सादर अभिवादन
आज की विशेष प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
आज की युवा पीढ़ी की लड़कियों को अपनी प्रतिभा को प्रमाणित करने के लिए ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ता लेकिन आज से 25 साल पहले हम स्त्रियों को खुद के वजुद के लिए भी बहुत संघर्ष करना पड़ा है, अपनी इच्छाओं को मारना पड़ा है अपनी काबिलियत को भी दफनाना पड़ा है। ऐसी स्थिति में यदि हम कुछ कर पाए हैं तो ये हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। मेरा मानना है कि प्रत्येक स्त्री के भीतर एक कावित्री छिपी होती है बस उन्हें एक अवसर चाहिए होता है और इस ब्लॉग जगत ने हमें वो अवसर प्रदान किया है । जहां हम अपनी जिम्मेदारियों का भलीभांति निबाह करते हुए भी अपनी रचनात्मक को भी संवार पाए है। ऐसी ही एक प्रतिभाशाली रचनाकार हैं हम सभी की प्रिय आदरणीया अनीता सैनी जी जो इस मंच की उन्दा चर्चाकारा भी है।
अनीता जी ने अपने घर परिवार की जिम्मेदारियों को बाखुबी निभाते हुए साहित्य जगत में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है।
आज का ये विषेश अंक उन्ही को समर्पित है।
******शुरुआत करते हैं एक हृदयस्पर्शी प्रार्थना के साथ...प्रार्थना
"मां"सृष्टि की एक ऐसी सृजन...जिसके लिए जितना लिखो कम है.... माँ...कभी धूप कभी छांव
इस दर्द को वया कर रही है कावित्री अपने शब्दों में
मैं 2019 का परिवेश हूँ
मैं 2019 का परिवेश हूँ,
मेरी अति लालसाओं ने,
मेरा बर्बर स्वभाव किया,
परिवर्तित होने की राहें,
परिवर्तन की चाह में,
इतिहास के अनसुलझे,
प्रश्नों को रुप साकार दिया |
अँजुरी से छिटके जज़्बात
मासूम थे बहुत ही मासूम
पलकों ने उठाया
वे रात भर भीगते रहे
ख़ामोशी में सिमटी
लाचारी ओढ़े निर्बल थी मैं।
*****
कवि हृदय कोमल होता है
वो अपनी लेखनी में प्रत्येक हृदय की पीड़ा को ही नहीं वरन समस्त सृष्टि की पीड़ा को
समेट लेना चाहता है,
ऐसा ही दर्द सिमटा है
इस बेहतरीन सृजन में..
टूटे पंखों से लिख दूँ मैं... नवगीत"एहसास के गुँचे' एहसास के गुँचे' मेरा प्रथम काव्य-संग्रह छपकर मेरे हाथ में पुस्तक के रूप में आया तो ख़ुशी का ठिकाना न रहा। यह ख़ुशी आपके साथ साझा करते हुए भावातिरेक से आल्हादित हूँ। *****"सच, अपनी प्रथम पुस्तक का हाथों में होना... बड़े सौभाग्य की बात होती है। वैसे,कवयित्री ने हिंदी के साथ साथ राजस्थानी लोक भाषा में भी महारत हासिल की है। राजस्थानी भाषा की कविताओं को मैंने नहीं जोड़ा क्योंकि इस भाषा का मुझे बिल्कुल ज्ञान नहीं है।मां सरस्वती आदरणीया अनीता सैनी जी की लेखनी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें..यही प्रार्थना करती हूं।********आज का सफर यही तक, अब आज्ञा देआप का दिन मंगलमय होकामिनी सिन्हा
अनीता जी की रचनाओं को समर्पित आज का ये अंक प्रस्तुत करने के लिए बहुत आभार प्रिय कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंअनीता जी लेखनी से निकले शब्द मौलिकता और जीवंतता से ओतप्रोत होते हैं,जीवन संदर्भ का वर्णन भी उनकी लेखनी खूब अच्छी तरह उकेरती है,उनकी पुस्तक "एहसास के गुंचे" के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और असंख्य बधाइयां 💐💐❤️❤️ पुस्तक का लिंक भी मंच पर डालें तो अच्छा रहेगा ।
जिज्ञासा जी हृदय से आभार आपका।
हटाएंमेरे मन के भावों को आपके द्वारा मिला स्नेह सच ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। आप बहनों का स्नेह अनमोल है।
सादर स्नेह
चर्चा मंच का यह अंक बहुत महत्वपूर्ण है।
जवाब देंहटाएंअनीता जी को और कामिनी जी आपको भी
बहुत-बहुत बधाई होे।
हृदय से आभार आदरणीय सर।
हटाएंसादर
स्वयं को जब आदरणीय कामिनी दी की दृष्टि से देखा तो हृदय सकूँ से भर गया। हर्ष का ठिकाना नहीं रहा। समय उस बहाव में फिर बह गई जब यह रचना रची थी। जीवन के उतार चढ़ाव एक कोने में हिलोरे भरते भाव शब्द बन कुछ यों फूटे थे।
जवाब देंहटाएंइस अनमोल उपहार हेतु दिल से अनेकानेक आभार आदरणीय कामिनी दी जी।
सादर स्नेह
भावविह्वल उद्गार हिलोरे मार रहा है। हार्दिक शुभकामनाएँ।
हटाएंहृदय में उठते भावों के हिलोरे में हम यों ही खोजते रहे एक दूसरे को, गढ़ते रहे एक प्रेमल छवि। अनेकानेक आभार।
हटाएंसादर स्नेह
बहुत सुन्दर और श्रमसाध्य प्रस्तुति कामिनी जी ! आज की चर्चा में अनीता जी के कृतित्व की मनोहारी झलकियाँ संग्रहणीय हैं ।चर्चा का लिंक सहेज लिया है । अनीता जी की “अहसास के गुँचे” की तरह और भी पुस्तकें प्रकाशित हो और लोकप्रियता अर्जित करें ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मीना दी जी आपके द्वारा मिला स्नेह गुड़ की मिठास से कम नहीं। मेरे भावों को आपके द्वारा मिला स्नेह सहेज लिया है दिल ने।
हटाएंबौछारों में यों ही भिगोते रहे।
बहुत सारा स्नेह
अनमोल के लिए अनमोल उपहार।
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेह आभार अमृता जी!
