शीर्षक पंक्ति: आदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में आपका स्वागत है।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
गीतिका "पौधों पर छाया है यौवन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
धानी-धानी सजी धरा है,
माटी का कण-कण निखरा है,
मोहक रूप बसन्ती छाया,
फिर से अपने खेत में।।
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भूलें हम महंगाई को, क्यूं फ़िक्र बेकारी की हो,
क़र्ज़ लेने हैं नए, फिर ठोकरें खानी नई.
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घर तो है अपना मगर..
गैर सा क्यों रास्ता है।
आईने के सामने भी..
बिंब मेरा अपना कहाँ है।
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मेरी नजर में,
मेरा सामान्य होना ही
मेरी विशेषता थी,
पर वह विशेषता लोगों की नजर में
बड़ी सामान्य थी !
कोई विशेष विशेषता होती, तो
मैं भी विशेष होती किसी के लिए...
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चिड़ियाँ चहकी कलियाँ महकी।
चली हवा कुछ बहकी - बहकी।
पत्ते बजा रहे हैं झूमकर ताली।
थिरक-थिरक कर डाली-डाली।
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छुटकारा कैसे मिले, इस ‘जानलेवा विषमता’ से?‘वर्ल्ड इनइक्वैलिटी रिपोर्ट-2022’ की प्रस्तावना अभिजित बनर्जी और एस्थर ड्यूफ्लो ने लिखी है, जिन्हें 2019 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से अलंकृत किया गया था। उन्होंने लिखा है कि यूरोप को छोड़कर दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में 50 फीसदी आबादी की आय कुल आय की 15 फीसदी से कम है। लैटिन अमेरिका, उप-सहारा और मध्य-पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीका (मेना-क्षेत्र) में 10 फीसदी से भी कम है। दूसरी तरफ टॉप के 10 फीसदी लोगों की आय 40 फीसदी से ज्यादा और कई जगह 60 से भी ज्यादा है।*****बादामी गुफ़ाएँबारहवीं शताब्दी का यह संत अपने समय से बहुत आगे था। उनके मन में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं था। लौटे तब अँधेरा हो गया था । कल हम्पी जाना है, जहाँ विजयनगर साम्राज्य के अवशेष आज भी हज़ारों दर्शकों के आकर्षण के केंद्र बने हैं। *****biswi sadi ki aakhiri dahai ।। केदारनाथ सिंह ने क्या कहा अभिज्ञात की कवि...
आज बस यहीं तक फिर मिलेंगे आगामी सोमवार।
सभी रचनाएँ सुंदर,सराहनीय और पठनीय । मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार ।।आपको और सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाओं एवं बधाई सहित सादर
जवाब देंहटाएंनमस्कार ।
बहुत सुंदर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी!
सुप्रभात💐
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति सभी एक बहुत ही सराहनीय है निरंतर मेहनत करते हुए चर्चा मंच को चलाते रहने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत आभार🙏
सुप्रभात, विविधता पूर्ण विषयों पर लिखी सुंदर रचनाओं से सजी चर्चा, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। सभी लिंक्स सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर बासंती शीर्षक!
जवाब देंहटाएंसराहनीय, पठनीय लिंक्स का ताजा गुलदस्ता, सभी रचनाएं बहुत आकर्षक।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को इस गुलदस्ते में सजाने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
मोहक रूप बसंती छाया !
जवाब देंहटाएंहम शहरवासी इस रूप को निहार ही नहीं पाते और बसंत निकल जाता है.... इस सुंदर वर्णन को पढ़कर मन प्रकृति के आगोश में जाने को करता है।
सुंदर रचनाओं के इस संकलन ने मेरे मनोभावों को भी पाठकों से जुड़ने का अवसर दिया, बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रवींद्र यादव जी !!!
बहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
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