चर्चा मंच पर एकत्रित करने के लिए 🙏
मेरी पोस्ट्स को आपने इसमें शामिल कर जो मान-सम्मान दिया है उसके लिए मैं हृदय से आपके प्रति आभारी हूं।
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
यह चर्चा मंच ब्लॉगर्स के बीच संवाद को जीवंत कर रहा है। आदरणीय शास्त्री जी को हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंइतने बेहतरीन लिंक्स चर्चा मंच पर एकत्रित करने के लिए आपको नमन...मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुंदर चयन। बधाई और आभार!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति । सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्रों से सजी सराहनीय अंक में मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंसादर।