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सोमवार, फ़रवरी 21, 2022

'सत्य-अहिंसा की राहों पर, चलना है आसान नहीं' (चर्चा अंक 4347)

 सादर अभिवादन। 

सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

लीजिए पढ़िए चंद सद्यप्रकाशित चुनिंदा रचनाएँ-

नवगीत "आगे बढ़ना आसान नहीं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


स्वयं परिश्रम करना पड़ता,
 नहीं हाट में ये मिलता,
मक्कारों, बे-ईमानों को, 
सबक सिखाना पड़ता है।
सत्य-अहिंसा की राहों पर, 
चलना है आसान नहीं।
ऊँची पर्वत-मालाओं पर, 
चढ़ना है आसान नहीं।।
*****
कैसे लिखूँ?

अकेलेपन के अबोले शब्द 

अधीर चित्त की छटपटाहट

उफनती भावों की नदी को 

कैसे अल्पविराम पर ठहरना लिखूँ?

*****

हाइकु

३- रहूँ सतर्क 

किसी पर विश्वास

रखूँ न रखूँ

४-वो एक दिन

हो जाएगी समाप्त

 मृत्यु के साथ 

*****

चांद गया था दवा चुराने | ग़ज़ल | डॉ शरद सिंह | नवभारत

लिए हथकड़ी दौड़ रही है हवा, मुचलका भूल
छत पर चढ़ कर सूरज झांके, देखे आंख तरेर।

चाहे जितना  बचना चाहो, जलना है हर हाल
छनक-छनक कर ही जलती है,घी में बची महेर।

*****

सागर तट

थकती नहीं मैं सदियों से
लहरे उसको रोज मिटाती
लहरे कहाँ रिश्ता निभाती
गुजर जाती एक पल में
छुकर उस प्रेमी के भाँति
*****
लड़की हो तुम,तो प्यार की चाहत क्यों है? 
के ऐसे बातों को काटने की आदत क्यों है? 
आखिर क्यों उड़ान भरनी है आसमान में? 
और यूँ लड़कों की बराबरी क्यों है ध्यान में? 
कुछ लोग हैं,जो ज़िंदगी ख़ाक बना देते हैं। 
*****
रमेशराज की वर्णिक छन्दों में तेवरियाँ

सब विष-भरे

फल हैं सखी।


सुख के कहाँ

पल हैं सखी।


नयना हुए

नल हैं सखी।

*****

बेटियाँ जानती हैं उनके जन्म के बाद नहीं बजेगी थाली:)

बेटियों को पता है माँ जा चुकी है
अब नहीं आएँगी
वो पिता के कंधे पर सिर रख कर
मायके के हर रिश्ते को गले लगा कर

माँ की गंध महसूस करना चाहती है
*****
तूफानों में पलते पलते

क्या डराते हो तुम आंधियों के मिजाजों से

चलना सीखा हमने तूफानों में पलते पलते

 

जो भी है दिल में पलाश आज ही कह दो

बात बन जाती है फ़साना यूं टलते टलते

*****

ऑनलाइन बालमन

वक्त के घातक प्रवंचन 
में फँसा मासूम मन
ओस की बूँदें छिड़क
कैसे करे अब आचमन
भ्रम के सागर में डुबा 
बाहर निकलने से से डरे।।
*****

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति|
    आपका बहुत-बहुत धन्यवाद....
    आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी|

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    आभार सहित धन्यवाद रवीन्द्र जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए इस अंक में |

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन संकलन।
    कैसे लिखूँ? रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
    सभी को बधाई।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन संकलन।
    रवीन्द्र जी मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर सराहनीय चर्चा प्रस्तुति। मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बढियां चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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