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बुधवार, फ़रवरी 24, 2021

"नयन बहुत मतवाले हैं" (चर्चा अंक-3987)

 मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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24 फरवरी का दिन देश के इतिहास में एक बड़ी हिंसक घटना के साथ दर्ज है। साल 1983 असम में फैली नस्ली हिंसा का सबसे बुरा दौर रहा। असम की इस हिंसा का मुख्य कारण 'बाहरी घुसपैठ' को माना जाता है। असम के मूल निवासियों का आरोप है कि बंगाल और बांग्लादेश से आए घुसपैठी उनकी संपदाओं पर हावी होते जा रहे हैं। यही चीज 1983 में बड़े पैमाने पर फैली हिंसा का कारण थी। आपसी रंजिश की वजह से साल 1983 में इसी दिन भड़के दंगे में 3000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।

1483: भारत के पहले मुगल बादशाह बाबर का जन्म। उनका पूरा नाम जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर था।

1739: ईरान के नादिर शाह की हमलावर फौजों ने भारत के मुगल बादशाह मोहम्मद शाह की फौज को करनाल की लड़ाई में मात दी।

1942: नाजी नेताओं के दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए वॉयस ऑफ अमेरिका ने जर्मन में अपना पहला प्रसारण किया।

1948: दक्षिण भारतीय सिनेमा की अभिनेत्री, अन्नाद्रमुक की नेता और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता का जन्म।

1961: मद्रास की सरकार ने राज्य का नाम बदलकर तमिलनाडु करने का फैसला किया।

1981: ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स और लेडी डायना की शादी का बकिंघम पैलेस की ओर से औपचारिक ऐलान किया गया। विवाह इसी साल 29 जुलाई को हुआ।

1983: असम में तीन सप्ताह की जातीय और राजनीतिक हिंसा में 3000 से ज्यादा लोगों की मौत।
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अब देखिए कुछ अद्यतन लिंक।
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गीत "आँसू की कथा-व्यथा" 
जब खारे आँसू आते हैं।
अन्तस में उपजी पीड़ा की,
पूरी कथा सुनाते हैं।।
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धीर-वीर-गम्भीर इन्हें,
चतुराई से पी लेते हैं,
राज़ दबाकर सीने में,
अपने लब को सी लेते हैं,
पीड़ा को उपहार समझ,
चुपचाप पीर सह जाते हैं।
उच्चारण 

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दिल की दास्तां 

मगज है कि शिकायतों का इक पुलिंदा 

जो हर बात पे खफा रहता था

 यूँ तो जमाने के लिए बंद था दिल का द्वार 

पर उनमें ही हो जाता था 

खुद का भी शुमार 

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ख़ामोशी 
सरे बज़्म में हम, बहुत अकेले से -
रह गए,  
शांतनु सान्याल, अग्निशिखा : 
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स्वप्नों की चौपाल 

स्वप्नों की चौपाल सजी है
कोई व्यवधान न आने दूंगी
बंद आँखों पर चश्मा चढ़ा है
चित्र धूमिल न होने दूंगी |
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यदि कोई विवाद ना हो..  मुझे कोई प्रतिवाद ना हो.. 

यदि कोई विवाद ना हो..

मुझे कोई प्रतिवाद ना हो..।

छेड़ दिया है जो शंखनाद ..

युद्ध की फिर क्यों शुरुवात ना हो..।

ये अतिक्रमण तुम्हारा..!!

मौन हमारा कब तक होगा..

ये दमन हमारा..तुम्हारे द्वारा..

क्योंकर ना प्रतिउत्तर होगा..।

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और अब तो... 
देखने में यह एक साधारण सा दृश्य है। एक बैलगाड़ी, खुला मैदान जिसकी दाहिनी तरफ़ आधा बना कमरा है और ठीक उसके पास मंदिर जैसी कोई जगह। मगर मुझे दिख रहा.... बैलगाड़ी पर सामान लदवाते पापा और पीछे दोनों पाँव झुलाते बैलों के गले की टुनटुन के साथ-साथ सिर हिलाती कुछ दूर तक जाती मैं... पक्की सड़क पर पहुँच कर पापा ने गोद में उठाकर उतार दिया नीचे... “घर जाओ...शाम को चढ़ना इस पर”  
रश्मि शर्मा, रूप-अरूप 
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'डाना' का 'पुनर्समापन' 
खैर, इस पोस्ट का विषय है- 'पुनर्समापन।' दरअसल, हमने 'डाना' के हिन्दी अनुवाद के अन्त में एक अध्याय अपनी तरफ से जोड़ते हुए इसका पुनर्समापन करने की धृष्टता की है। ऐसा हमने क्यों किया, यह बताना उचित है-

1. मूल उपन्यास का समापन 'खुला समापन' है और इस लिहाज से हर पाठक को यह कल्पना करने का अधिकर प्राप्त है कि इसके बाद क्या हुआ होगा! तो एक पाठक के हिसाब से हमने भी कल्पना की है कि इसके बाद ऐसा हुआ होगा, या ऐसा होना चाहिए। 

जयदीप शेखर, कभी-कभार  
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प्रकृति नटि कर रही श्रृंगार है  (कविता) 
सरस शुभ्र, फेनिल जल,
सरित - वारि प्रवाह अविरल
अरुण - किरणों का तरुओं
से हो रहा संवाद अविचल।

जीवनानंद ले रहा विस्तार है। 
प्रकृति नटी कर रही शृंगार है। 
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देवलचौरी की रामलीला | बुंदेलखंड में एक सांस्कृतिक अनुष्ठान | डॉ. वर्षा सिंह 
 मध्यप्रदेश के बुंंदेलखंड क्षेत्र में सागर जिला मुख्यालय से लगे हुए गांव देवलचौरी में एक शताब्दी से ज्यादा अर्थात् 115 वर्ष की परम्परा और विरासत को समेटे जीवंत सात दिवसीय रामलीला महोत्सव का आयोजन वसंत ऋतु में होता है। 
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आज के लिए बस इतना ही...।
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14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारो को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर चर्चा। सभी लिंक्स शानदार।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. एक से एक नायाब मोतियों सी रचनाओं को चुनकर लाया है चर्चा मंच ! आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. आप का यह मंच कुछ ब्लॉग्स तक पहुँचाने में सहायक है । सभी का श्रमसाध्य कार्य वंदनीय है ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बहुत आभार। सुन्दर संकलन। आपका प्रयास अत्यंत सराहनीय है।

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय शास्त्री जी,
    नमन आपको इतने बेहतरीन लिंक्स यहां चर्चा मंच पर एकत्रित करने के लिए 🙏
    मेरी पोस्ट्स को आपने इसमें शामिल कर जो मान-सम्मान दिया है उसके लिए मैं हृदय से आपके प्रति आभारी हूं।
    सादर,
    डॉ. वर्षा सिंह

    जवाब देंहटाएं
  8. यह चर्चा मंच ब्लॉगर्स के बीच संवाद को जीवंत कर रहा है। आदरणीय शास्त्री जी को हृदय तल से आभार!--ब्रजेंद्रनाथ

    जवाब देंहटाएं
  9. इतने बेहतरीन लिंक्स चर्चा मंच पर एकत्रित करने के लिए आपको नमन...मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति । सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  12. पठनीय सूत्रों से सजी सराहनीय अंक में मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय सर।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं

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