सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से )
जिन देवी की कृपा हुई है,
उनका करता हूँ वन्दन।
सरस्वती माता का करता,
कोटि-कोटि हूँ अभिनन्दन।।
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आप सभी को बसंत-पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
माँ सरस्वती की चरण-वंदना करते हुए चलते हैं...
आज की कुछ खास रचनाओं की ओर...
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मैं तो केवल जाल-जगत पर,
इन्हें लगाता जाता हूँ।
क्या कुछ लिख मारा है,
मुड़कर नही देख ये पाता हूँ।।
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आसमान, स्मृतियों में कहीं न कहीं,- -
हम तुम अभी तक हैं, नए रूप में
विद्यमान, झरते पत्तों के
ठीक पीछे होते हैं नए
कोपलों के अदृश्य
अभिज्ञान।
लिफाफे के बाहर जो पड़ा है ख़त
उस ख़त में ऐसा तो कुछ लिखा नहीं ।
जैसा कि हाथ फेर महसूस.... किया मैंने ।
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एक ही शब्द भावात्मकता दर्शाता
जिसकी है जैसी नजर वही उसे वैसा नजर आता
प्रणय प्रीत की भावना होती केवल अपनों के लिए
गैरों के लिए किये उपयोग गलत मनोंव्रत्ति दरशाता
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फिर उलझ गई
पैरों से झाँझर खिसक गई
क्या सुन्दर थी
मन मुंदर थी
बजती थी झनन झनन
कानों में खनन खनन
मधुर रस बरबस
बिहँस बिहँस
घोलती थी
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अचानक
आकर मुझसे
इठलाता हुआ पंक्षी बोला
ईश्वर ने मानव को तो
उत्तम ज्ञान-दान से तौला
ऊपर हो तुम सब जीवों में
ऋषितुल्य अनमोल
एक अकेली जात अनोखी
ऐसी क्या मज़बूरी तुमको
ओट रहे होठों की शोखी
और सताकर कमजोरों को
अंग तुम्हारा खिल जाता है
अ:तुम्हे क्या मिल जाता है
कहा मैंने-कि कहो
खग आज सम्पूर्ण
गर्व से कि-हर आभाव में भी
घर तुम्हारा मजे से
चल रहा है
छोटी सी- टहनी के सिरे की
जगह में,बिना किसी
झगड़े के,ना ही किसी
टकराव के पूरा कुनबा पल रहा है
ठौर यही है उसमे
डाली-डाली, पत्ते-पत्ते
ढलता सूरज
तरावट देता है
थकावट सारी,पूरे
दिवस की-तारों की लड़ियों से
धन-धन्य की लिखावट लेता
नादान नियति से अनजान अरे
प्रगतिशील मानव
फ़रेब के पुतलो
बन बैठेहो समर्थ
भला याद कहाँ तुम्हे
मनुष्यता का अर्थ ?
यह जो थी प्रभु की
रचना अनुपम...
वशीभूत होकर
शर्म-धर्म सब तजकर
षड्यंत्रों के खेतों में
सदा पाप बीज बो कर
होकर स्वयं से दूर
क्षणभगुंर सुख में अटक चुके हो
त्रास को आमंत्रण करते
ज्ञान-पथ से भटक चुके हो
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आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें।
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें।
कामिनी सिन्हा
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बहुत सुन्दर चर्चा।
ReplyDeleteबसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।
हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteआज का सफर अच्छा रहा ।
ReplyDeleteवसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌺🌷🌾🌷🌾🍁
ReplyDeleteइस ख़ूबसूरत चर्चा में मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार प्रिय कामिनी सिन्हा जी।
सस्नेह,
डॉ. वर्षा सिंह
बसंत की उत्सव जैसा रंगीन चर्चा प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति, बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐
ReplyDeleteआप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार
ReplyDeleteसुंदर रचनाओं का संकलन।
ReplyDeleteमेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार कामिनी जी।
सादर।
बहुत सुन्दर और सराहनीय चर्चा प्रस्तुति कामिनी जी!
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