बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
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दोहागीत
"वासन्ती आभास"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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कुसुम कोठारी जी के दो गीत प्रस्तुति : वागर्थ
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श्रद्धा का फूल
जिस अंतर में खिलता है
प्रेम सुरभि से
वही तो भरता है !
बोध का दिया जलता
अविचल, अविकंप वहाँ
समर्पण की आँच में
अहंकार ग़लता है !
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- Anita
- हमारा निस्वार्थ एकांतिक प्रेम सहज ही इस जगत के प्रति प्रवाहित होता रहे, ऐसी प्रार्थना हमें परमात्मा के निकट ले जाती है। हमारा अंतर दिव्य आनंद से भरा रहे और उसकी किरणें आस-पास बिखरती रहें, यही कामना तो हमें करनी है। हमें यह तन, मन और सही निर्णय करने की क्षमता के रूप में बुद्धि उपहार के रूप में मिले हैं। इन्हें बंधन का कारण मानकर मुक्ति की तलाश करते रहेंगे तो जीवन अपरिचित ही रह जाएगा। तन, मन आदि हमारे लिए साधन स्वरूप हैं जिनके माध्यम से हमें जगत में कार्य करना है। अपने आत्मस्वरूप में स्थित होकर परमात्मा की अपार शक्तियों के द्वारा जितना हो सके जगत में आनंद फैलाना है।
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सुनते सुनते थक गया हूँ कि
दुनिया रंगमंच है और तू किरदार..
मैं ही सदैव क्यों किरदार बनूँ !
अब नहीं जीना मुझे ये जीवन.
मेरी डोर सदैव किसी के हाथ में क्यों रहे ...
कहते हुए अति क्रोध में चिल्लाया था "तन "
मेरा अपना " तन " ...
आज से मैं ही रंगमंच हूँ...
यदि मैं रंगमंच तो फिर किरदार कौन ?
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संसद में राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर सार्थक बहस करने के बजाय सस्ती-सतही राजनीति
यह वह प्रश्न है जो यही इंगित करता है कि विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा भरोसा उन मीडिया समूहों पर है जिनके बारे में इसे लेकर कोई संशय नहीं कि वे न केवल मोदी सरकार बल्कि भारत के प्रति दुराग्रह से भरे हुए हैं।
इस पर हैरानी नहीं कि संसद के बजट सत्र में विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। प्रत्येक सत्र के पूर्व इस तरह की तैयारी अब एक चलन का रूप ले चुकी है। दुर्भाग्य की बात यह है कि यह प्रवृत्ति अब बेलगाम होती दिख रही है। यही कारण है कि संसद के पिछले अनेक सत्र विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गए। ऐसा लगता है कि यह सिलसिला इस बजट सत्र में भी कायम रहने वाला है।
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अंत की कहानियां कथाकार मोहन थपलियाल की कहानियों को पढ़ते हुए मुझे देहरादून में आयोजित हुए संगमन कार्यक्रम की याद अनायास ही आ गई। कार्यक्रम के दौरान उठे बहुत से प्रसंगों की याद। संगमन का वह कार्याक्रम इस सदी के शुरूआती दिनों में हुआ था। ध्यान रहे कि उसी दौरान ‘पहल’ का मार्क्सवादी आलोचना विशेषांक भी प्रकाशित हुआ था। दलित राजनीति के तीव्र उभार ने भी उस दौरान जनवादी राजनैतिक धारा के भीतर भी उथल-पुथल मचायी हुई थी। भारतीय राजनीति में अस्थिर सरकारों के उस दौर में धार्मिक आधार पर समाज को बांटने वाली राजनीति भी अपने नम्बर बढ़ाने में सफल होती जा रही थी। दूसरी ओर हिंदी में दलित विमर्श एंव स्त्री विमर्श का वह किशोर होता दौर था। कार्यक्रम के दौरान कविता पोस्टर की प्रदर्शनी भी लगी थी। एक पोस्टर में कवि धूमिल की कविता का वह मुहावरा- 80 के दशक में जिसे खूब सराहना मिली थी, लिखा हुआ था- ‘’जिसकी पूंछ उठाकर देखी, वही मादा निकला’’। धूमिल की कविता पंक्तियों की तीखी आलोचना वहां कई साथियों ने एक स्वर में की थी। आयोजकों को इस बात के लिए घेरा था और सवाल उठाए थे कि स्त्री विरोधी ऐसी कविता को पोस्टर पर देने का क्या औचित्य ?
