फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, फ़रवरी 23, 2022

"हर रंग हमारा है" (चर्चा अंक-4349)

 मित्रों!

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।

--

पंखुड़ियाँ 

तुड़ी मुड़ी सूखी पंखुड़ियाँ 
पीले लाल गुलाब
यादों की हमसाया मेरी
दीमक लगी किताब ।

कल के मधुरिम 
एहसासों में पूरे डुबे अहे
रेशा रेशा कलियों का
अफसाना खूब कहे
कैसा मेरा था गुरूर
कैसी थी आब ? 

जिज्ञासा की जिज्ञासा 

--

दोहे "मेंहदी का अवलेह" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--
कुंकुम बिन्दी मेंहदी, काले-काले बाल।
रचकर दिखलाती हिना, अपना खूब कमाल।।
--
मेंहदी को मत समझना, केवल एक रिवाज।
सुहागिनों का गन्ध से, हिना खोलती राज।।
--

गीत 

"सूरज उगा विश्वास का" 

Purple Flowers from San Francisco 
सुमन पुलकित हो रहा, 
अभिनव नवल शृंगार भर।
दे रहा मधुमास दस्तक....

भ्रमर की गुञ्जार गुन-गुन, 

गान है गाने लगी,
तितलियों की फड़फड़ाहट, 
कान में आने लगी,
छा गया है रंग, 
मधुवन में बसन्ती रूप धर।
दे रहा मधुमास दस्तक...

उच्चारण 

--

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2022: थीम के पीछे की क्या है वजह, जानें भाषा के जीवन से जुड़े तार और योगदान भाषा वह डोर है जो सबको एक दूसरे से बांधे हुए हैं। इसी डोर की मजबूती बढ़ाने के लिए हर साल आज के दिन अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। जानें इस वर्ष की थीम के पीछे की वजह और भाषा के जीवन से जुड़े तार के बारे में कबीरा खडा़ बाज़ार में 

--

विलुप्त हो चुके शब्दों से परिचय आवश्यक 

21 फरवरी को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 

(International Mother Language Day) के रूप में 

मनाया जाता है. दुनिया में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ 

मातृभाषाओं से जुड़ी जागरुकता फैलाने के 

उद्देश्य से यह दिन मनाया जाता है. 

इस दिन को मनाने का उद्देश्य कुछ अलग ही है. 

सन 1952 में ढाका विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों 

और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 

अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए 

एक विरोध प्रदर्शन किया. 

तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की पुलिस ने 

प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ बरसा दीं. 

इससे 16 लोगों की जान चली गई. 

भाषा के इस बड़े आंदोलन में शहीद हुए 

लोगों की याद में सन 1999 में यूनेस्को ने 

पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा की. 

रायटोक्रेट कुमारेन्द्र  

--

किताबों की दुनिया -251 विजेन्द्र सिंह 'परवाज़' साहब की ग़ज़लों, नज़्मों, गीत और दोहों की अनूठी किताब 'ग़ज़ल की बात करूँ' खुली हुई है। इस किताब को रवि पब्लिकेशन, मेरठ ने प्रकाशित किया है, इसे आप फ्लिपकार्ट से ऑन लाइन भी मँगवा सकते हैं। उनके दिलकश क़लाम के लिए आप उन्हें 9412285618 पर बधाई भी दे सकते हैं।

तुम अपने प्यार का किस्सा उठा के बैठ गए 
हज़ार कश्तियां दरियाओं में उतरती हैं 

जो बात ख़त्म हुई उस पै लड़ रहे हैं लोग 
यहांँ तो डूब के लाशें, बहुत उभरती हैं !

