सादर अभिवादन
आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)
बिना किसी भूमिका के चलते हैं, आज की कुछ खास रचनाओं की ओर...
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
बोधगम्यता ही कहूँगी
रात्रि की, कि
चाँद रुपी लालटेन से
चाँदनी बरसाना
उन्मुक्त भाव से
अंबर पर तारे छिड़कना
और फिर यों हीं
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नहीं तो अजल से यही है फ़साना ...
इसी चापलूसी की सीढ़ी से आना.बुलंदी की छत पे जो तुमको है जाना. कई बार इन्सानियत गर जगे तो, कड़ा कर के दिल से उसे फिर हटाना. भले सच ये तन कर खड़ा सामने हो,न सोचो दुबारा उसे बस मिटाना.
टके के तीन
सैनानी जिसने सेना में जवानों को खिलाये जाने वाले खाने में परसी जा रही पतली दाल का वीडियो वायरल करने पर सेवा मुक्त कर दिया गया, यह समाचार पढ़कर दुःख भी हुआ और सन्तोष भी।" अभी मैं उधेड़बुन में ही था।
कि मित्र रमेश आ गया,-"महेश किस दुविधा में फँसे हो?" आते ही उसने मुझसे कहा।
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येड़ा बन कर पेड़ा खाना
मुहावरे जिंदगी के तजुर्बों पर ही बनते हैं ! इनमें समाज और लोगों के अनुभवों का सार होता है। ऐसा ही एक मुहावरा है, ''येड़ा बन कर पेड़ा खाना !'' वैसे तो यह एक बंबइया मुहावरा है, जिसका मतलब होता है, खुद को बेवकूफ जतला कर अपना अभिलाषित या वांछित
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"नवीन चौरे" की उस कविता को सलाम जिसे सदी की कविता कहना जरूरी हो जाता है
नेताओं का भी दर्द तो समझों कोई (व्यंग्य)
आज का सफर यही तक, अब आज्ञा देआप का दिन मंगलमय होकामिनी सिन्हा
असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
बहुत सुन्दर और श्रमसाध्य चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार कामिनी सिन्हा जी।
सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा में मुझे भी सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसार्थक और सराहनीय रचनाओं का संकलन ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा बाद शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को इस
खूबसूरत चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद प्रिय मैम🙏
बेहतरीन संकलन।
जवाब देंहटाएंमेरे सृजन को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
सादर
आभार कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंBahut umda!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी को तहेदिल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी गज़ल को जगह देने के लिए ...