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वर्ष 2022 के बैरी अवार्ड्स के लिए नामांकित रचनाओं की सूची हुई जारी
डेडली प्लेजर पत्रिका द्वारा बैरी अवार्ड, जो कि समीक्षक बैरी गार्डनर के सम्मान में दिए जाने वाला पुरस्कार है, के लिए नामांकित रचनाओं की सूची जारी कर दी गयी है। यह सूची पत्रिका के संपादक जॉर्ज ईस्टर द्वारा एक पोस्ट के माध्यम से की गयी।
डेडली प्लेजर मैगज़ीन प्रशंसकों को ध्यान में रखकर बनाई गयी एक अमरीकी पत्रिका है। इस पत्रिका का मकसद अपराध साहित्य में जो कुछ भी अच्छा हो रहा है उसे पाठकों के समक्ष लाना है। 1997 से डेडली प्लेजर मैगज़ीन हर साल अपराध साहित्य की उत्कृष्ट कृतियों को पुरस्कृत करती है। यह पुरस्कार अंग्रेजी में छपे उपन्यासों को दिए जाते हैं।
यह पुरस्कार मुख्यतः चार श्रेणियों में दिए जाते हैं। हर श्रेणी में कुछ कृतियों को नामंकित किया जाता है जिनमें से एक रचना को पुरस्कृत किया जाता है।
वर्ष 2022 में अलग अलग श्रेणियों में
नामांकित उपन्यासों की सूची निम्न है:
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अदरक Ginger सभी की रसोई में पायी जाती है, अदरक Ginger में अनेक औषधीय गुण होने के कारण आयुर्वेद में इसे महा औषधि माना गया है। यह गर्म, तीक्ष्ण, भारी, पाक में मधुर, भूख बढ़ाने वाला, पाचक, चरपरा, रुचिकारक, त्रिदोष मुक्त यानी वात, पित्त और कफ नाशक होता है। आयुर्वेद के अनुसार अदरक Ginger की रसायनिक संरचना में 80 प्रतिशत भाग जल होता है, जबकि सोंठ में इसकी मात्रा लगभग 10 प्रतिशत होती है। इसके अलावा स्टार्च 53 प्रतिशत, प्रोटीन 12.4 प्रतिशत, रेशा (फाइबर) 7.2 प्रतिशत, राख 6.6 प्रतिशत, तात्विक तेल (इसेन्शियल ऑइल) 1.8 प्रतिशत तथा औथियोरेजिन मुख्य रूप में पाए जाते हैं। अदरक Ginger को सुखाने पर जो प्राप्त होता है उससे सौंठ कहते है। सोंठ में प्रोटीन, नाइट्रोजन, अमीनो एसिड्स, स्टार्च, ग्लूकोज, सुक्रोस, फ्रूक्टोस, सुगंधित तेल, ओलियोरेसिन, जिंजीवरीन, रैफीनीस, कैल्शियम, विटामिन बी और सी, प्रोटिथीलिट एन्जाइम्स और लोहा भी मिलता हैं। प्रोटिथीलिट एन्जाइम के कारण ही सोंठ कफ हटाने व पाचन संस्थान में विशेष गुणकारी सिद्ध हुई है। क्योंकि सौठ अदरक Ginger का एक अंग है अतः इस आलेख में हम सौंठ के फायदों के बारे में भी बात करेंगे।--
निर्मला जी के बजट में उत्तर प्रदेश और चुनावी राज्यों को क्या मिलने वाला है दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी तक प्रस्तावित बुलेट ट्रेन के बारे में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में बात कर सकती हैं। चुनावी राज्यों में नये शहरों में मेट्रो ट्रेन का एलान भी किया जा सकता है। मोदी सरकार को यह बात अच्छे से ध्यान में है कि, उत्तर प्रदेश सहित इन पाँच राज्यों के चुनाव को साधने के लिए बजट में इन राज्यों का भला होता दिखना अति आवश्यक है और यह होता हुआ दिखेगा। बतंगड़ BATANGAD
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मेरा जीवन:तुमको अर्पण - डॉ. निरुपमा सिंह
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जिंदगी हमें घसीट तो नही रही है ?
