सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
बीते रोज़ स्वर सम्राज्ञी भारतरत्न लता मंगेशकर जी का देहावसान संगीतप्रेमियों को अपनी प्रिय दीदी को खोने का गहरा रंज-ओ-ग़म दे गया। संगीत का एक जीता-जागता युग 92 साल की आयु में अपना स्वर हमें धरोहर के रूप में सौंपकर विलुप्त हो गया। दुनियाभर में संगीत रसिक इस ख़बर से व्यथित हुए।
संगीत हमें संस्कार और संवेदना से जोड़ता है। संगीत एक कला है जो हमारी संस्कृति का अंग है। लता दीदी द्वारा गाए गए 30 हज़ार से अधिक गाने 36 भाषाओं में स्वरबद्ध हैं। हमारे एहसासात से गुज़रते गीत गाकर उन्होंने जीवन को रसमय बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। उनका किशोरवय का संघर्ष अत्यंत मार्मिक और प्रेरणादायक है। 13 वर्ष की उम्र में जीवन में पिता का साथ छूटना और भाई-बहनों की परवरिश के लिए लंबा संघर्ष करते हुए गायन में अपनी धाक जमाना कठिन चुनौती थी।
वे आजीवन अविवाहित रहीं और पूरा जीवन संगीत की साधना में समर्पित कर दिया। भारत-चीन युद्ध के बाद 27 जनवरी 1963 को नई दिल्ली में आयोजित सरकारी कार्यक्रम में जब उन्होंने संगीतकार सी.रामचंद्र के निर्देशन में कवि प्रदीप का रचा ग़ैर-फ़िल्मी गीत-
"ऐ मेरे वतन के लोगो
ज़रा आँख में भर लो पानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुर्बानी।
गाया तो माहौल ऐसा बना कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू रो पड़े थे।
लता दीदी भविष्य में शोध का विषय रहेंगी जिन्हें संगीत के विभिन्न रूपों में जाना जाएगा।
चर्चामंच परिवार लता दीदी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
आइए पढ़ते हैं आज की चुनिंदा रचनाएँ-
गीत "शब्दों की पतवार थाम, मैं नौका पार लगाऊँगा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
घर घर में उत्सव दूना,
बन रहीं रंगोली आज।
युवतियां दिखें पीत बसना,
पैरों में लगी महावर आज।।
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पाले में ढके, कोहरे में खेत
झूमते पा परस वासन्ती हवा का
चुप सी खड़ी थी जो सरसों की हर वह कली कल
फूल बन घर से गयी है
वसंत के आने की खबर उसको भी मिल गयी है !
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जिनमें कबीर सी निर्भयता , क्या वो स्वर अब भी मिलते हैं ,
जिनमें गांधी सी जन - चिंता , क्या वो उर अब भी मिलते है।
कितना भी हो बड़ा प्रलोभन , शीर्ष सुखों के दुर्लभ सपने ,
जो न झुके राणा प्रताप से , क्या वो सिर अब भी मिलते हैं।
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अद्यतन लिंको के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंस्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर को शत शत नमन|
आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी|
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स |
स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को विनम्र श्र्द्धांजलि, दीर्घकाल तक वे जगत को अपने गीतों से महकाती रही हैं और आगे भी महकाती रहेंगी, अपने संगीत में वे अमर हो गयी हैं। पठनीय रचनाओं के सूत्रों की खबर देती सुंदर चर्चा, आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीया लता जी के यादों को समेटे बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सर, सरस्वती सवरुपा लता मंगेशकर जी को सत सत नमन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। लताजी की स्मृति में उनसे जुड़ी रचनाओं को पढ़ते पढ़ते मन भर आया।
जवाब देंहटाएंवो गीत याद आ रहा है -
ना जाने क्यूँ,होता है ये जिंदगी के साथ, किसी के जाने के बाद, मन करे उसकी याद, छोटी छोटी सी बात....
अन्य रचनाएँ भी बहुत अच्छी हैं।
आदरणीय लता जी की स्मृतियों से ओतप्रोत सराहनीय अंक ।
जवाब देंहटाएंसुर साम्राज्ञी लता दीदी को शत शत नमन ।
आपको सादर शुभकामनाएं आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी ।