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रविवार, फ़रवरी 06, 2022

"शारदे के द्वार से ज्ञान का प्रसाद लो"(चर्चा अंक4333)

 सादर अभिवादन

रविवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है

(शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)

बसंत का आगमन हो चुका है कल बसंत पंचमी पर्व था, कुछ जगहों पर तो आज भी मनाईं जा रही है। बसंत पंचमी के दिन ही संगीत और वाणी की देवी सरस्वती देवी का अवतरण हुआ था

 "सरस्वती" हमारी परम चेतना है। ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका है। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही है। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। वास्तव में सरस्वती का विस्तार ही वसंत है....

आईए, अपने जीवन में बसंत का आवाहन करते हुए चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर...

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गीत "शारदे के द्वार से ज्ञान का प्रसाद लो" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

आरती उतार लो,
आ गया बसन्त है!
ज़िन्दग़ी सँवार लो
आ गया बसन्त है!
--
खेत लहलहा उठे,
खिल उठी वसुन्धरा,
चित्रकार ने नया,
आज रंग है भरा,
पीत वस्त्र धार लो,
आ गया बसन्त है!
ज़िन्दग़ी सँवार लो

आ गया बसन्त है!
----------
मॉम ! आज बसंत पंचमी है ।
एक श्लोक  याद करवा दो
   

प्लीज़ !

और वो पीली वाली ड्रेस कहाँ रखी है ।

अब की बार भी पिछले साल की तरह ही

स्कूल में ऑनलाइन सेलेब्रेशन है।”

    “मुझे भी ड्यूटी पर जल्दी पहुँचना है ।

तुम्हे जो भी चाहिए जल्दी करो ..,

चलो मेरे साथ-साथ बोलो -

या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता….., 

पारूल काम करते करते आहना

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सरस्वती वंदना ( मगही भाषा )
रोज मैया के ध्यान लगैबै,
चरनियां में सिर नवा के।
मैया हमरा देथिन आशीष
दुनु हथबा उठा के।
हमर आस पुरैहा मैया,
विद्या-बुद्धि वरदान दे।
जीवनमा संवरे रे, मैया के दुलार में।
वीणा बाजे ये,................

---------
मन आय बसो वीणापाणिनि
मन आय बसो वीणापाणिनि
हे सरस्वती हे वरदायिनि

चाल कुचाल घिरा है जग ये
कीचड़ कीच भरा है डग ये 
कंज खिले कैसे अब वारिनि
---------
जीवन में छाए वसंत जब
मन की धारा यदि भीतर की ओर मुड़ जाये तो राधा बन जाती है इसी तरह मन की हजारों वृत्तियाँ गोपियाँ क्यों नहीं बन सकतीं। हमारी ‘आत्मा’ ही वह कृष्ण है जिसे रिझाना है. जीवन का कोई भरोसा नहीं है, श्वास रहते-रहते उस तक जाना है, जाना है, कहना भी ठीक नहीं, वह तो सहज प्राप्य है





---------मिलते जुलते चेहरे - -
-----फूल और कांटे

फूल और कांटे एक साथ रहते

कभी साथ न छोड़ते

भ्रमर तितलियाँ गातीं गुनगुनातीं

पास आ मौसम का आनंद उठातीं |

 जब भी पुष्पों पर आता संकट

कंटक उनकी करते रक्षा

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निकला नया सवेरा है (कविता) 
---------आईं झुम के बसंत....
ऋतुराज बसंत" का आगमन होने वाला है.... अब प्रकृति अपना  श्रृंगार करेगी.....खेतों में पीली-पीली सरसों अपनी स्वर्णिम छटा बिखेरते हुए लहलहाने लगेगी....बाग-बगीचे रंग-बिरंगी फुलों से भर जाएंगे.... और तितलियाँ उन फुलों से रंगों को चुराने लगेगी....गेहूं की बालियां खिलने लगेगी....पेड़ों पर नई कोंपले आने लगेगी...-----------जीवन में बसंत का आगमन तभी हो सकता है जब हम तन और मन दोनों से स्वस्थ होंगेआदरणीय सतीश सर का जीवन स्वयं इस बात का जीता जागता उदाहरण है...67 वर्ष में मेरे कायाकल्प हेतु सफल जीवन मंत्र -सतीश सक्सेना
और सबसे कम प्राथमिकता भोजन को दें, दिन में लगभग 12 बजे सिर्फ उतना घर का बना साधारण भोजन खाएं जितना पूरे दिन में श्रम किया हो अगर दिन में कुछ काम न किया हो तो उस दिन भोजन का निर्ममता से त्याग करें ! केवल मेहनत कश लोगों के शरीर को शाम के भोजन की आवश्यकता होती है !---------आज का सफर यही तक, अब आज्ञा देंआप का दिन मंगलमय हो!
कामिनी सिन्हा

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति|
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी!!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी सामयिक चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. अति सुन्दर सूत्रों का चयन।श्रमसाध्य प्रस्तुति ।मेरे सृजन को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार ।आपको और सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाओं एवं बधाई सहित सादर
    नमस्कार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात, सराहनीय और पठनीय रचनाओं के सूत्र देती सुंदर चर्चा, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. इस चर्चा अंक में सुंदर रचनाओं को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक साधुवाद! बहुत ही स्वस्थ साहित्यिक चर्चा सम्पन्न हुई। आगे भी ऐसे ही चर्चा अंक के आयोजन की अपेक्षा है। --ब्रजेंद्रनाथ

    जवाब देंहटाएं
  6. आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  7. विविधतापूर्ण रचनाओं का पठनीय संकलन । आपकी श्रमसाध्य प्रस्तुति को मेरा नमन और वंदन । मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार । सादर शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  8. आभार आपका पोस्ट पसंद करने और बेहतरीन लिंक से परिचय कराने के लिए !

    जवाब देंहटाएं
  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  10. सुप्रभात
    आभार सहित धन्यवाद मेरी रचना को इस अंक में स्थान देने के लिए |सभी रचनाकारों को बधाई |

    जवाब देंहटाएं

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