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सोमवार, फ़रवरी 14, 2022

'ओढ़ लबादा हंस का, घूम रहे हैं बाज' (चर्चा अंक 4341)

सादर अभिवादन। 

सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है। 

आइए पढ़ते हैं कुछ पसंदीदा रचनाएँ-

दोहागीत "फैला भ्रष्टाचार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

ओढ़ लबादा हंस काघूम रहे हैं बाज।

लूट रहे हैं चमन कोमाली ही खुद आज।।

खूनी पंजा देखकरसहमे हुए कपोत।

सूरज अपने को कहेंये छोटे खद्योत।।

मन को अब भाती नहींवीणा की झंकार।

भाई-भाई में नहींपहले जैसा प्यार।।

*****

अर्श से फ़र्श तक का सफ़र

हम लोग घर लौट रहे थे. हमारी श्रीमती मुस्कुराते हुए मीरा के भजन की यह पंक्ति बार-बार गुनगुना रही थीं -
अब तो बात फैल गयी जानें सब कोई ----
अब तो बात फैल गयी जानें सब कोई ----’

हम चलते हुए और अपनी आँखें नीची किए हुए मीरा के भजन की इस पंक्ति को श्रीमती जी के श्री-मुख से सुने जा रहे थे, सुने जा रहे थे और मन ही मन कुढ़े जा रहे थे, कुढ़े जा रहे थे.
*****

“ऋतुराज बसंत”

वह हँस रहा है -

गेंदे के फूलों में

खेत खलिहानों में

फूली सरसों और गोधूम की 

बालियों में

टेसू में डूबे फाग- राग में

ओह ! बसंत ! 

ऋतु राज बंसत !

*****

नश्वर हर रेशा बंधन का!

तन नश्वर, बंधन भी नश्वर,

नश्वर हर रेशा बंधन का !

भीतर जलती एक चिता है,

बाहर उत्सव, गीत सृजन का।

*****

आओ ! खुद से प्यार करें

खुदगर्जी नहीं खुद से प्यार
यह तो तन मन का अधिकार
तन-मन  से ही है ये जीवन

कर लें जीवन का सत्कार !!

*****

प्रेम...

सुनो न...
मैं रहना चाहती हूँ

तुम्हारे जीवन में
बनकर शाश्वत प्रेम
तुम्हारे हृदय के स्पंदन में,
आँखों की स्वप्निल छवि में,
होंठों से उच्चरित मंत्र की तरह
*****

ग़ज़ल

तुम मिले सारा जहाँ हमको मिला

यूँ लगे पूरी इबादत हो गयी।।

ये  नजर करने लगी  शैतानियां

होश खो बैठे  कयामत हो गयी।

*****

मन का विश्वास

तुम भी ऊपर चढ़ सकते हो,रखो यह मन में विश्वास।
तुम भी आगे बढ़ सकते,चलो सदा यह लेकर आस।
विश्वास भरा यह कदम तुम्हारा कभी न रुकने पाएगा।

विजय पताका पास....
*****

आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे आगामी सोमवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर सूत्रों का चयन । बेहतरीन प्रस्तुति ।चर्चा में शामिल करने के लिए सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    पाश्चात्य प्रेम दिवस की बधाई हो।
    आपका आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर संयोजन,सभी को बधाई!
    मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए हृदय से आभार 💐🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. आधुनिकता के इस दौर में प्रेम प्रदर्शन और प्रकटीकरण की इस अनोखी परम्परा अदायगी के अवसर पर इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई।।।।।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही शानदार प्रस्तुति
    कुछ कारणवश आज कई दिन के बाद आना हुआ
    प्रस्तुति देख कर बहुत ही अच्छा लगा!
    सादर..
    आभार🙏

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन संकलन,
    सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी।
    मेरी रचना शामिल करने के लिए
    अत्यंत आभार आपका।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  7. उत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार।सभी रचनाकारों को बहुत बहि बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छी, श्रमसाध्य प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने हेतु सादर आभार आदरणीय रवींद्रजी

    जवाब देंहटाएं

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