फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, फ़रवरी 22, 2022

"प्यार मैं ही, मैं करूं"(चर्चा अंक 4348)

 सादर अभिवादन

मंगलवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है

(शीर्षक और भुमिका आदरणीय ज्योति खरे सर जी की रचना से)

लंबा सफ़र है 
हम सभी का
हम मुसाफिर हैं सभी
दौड़ते हैं, हांफते हैं 
या बैठते हैं हम कभी

यह सिलसिला है राह का,
प्यार से 
कुछ बात कर लें-----

सच, ये जिंदगी एक सफर है और
हम चंद दिनों के मेहमान 
तो क्यों न, प्यार से गुजार लें
ज्योति खरे सर की इस लाजवाब पंक्तियों के साथ चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर..

********

दोहे "सोच-समझ कर ही सदा, यहाँ बनाओ मित्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


जिस चिट्ठे के साथ में, जुड़ा आपका नाम।
उस पर भी तो कीजिए, निष्ठा से कुछ काम।२।

लेखन के संसार में, चलना नहीं कुचाल।

जो सीधा-सीधा चले, होता वो खुशहाल।३।

******


प्यार मैं ही, मैं करूं


ओ करें हम
नव सृजन-
एक मूरत और गढ़ लें

'प्यारे', 
प्यार मैं ही मैं करूं
और तुम कुछ ना करो
कैसे बंधाऊं आस मन को
तुम 'न' करो, न 'हाँ' करो!

****************

धानी धरा

शीत का उजड़ा घरौंदा

धूप मध्यम है बसंती

खग विहग लौटे प्रवासित

जल मुकुर सरिता हसंती

फूल खिल उस डग उठे अब

राह  कल तक थी कटीली।।

*****








जीवन - एक यात्रा

अथवा वास्तविक स्वयं से रिक्त मन से  

मायावी स्वयं को हटाने का नाम !


और मायापति  को बिठाने का भी ? 


या फिर स्वयं जो जानकार बना फिरता है 

उसे अज्ञानी बनाने की यात्रा का ?


जीवन एक सीमित भाव से 

असीम में प्रवेश की यात्रा भी तो  है !


**********


**************
 तेरे बिन अधूरी सी


तुम्हारा आना,बसंत के आने जैसा था।
इस बंजर-सी जिंदगी में उम्मीद का 
पौधा लग जाने जैसा था।
तुम्हारे द्वारा मेरा हौसला बढ़ाना 
रब़ी की फसलों पर हुई 
बारिश की मोती-सी बूदों-सा था।
वो नयनों का लजाना, 
********




जाने अखियों से छलकते अश्क क्यूँ उस याद में,

जिसने तडपाया मुझे जलती हुई इक आग में |

बेसबब ग़म आह बन निकलेगी उसके लहजे से,

दिल धड़कता पर रहेगा आस रख फ़रियाद में |



****************

आज हम बनाएंगे बिना मोयन के बाजरे के आटे की खस्ता मीठी मठरी। इस मठरी में मोयन न होने से तलते वक्त भी ये तेल कम पीती है। इसके बावजूद खस्ता इतनी बनती है कि बाजार की कुकीज जैसी लगती है। आइए बनाते है बाजरे के आटे की खस्ता मीठी मठरी... ******

आज का सफर यही तक, अब आज्ञा देआप का दिन मंगलमय होकामिनी सिन्हा





10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत उत्तम चर्चा प्रस्तुति!
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी|

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात, पठनीय रचनाओं के सूत्र देती सुंदर चर्चा, आभार कामिनी जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति!
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर पठनीय रचनाओं को संकलित किया है,
    साधुवाद आपको
    सम्मलित रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,कामिनी दी।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर, सार्थक, पठनीय सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरे संस्मरण को आज की चर्चा में स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही उम्दा चर्चा आदरनीय । । मेरी रचना चर्चा में शामिल करने हेतु शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  8. आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर अभिवादन 🙏

    जवाब देंहटाएं
  9. पठनीय सामग्री, शीर्षक की सुंदर पंक्तियां एंव विश्लेषण।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
    मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार कामिनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।