नीरज 

--

है लगे आज जुगनू भी महताब सा अश्क़ आँखें बहाती रही रातभर याद तेरी सताती रही रातभर प्यार से लग गले ओस कचनार के साथ में खिलखिलाती रही रातभर  चाँदनी रात ( लक्ष्य ) 

--

कविता  वही हमरंग हैं हम , हर रंग हमारा है 

वही हमरंग हैं हम , हर रंग हमारा है 

वह हरी हरी बिंदी के साथ 

गुलाबी चुनरिया ओढ़े हुए 

लाल चूडियाँ खनकाती हैं 

काली आंखों का बंधन वो 

प्रेम जिसका एक सहारा है 

वही हमरंग हैं हम , हर रंग हमारा है  

साहित्यमठ 

--

अपने कमजोर अंत के कारण शृंखला से न्याय नहीं कर पाता है 'परमात्मा' 

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: ईबुक | पृष्ठ संख्या: 48 | 

प्रकाशक: राज कॉमिक्स | शृंखला: परमात्मा #4 | 

लेखक: तरुण कुमार वाही | चित्रांकन: हेमंत कुमार | 

परिकल्पना: विवेक मोहन | इफ़ेक्ट्स: अब्दुल राशीद | 

कैलीग्राफी: अमित कठेरिया

पुस्तक लिंक: अमेज़न

समीक्षा: परमात्मा | राज कॉमिक्स

कहानी 

इंस्पेक्टर विनय को त्रिकाली के कत्ल के जुर्म में 
जेल डाल दिया गया था। वहीं परमात्मा ने विनय को 
दर्शन देकर उसे त्रिकाली के 
कातिलों का पता दे दिया था। 
परमात्मा से विनय की इस मुलाकात ने 
विनय के मन में परमात्मा को लेकर 
कुछ प्रश्न खड़े कर दिए थे।
परमाणु के ऊपर मृत्युयोग की भविष्यवाणी के 
विषय में लोग अभी भी चिंतित थे। 

एक बुक जर्नल 

--

अनुग्रह भजन का

अचानक  जब नजर पडी

देखी अनौखी वस्तु वस्त्र में लिपटी 

पहले कभी देखी न थी

जानने की उत्सुकता जागी  |

वह  कोई पुस्तक न थी

नाही कोई दस्तावेज

जितनी बार देखा उसे

पता नहीं चल पाया है वह क्या 

Akanksha -asha.blog spot.com 

--

भक्ति करे कोई सूरमा 

संत कहते हैं, मानव के मन के भीतर आश्चर्यों का खजाना है, हजारों रहस्य छुपे हैं आत्मा में. जो कुछ बाहर है वह सब भीतर भी है. मानव यदि परमात्मा को भूल भी जाये तो वह किसी न किसी उपाय से याद दिला देता है. एक बार कोई उससे प्रेम करे तो वह कभी साथ नहीं छोड़ता. वह असीम धैर्यवान है, वह सदा सब पर नजर रखे हुए है, साथ है, उन्हें बस नजर भर कर देखना है डायरी के पन्नों से 

--

यूक्रेन के आकाश पर अदृश्य-युद्ध के बादल 

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दो पृथकतावादी क्षेत्रों को मान्यता दे दी है। इनपर रूस समर्थित अलगाववादियों का नियंत्रण है। पुतिन ने जिस शासनादेश पर दस्तख़त किए हैं उसके मुताबिक़ रूसी सेनाएं लुहान्स्क और दोनेत्स्क में शांति कायम करने का काम करेंगी। आशंका है कि सेनाएं जल्दी ही सीमा पार कर लेंगी 

--

उड़ जा पंछी अनंत पथ पर उड़ जा पंछी अनंत पथ पर,

छोड़   दे    अपना    नीड़।

ऐसे  उड़िये  उड़ते   जाओ,

स्वयं बना लो अपना नीड़।।

अशर्फी लाल

काव्य दर्पण 

--

आज के लिए बस इतना ही...!

--

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    धन्यवाद सर आज के अंक में मेरी रचना को स्थान देने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात 🙏
    हमेशा की तरह बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति 💐
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी प्रस्तुतियां शानदार एवं प्रशंसनीय। बहुत बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. शानदार चर्चा अंक।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    सभी रचनाएं बहुत आकर्षक।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  5. पठनीय रचनओं के सूत्र देती बहुत श्रम से सजाई गयी है आज की चर्चा, बहुत बहुत आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  6. पठनीय सूत्रों से संग्रहित श्रमसाध्य चर्चा ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सभी सूत्र पठनीय और सराहनीय ।
    आपके श्रमसाध्य कार्य को नमन ।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार । सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
    आपको मेरा सादर अभिवादन आदरणीय शास्त्री जी 👏💐

    जवाब देंहटाएं
  8. रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।