चर्चा का शीर्षक चयन- आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री जी।
सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ रचनाएँ-
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कुहासे की चादर,
धरा पर बिछी हुई।
नभ ने ढाँप ली है,
अमल-धवल रुई।।
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नेता की मेढक टोली
फिर टर-टर करने आई
छल-कपट फ़रेब सरीखे
उपहार सैकड़ों लाई
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हर शोक का हरण है
बसंत आने का लक्षण है ?
बिखरी-बिखरी कस्तूरी
निखरी-निखरी अंकूरी
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कदाचित मन की नीरवता
रास्ते के छिछलेपन में उलझी
भूख की खाई को भरते हुए
समय के साथ ही विचर रही।
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जल उठा एक दीपक स्वर्णिम
उषा के लहरे आंचल मेंगूंज रही है सरगम जैसे
सरि के निर्मल कल-कल में
अभी पपीहा जाकर सोया
रटा रात भर रोर पिया।।
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सत्य से आँखें फेर,
आँख,कान,मुँह
बंद किये
आदर्शों का खद्दर ओढ़े
भाषणवीर
अहिंसकों को
गाल बजाते देख रही हूँ।
आँख,कान,मुँह
बंद किये
आदर्शों का खद्दर ओढ़े
भाषणवीर
अहिंसकों को
गाल बजाते देख रही हूँ।
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जब से उसने मुंह फेरा है और हुआ बेगाना-सा
तब से उसके दर से हो कर आना-जाना मुश्क़िल है।
सबको रुतबे से मतलब है, मतलब है ‘पोजीशन’ से
ऐसे लोगों से, या रब्बा! साथ निभाना मुश्क़िल है।
मैंने लिखी थी एक कविता..
एक सुनहरे कागज पर..
तुमको अर्पण कर दी थी..
तुमने कागज समझ यूं ही उड़ा दी..
वो सभी शामे चिराग़, भटके
हुए रहनुमा निकले, बुझ
गए उम्मीद से पहले,
बड़े ही बदगुमां
निकले,
हुए रहनुमा निकले, बुझ
गए उम्मीद से पहले,
बड़े ही बदगुमां
निकले,
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राजतिलक के समय जब श्रीराम ने आगत देवी देवताओं में श्री चित्रगुप्त जी को नहीं देखा तब भरतजी से पूछा कि वे क्यों नहीं पधारे. खोज-बीन करने पर पता चला की गुरु वशिष्ठ के शिष्यों द्वारा उन तक निमंत्रण पहुंचाया ही नहीं गया.-
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले सोमवार।
बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं के संकलन हेतु बधाई एवं उत्कृष्ट रचनाओं के स्वागत में आभार। सादर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏🏻
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी,
जवाब देंहटाएं"अब बसन्त आएगा" शीर्षक आज की यह चर्चा बहरंगी पठनीय लिंक्स से बहुत सुंदर सजी हुई है। आपके श्रम को प्रणाम 🙏
आपने मेरी पोस्ट को आज इस चर्चा में शामिल किया, इस हेतु आपके प्रति हार्दिक आभार 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
उम्दा अंक
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअत्यंत आकर्षक एवं मनमोहक प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरे सृजन को स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
सादर
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत सुन्दर हैं।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह एक से बढ़ एक रचनाएं, सुन्दर प्रस्तुति, शानदार संकलन, मुझे जगह देने हेतु असंख्य आभार आदरणीय रवींद्र जी - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट संकलन , शानदार चर्चा अंक,अपने आप में बेहतरीन रचनाकारों को सहेजे समेटे,उस में मेरी रचना को रखने के लिए में हृदय से आभारी हूं।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
सादर।
रवीन्द्र सिंह यादव जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार कि आपने मेरी ग़ज़ल को चर्चा मंच में शामिल किया है। यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है।
बहुत-बहुत धन्यवाद 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
सभी लिंक्स श्रेष्ठ रचनाओं से परिपूर्ण हैं। इन्हें चर्चा मंच पर उपलब्ध कराने के लिए रवीन्द्र जी आपको साधुवाद 🌹🙏🌹 - डॉ शरद सिंह
जवाब देंहटाएंसुखद संकलन. धन्यवाद.
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