सादर अभिवादन।
सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं कुछ पसंदीदा रचनाएँ-
दोहागीत "फैला भ्रष्टाचार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
ओढ़ लबादा हंस का, घूम रहे हैं बाज।
लूट रहे हैं चमन को, माली ही खुद आज।।
खूनी पंजा देखकर, सहमे हुए कपोत।
सूरज अपने को कहें, ये छोटे खद्योत।।
मन को अब भाती नहीं, वीणा की झंकार।
भाई-भाई में नहीं, पहले जैसा प्यार।।
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अर्श से फ़र्श तक का सफ़र
हम लोग घर लौट रहे थे. हमारी श्रीमती मुस्कुराते हुए मीरा के भजन की यह पंक्ति बार-बार गुनगुना रही थीं -
अब तो बात फैल गयी जानें सब कोई ----
अब तो बात फैल गयी जानें सब कोई ----’
हम चलते हुए और अपनी आँखें नीची किए हुए मीरा के भजन की इस पंक्ति को श्रीमती जी के श्री-मुख से सुने जा रहे थे, सुने जा रहे थे और मन ही मन कुढ़े जा रहे थे, कुढ़े जा रहे थे.
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“ऋतुराज बसंत”
वह हँस रहा है -
गेंदे के फूलों में
खेत खलिहानों में
फूली सरसों और गोधूम की
बालियों में
टेसू में डूबे फाग- राग में
ओह ! बसंत !
ऋतु राज बंसत !
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नश्वर हर रेशा बंधन का!
तन नश्वर, बंधन भी नश्वर,
नश्वर हर रेशा बंधन का !
भीतर जलती एक चिता है,
बाहर उत्सव, गीत सृजन का।
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आओ ! खुद से प्यार करें
खुदगर्जी नहीं खुद से प्यार
यह तो तन मन का अधिकार
तन-मन से ही है ये जीवन
कर लें जीवन का सत्कार !!
क्या फिर!अब जो कहीं,
बिछड़ोगे, तो बिसारोगे तुम,
बंदिशों में, आ भी न पाओगे, चाहकर भी,
याद रखना,
कि, हम हैं खड़े, बांहें पसारे!
क्या, फिर मिलोगे कहीं!
समय और अनन्त के, उस तरफ ही सही!
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प्रेम...
सुनो न...
मैं रहना चाहती हूँ
तुम्हारे जीवन में
बनकर शाश्वत प्रेम
तुम्हारे हृदय के स्पंदन में,
आँखों की स्वप्निल छवि में,
होंठों से उच्चरित मंत्र की तरह
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ग़ज़ल
तुम मिले सारा जहाँ हमको मिला
यूँ लगे पूरी इबादत हो गयी।।
ये नजर करने लगी शैतानियां
होश खो बैठे कयामत हो गयी।
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मन का विश्वास
तुम भी ऊपर चढ़ सकते हो,रखो यह मन में विश्वास।
तुम भी आगे बढ़ सकते,चलो सदा यह लेकर आस।
विश्वास भरा यह कदम तुम्हारा कभी न रुकने पाएगा।
विजय पताका पास....
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी सोमवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सुंदर सूत्रों का चयन । बेहतरीन प्रस्तुति ।चर्चा में शामिल करने के लिए सादर आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंपाश्चात्य प्रेम दिवस की बधाई हो।
आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।
सुन्दर संयोजन,सभी को बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को भी स्थान देने के लिए हृदय से आभार 💐🙏
आधुनिकता के इस दौर में प्रेम प्रदर्शन और प्रकटीकरण की इस अनोखी परम्परा अदायगी के अवसर पर इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई।।।।।
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकुछ कारणवश आज कई दिन के बाद आना हुआ
प्रस्तुति देख कर बहुत ही अच्छा लगा!
सादर..
आभार🙏
बेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन,
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी।
मेरी रचना शामिल करने के लिए
अत्यंत आभार आपका।
सादर।
उत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार।सभी रचनाकारों को बहुत बहि बधाई एवं शुभकामनाएं।
बहुत अच्छी, श्रमसाध्य प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने हेतु सादर आभार आदरणीय रवींद्रजी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय अंक ।
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