मित्रों...!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक!
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तेरी है ज़मीं तेरा आसमाँ परमात्मा ने हमें अनगिनत उपहार दिए हैं। यह सारा जगत, तन, मन तथा बुद्धि उसकी नेमत ही तो हैं। वही प्रकृति के सौंदर्य द्वारा हमें लुभाता है। रंग-रूप और ध्वनि का यह सुंदर आयोजन क्या उसकी लीला नहीं है ? हम उसकी दी हुई नेमतों का उपयोग किस भावना के साथ करते हैं, इसी पर हमारे सुख-दुःख निर्भर हैं। डायरी के पन्नों से
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दोहे "आज दिवस प्रस्ताव" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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प्रगति ख़ाली बर्तनों को सिंक में पटकते हुए कहती है।
" इतनी निर्मोही न बनो; पसंद नहीं हूँ सीधा कह दो, व्यवहार तो ऐसे कर रही हो जैसे ट्रैफ़िक-पुलिस का काटा चालान हूँ।”
लेखा बड़े स्नेह से प्रगति के कंधे पर ठुड्डी रखते हुए कान में कहता है।
"पूछा कब था? पिछले एक वर्ष से देख रही हूँ तुम्हें ; क्या चल रहा है ये,और ये अट्ठाईस दिन पहले आने वाला क्या झंझट है!"
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दामन में खुशियां मैं तेरे यूं भरता रहूँगा।
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मध्य अहम् की दीवारों से
कैसे पायें पार।
रखें ताक पर धीरज को, ढूँढ़ रहें क्यों सेज,
पहन प्रेम का आभूषण, पाती मन की भेज
बनता है राई का पर्वत, बात बात पर रार।।
मध्य अहम् की दीवारों से,कैसे पायें पार।।
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लता मंगेशकर को मैंने अपने पापा के माध्यम से जाना है। हालाँकि उस उम्र में मुझे नहीं मालूम था कि गाना किसने गाया और रेकॉर्ड में बजता कैसे है। 'हिज मास्टर्स वॉइस' के रेकॉर्ड में लाउडस्पीकर के सामने एक कुत्ता बैठा रहता है। मैं सोचती थी कि वह कुत्ता कितना अच्छा गाता है, औरत-मर्द दोनों की आवाज़ में गाता है। लेकिन बाहर का कुत्ता क्यों नहीं गाता, सिर्फ भौं-भौं क्यों करता है? यह ऐसा अनसुलझा प्रश्न था जो मैं सोचती रहती थी, आश्चर्यचकित रहती थी, मेरी खोजबीन जारी थी। लेकिन इसका उत्तर कभी पूछा नहीं किसी से। जब समझ आया कि गाना इंसान गाता है, तो अपनी मूर्खता पर चुचाप ख़ुद ही हँसती थी। लता जी को हार्दिक श्रद्धांजलि!
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कल रात ठीक से सो नहीं पाए और सुबह चल दिये हमेशा की तरह ट्रेन से ऑफिस के लिए.
थोड़ी देर किताब पढ़ते रहे और न जाने कब नींद का झोंका आया और हम सो गये. पूर्व से पश्चिम तक १०० किमी में फैले इस रेल्वे ट्रैक पर मेरे ऑफिस टोरंटो डाउन टाउन के लिए पूर्व से पश्चिम की ओर ५० किमी ट्रेन से जाना होता है. दूसरी तरफ फिर ५० किमी पश्चिम की तरफ ओकविल और हेमिल्टन शहर है. मगर मेरी ट्रेन डाऊन टाऊन पहुँच कर समाप्त हो जाती है. आगे नहीं जाती सवारी लेकर.
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विरक्ता भाव
प्रीत नगरिया हेलो मारे
शांत पात री छाया ओढ्या
शीतळ झोंक रो उद्गार।
दूबड़ धरती हिवड़ा सजती
काळजड़ रो है सिणगार।
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सम्मानित जो सकल विश्व में महिमा जिनकी बहुत रही है , अमर ग्रन्थ वे सभी हमारे , उपनिषदों का देश यही है , गायेंगे हम सब यश इसका , यह है स्वर्णिम देश हमारा , आगे कौन जगत में हम से , यह है भारत देश हमारा। सुब्रमणयमभारती कबीरा खडा़ बाज़ार में
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यूँ तो रजनी मोरवाल जी का साहित्य के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है और मेरा भी उनसे परिचय फेसबुक के ज़रिए काफी समय से है लेकिन अब से पहले कभी उनका लिखा पढ़ने का संयोग नहीं बन पाया। इस बार के पुस्तक मेले से पहले ही ये ठान लिया था कि इस बार मुझे उनकी लिखी किताबें पढ़नी हैं। इसी कड़ी में जब मैंने उनका ताज़ा लिखा उपन्यास "गली हसनपुरा" पढ़ना शुरू किया तो शुरुआती पृष्ठों से ही उनकी धाराप्रवाह लेखनशैली और ज़मीन से जुड़े मुद्दों ने मन मोह लिया हँसते रहो--
मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु की रचना चलो सभी मतदान करो, उनके सुपुत्र अनंत मनु के स्वर में
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काश, नवजात बच्चे की माँ के दर्द को हम समझ पाते!!
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कभी भी बैर नहीं
दी है ममता
सारी दुनिया
सोती थी बेखबर
तुम अचेत
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आज के लिए बस इतना ही...!
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद शास्त्री जी मेरी रचना को चर्चा मंच के इस अंक में स्थान देने के लिए |
आज की विस्तृत चर्चा में पढ़ने के लिए काफ़ी कुछ संजो कर रखा गया है, आभार मुझे भी इस सुंदर प्रस्तुति में शामिल करने हेतु!
जवाब देंहटाएं--
जवाब देंहटाएंगुरू-शिष्य पागल हुए, ज्ञान हुआ विकलांग।
नहीं भरोसा कर्म पर, बाँच रहे पंचांग।।
सुन्दर है दोहावली
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राजनीति जैसा हुआ, आज प्रणय का खेल।
झूठे हैं प्रस्ताव सब, झूठा मन का मेल।।जीवनभर की प्रीत का, सिमट रहा आधार।
रासरंग के लिए ही, उमड़ रहा अब प्यार।।छोड़ो ढोंग-ढकोसले, तजो पश्चिमी रीत।
अमर हमेशा जो रहे, वो होती है प्रीत।।
शास्त्री जी के दोहरे जैसे गंगा नीर ,
तन मन को शीतल करें हर लें सबकी पीर।
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी प्रणाम👏
जवाब देंहटाएंवैविध्यपूर्ण रचनाओं से सज्जित सार्थक अंक ।
सुंदर और श्रमसाध्य प्रस्तुति ।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।
सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर..सभी लिंक से एक से बढ़कर एक दिए हैं आपने...बहुत खूब आदरणीय शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंमेरे विरक्ता भाव और लेखा को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
सभी को बधाई।
सादर
बहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
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