फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, फ़रवरी 05, 2022

'तुझ में रब दिखता है'(चर्चा अंक 4332)

सादर अभिवादन ! 
शनिवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है ।


शीर्षक व काव्यांश आ.विभा रानी श्रीवास्तव जी की रचना 'तुझ में रब दिखता है' से-


मुझे बचपन से चम्पा से लगाव था, तब पागलपन समझने की उम्र नहीं थी। गुड़ियों से या घर-घर खेलना रुचिकर नहीं रहा। चम्पा के पेड़ के नीचे कंचा खेलना अच्छा लगता था। जब-तब अमरूद के पेड़ पर चढ़कर अमरूद खाना और चम्पा को निहारना अच्छा लगता। जब सन् 1994 में पटना निवास की तो बगीचा में चम्पा से पुनः भेंट हो गयी। कुछ सालों के बाद एक दिन पथ चौड़ीकरण में कट गया पेड़। रात को भोजन नहीं किया जा सका। लेकिन बहुत ज्यादा देर उदास रहने की मोहलत नहीं मिली। कुछ दिनों के बाद कटे ठूँठ बने मृतप्राय तने में से कोपल झाँक रहा था।

आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

--

गीत " चार फरवरी-जन्मदिन फिर आज आया" 

साल बीतामाह बीतेबीतते दिन-पल गये,
बालपन-यौवन समय के साथ सारे ढल गये,
फिर दरकते पत्थरों नेज़िन्दग़ी का गीत गाया।
प्रीत की सौगात लेकरजन्मदिन फिर आज आया।।
--
"ऐसा हो ही नहीं सकता..। शुरू हुआ इश्क कभी समाप्त नहीं हो सकता..।
मुझे बचपन से चम्पा से लगाव था, तब पागलपन समझने की उम्र नहीं थी। गुड़ियों से या घर-घर खेलना रुचिकर नहीं रहा। चम्पा के पेड़ के नीचे कंचा खेलना अच्छा लगता था। जब-तब अमरूद के पेड़ पर चढ़कर अमरूद खाना और चम्पा को निहारना अच्छा लगता। जब सन् 1994 में पटना निवास की तो बगीचा में चम्पा से पुनः भेंट हो गयी। कुछ सालों के बाद एक दिन पथ चौड़ीकरण में कट गया पेड़। रात को भोजन नहीं किया जा सका। लेकिन बहुत ज्यादा देर उदास रहने की मोहलत नहीं मिली। कुछ दिनों के बाद कटे ठूँठ बने मृतप्राय तने में से कोपल झाँक रहा था। 
"तुम्हारी उदासी मुझसे बर्दाश्त नहीं हो सकी। वृक्ष बनने का स्थान बनाओं..।"
इसीलिए बी पी शुगर मोटापा
जैसे जीवन शैली रोगों का,
मानव शरीर गुलाम हो गया।
गैरों से जीतने की 
तो दूर की बात
अपनो से ही मात खा गए हम! 
एक बार फिर अपनो को 
जीतने के खातिर
आपनो से हार गए हम।  
सोचा था कुछ कर पाऊँगा
जीवन खुशियों से भर पाऊँगा
स्मरण हर क्षण तेरा  मन मे
किया तेरा ही गुणगान
दे ज्ञानपुंज मिटा अज्ञान
अब तो अनुकंपा कर दो भगवान..
आज पुनः निहारा  दोनों को 
स्मृतियाँ कुछ जागीं अंतर में, 
कैसे मैंने ली तस्वीर 
प्रेरित कैसे किया तुम्हीं ने ! 
शांत पात री छाया ओढ्या 
शीतळ झोंक रो उद्गार।
दूबड़ धरती हिवड़ा सजती 
काळजड़ रो है सिणगार।
मन री आख्या मुंडो देख्यो 
ल्यूँ बलाएँ सुयोग रह्या।।
--
"अब बोल भी दो...।कुढ़न लिए मैंने कहा। 

"अच्छा सुनोएक गिलास गुनगुना पानी,स्लीपरशेविंग-किट दे दो और मोबाइल भी चार्जिंग पर डाल देना।"  

उन्होंने नज़ाकत से कहा जैसे उनके सामने रूम सर्विस खड़ी थी। कहाँ वे विनम्र औरतें और कहाँ मैं! सो सहजता से कुछ भी ले न सकी और ब्याहता हूकें दबाते-दबाते चेहरे पर पसर गयीं। बेबसी की रेत दांत किरकिरे कर गयी। 

"इन्हीं कारणों से शादियों में काठ पैदा होने लगता है।"

"मैं समझा नहीं….।

-- 

आज का सफ़र यहीं तक 

@अनीता सैनी 'दीप्ति'

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर एवं सार्थक चर्चा प्रस्तुति|\
    सभी पाठकों को और चर्चा मंच के सहयोगियों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|
    आपका आभार अनीता सैनी 'दीप्ति' जी!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर संकलन सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई, मेरी रचना को आज के अंक में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार Mam 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही उम्दा प्रस्तुति!
    सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
    मेरी रचना को खूबसूरत रचनाओं के साथ शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय मैम🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति ।
    सभी रचनाकारों ,चर्चाकारों एवं पाठकों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|

    जवाब देंहटाएं
  5. श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद और हार्दिक आभार आपका
    बसंत पंचमी की आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ और हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद और हार्दिक आभार आपका
    बसंत पंचमी की आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ और हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह! एक से बढ़कर एक रचनाओं का संकलन किया है अपने आज की चर्चा में, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  8. मनमोहक सुंदर सराहनीय अंक अनीता जी। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई बसंत पंचमी की शुभकामनाएं 🏵️🏵️🌻🌻

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर चर्चा अंक, आप सभी को बसंत पंचमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
    वसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  11. अति सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।