हटाएंअत्यंत हर्ष हुआ आपका भेजा उपहार मिला।
हटाएंहार्दिक आभार।
सादर
बहुत बहुत बहुत ही उम्दा व शानदार प्रदर्शन प्रस्तुति हर एक रचना बहुत ही अद्भुत है हर रचना कुछ न कुछ कह रही है! जब शब्द दिल से निकलते हैं तो दिल को छू कर ही रहते हैं!
जवाब देंहटाएंवाकई अद्भुत प्रस्तुति💐
आभार आपका इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिए🙏🙏
हार्दिक आभार प्रिय मनीषा जी।
हटाएंसादर स्नेह
आज का चर्चा अंक कामिनी जी बहुत शानदार रहा, आपने आज का अंक अनिता सैनी जी के अमूल्य खजाने में से चुन-चुन कर प्रस्तुत किया आज की प्रस्तुति में अनिता जी की उत्कृष्ट कृतियों को पढ़वाने के लिए साधुवाद एवं हृदय से आभार आपका।
जवाब देंहटाएंअनिता सैनी नाम यूँ तो किसी भी परिचय का अपेक्षी नहीं है फिर भी कहूंगी कि एक उत्कृष्ट लेखनी की स्वामिनी अनिताजी, गीत, नवगीत, मुक्त छंद, छंद मुक्त, अतुकान्त, राजस्थानी लोक गीत, नवगीत एंव लघुकथा आदि अनेक विधाओं पर मुक्त प्रवाह से लिखती हैं।
आप एक अच्छी चर्चाकार और विनम्र स्वाभ की स्वामिनी हैं ।
आप में अच्छे साहित्यकार के गुण हैं।
माँ शारदा आपकी लेखनी को नित्य नई ऊर्जा से सिंचित करें।
आपकी पुस्तक अहसास के गुँचे मैंने पढ़ी है मोहक रचनाओं का सुंदर संग्रह। पुस्तक की सफलता के लिए हृदय से शुभकामनाएं।
सस्नेह।
हृदय तृप्त हो गया,पोर पोर खिल उठा ये स्नेह के मोती सांसों ने धारण कर लिए और संवरकर खिलखिला रही हैं। ममत्व भाव लिए बिखरे पुष्प को हृदय के एक कोने में सजा लिया है आदरणीय कुसुम दी जी दिल से अनेकानेक आभार।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद यों ही बना रहे।
सादर स्नेह
हर रचना पर कामिनी जी के टीका ने रचना को और भी प्रगाढ़ गहनता प्रदान की है ।
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेह।
बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार आपका का।
हटाएंसादर
वाह ! बहुत ही सुंदर अंक, दिल को छू लेने वाली रचनाओं से सजा चर्चा मंच !
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार आपका।
हटाएंसादर
आज से 25 साल पहले हम स्त्रियों को खुद के वजुद के लिए भी बहुत संघर्ष करना पड़ा है, अपनी इच्छाओं को मारना पड़ा है अपनी काबिलियत को भी दफनाना पड़ा है। ऐसी स्थिति में यदि हम कुछ कर पाए हैं तो ये हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
जवाब देंहटाएंसही कहा कामिनी जी आपने और इस उपलब्धि को हासिल किया है प्रिय अनीता जी ने।
अनीता जी की रचनाएं उनके स्वभाव के अनुरूप सहज सरल एवं बहुत ही प्रभावी हैं एवं अपने लेखन को "एहसास के गुंचे" पुस्तक रूप मे सहेज साहित्य को समर्पित कर अपना स्थान साहित्य जगत में निर्धारित किया है जो गर्व की बात है।
भगवान उन्हें दिनोदिन उन्नति की राह पर अग्रसर रखे यही प्रार्थना है।
हृदय से आभार आदरणीय सुधा दी जी।
हटाएंआपकी कामना फले फुले और मैं बल्लरी सी हरी हो जाऊँ। स्नेह की नमी यों ही मिलती रहे।
बहुत सारा स्नेह