मैं कोई मोटिवेशन ट्रेनर नही हूँ और न ही किसी को भ्रमित करने हेतु लिखता हूँ। यह सब मेरा अनुभव है। मेरे जैसे कई लोग होंगे जो आगे बढ़ना चाहाते हैं मगर उन्हें उनकी परिस्थितियां रोक रही हैं। लेकिन ये भी सच है कि उन्हें उनके स्किल्स मालूम नही होंगे क्योंकि हमारी स्कूली शिक्षा हमें वो सब नही सीखाती हो जीवन को व्यवहारिक बना पाये,आज हमारे देश को स्वतंत्र हुये वर्षों हो चुके हैं मगर देश की अपनी मातृभाषा में कहीं भी 20 से 50 हजार या यूँ कहें लो प्रोफाईल वाली जॉब के लिए इन्टरव्यू का प्रथम गंतव्य अँग्रेजी से ही शुरू होता है। लेकिन कितने प्रतिशत लोग अँग्रेजी में परिपूर्ण हैं। देश का 70% तबका आज भी हिंदी ठीक नही बोल पता है। आप विश्लेषण खुद कीजिए सब कुछ आपके सामने है।
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दोपहर की धूप और वटवृक्ष की छाया
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आज के लिए बस इतना ही...!
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सुप्रभात सर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
समय मिलते ही सभी रचनाओं पर जाउंगी।
सादर प्रणाम
मेरे सृजन को मान देने हेतु हार्दिक आभार सर।
जवाब देंहटाएंसादर
कितने ही विषयों पर जानकारी बढ़ाने वाले विषयों से सजी सुंदर चर्चा, आभार मुझे भी इस मंच पर शामिल करने के लिए।
जवाब देंहटाएंThanks for the post choon
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के।लिए हार्दिक आभार
आदरणीय सर, सादर प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंकई सार्थक और पठनीय रचनाओं का उत्कृष्ट संकलन । मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार ।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर.....
आभार🙏
बहुत अच्छी प्रस्तुति, हमेशा की तरह संपूर्ण, भरी-भरी। कुछ रचनाएँ अभी पढ़ना बाकी है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंमेरे छोटे से आर्टिकल को स्थान देने के लिए सम्पूर्ण संयोजक मंडल का हार्दिक आभार। आपके इस अद्भुत कार्य से हर रचनाकार को एक नई उम्मीद मिलती है।
जवाब देंहटाएंमेरे छोटे से आर्टिकल को स्थान देने के लिए सम्पूर्ण संयोजक मंडल का हार्दिक आभार। आपके इस अद्भुत कार्य से हर रचनाकार को एक नई उम्मीद मिलती है।
जवाब देंहटाएंसरदी अब घटने लगी, चहका है मधुमास।
जवाब देंहटाएंखेतों से नव-अन्न की, आने लगी सुवास।।
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बया नीड़ से झाँकती, अपने चारों ओर।
हरित धरा पर हो गयी, अब तो सुन्दर भोर।।
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धूम मचाने आ गया, फिर से अब ऋतुराज।
बदल गया मधुमास में, सबका आज मिजाज।।
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जोड़ों पर चढ़ने लगा, फिर से इश्क बुखार।
वादों की चलने लगी, अब तो मस्त बयार।।
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लगा पिघलने हिमालय, बहता शीतल नीर।
काँवड़ लेने जायेंगे, अब बहनों के वीर।।
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मौसम आवारा हुआ, उमड़ रहा है प्यार।
नेह-नीर का पान कर, फूल बने उपहार।।
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बिखरे चारों ओर हैं, प्रेम-दिवस के रंग।
दकियानूसी लोग तो, करें रंग में भंग।।
मदनोत्सव था पर्व अब वेलेंटाइन डे ,
प्रेम संदेशा भेजते रहते मुस्टंडे। सुंदर अभिव्यंजना पूर्ण दोहावली
दोहों की बहती रहे यूं ही मस्त बयार ,शास्त्री जी रचते रहें यूं राग मल्हार !
kabirakhadabazarmein.blogspot.com