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रविवार, जुलाई 17, 2022

"बादलों कीआँख-मिचौली" (चर्चा अंक 4493)

 सादर अभिवादन

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है

(शीर्षक और भुमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)

बादल राजा 
अब तो बरसो
धरती की अब प्यास बुझाओ
******

"बादल राजा का ये कैसा कार्यकाल 

कहीं बाढ़ तो कहीं सुखा अकाल"

इन्द्र देव से प्रार्थना है कि-कुछ तो न्याय करें

खैर, उनसे क्या शिकवा करना करनी हमारी है तो भुगतना भी हमें ही पड़ेगा।

चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर...

*********

अकविता 

"बादलों कीआँख-मिचौली" 

सावन का महीना 
बादलों की 
आँख-मिचौली 
और 
पानी नदारत है

 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

खेतों में 

उड़ रही है धूल 

चमन में 

मुरझा रहे हैं फूल 

क्या आने वाली 

कयामत है

********* 

स्वर्ण विहग के घाव  

पैरों में थीं बेड़ियाँ,फैला था संताप। 

स्वर्ण विहग के घाव को,दूर करे थे आप।। 

करूँ समर्पित आपको, खंडकाव्य यह आज। 

अमिट अमर बलिदान की, रखे हृदय में छाप।। 

वीर सपूतों को शत-शत 

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तुम रणछोड़ निकले

जीवन भार सा हुआ जाता तुम्हें न पाकर यहाँ किया क्या है मैंने मुझे बताया तो  होता | कोई  समाधान निकलता मन ही मन जलने कुढ़ने से क्या हल निकलेगा **********

मूक मन चंचल......

मूक मन चंचल मचलकर

माँगता ऐसे खिलौने

चाहिए बस चाँद तुझको

तारकों के ये दिठौने।

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इक ख्वाब परेशाँ करता हैपल्लवी गोयल

इक ख्वाब परेशाँ करता है 

सच हो जाता तो 

क्या अच्छा होता। 

दिल के हुए 

हज़ार टुकडे 

********

चश्मिश होने मे भी कोई खराबी नही है
अंशुमाला

खैर चार पंडितो को कुंडली दिखाकर कुल छः पंडितो ने मुहर्त निकाला तो  जा कर हमारे चश्मा का गृह प्रवेश हुआ |   दूकान  में जा कर हमने साफ़ कहा जो सबसे सस्ता हैं वो दिखाओ | रीडिंग चश्मा हैं उसे नाक पर पहनना हैं  तो महंगा ले कर क्या फायदा | छः सौ रुपये का  पहला ही चश्मा हमें दाम देखते पसंद आ गया | 

*******

झूठ बोले बिना काम नहीं बनता बाबू!

बचपन से ही हमें सच बोलने की सीख दी जाती है। झूठ बोलना पाप है, सदा सच बोलो जैसे उपदेश रोज़ सुनाए जाते रहे हैं। माता-पिता और हमारे गुरुजन का हमेशा से ये मानना रहा है कि एक अच्छे इंसान की पहचान ही यही है कि वो सदा सच बोलता है। ये सीख आज भी उसी तरह दी जा रही है बिना इस बात की परवाह किए कि आज ज़माना कितना बदल गया है।

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साहित्य विमर्श प्रकाशन रचनाएँ आमंत्रित करता है
हॉरर और फंतासी हिंदी की ऐसी विधाएं रही हैं जिन पर कम ही काम होता दिखता है। साहित्य विमर्श प्रकाशन में हमारा मकसद पाठको के समक्ष हर तरह का साहित्य लाना रहा है। 

इसी क्रम में साहित्य विमर्श प्रकाशन  उपन्यासिका संकलन के लिए हॉरर और फंतासी विधा की रचनाएँ आमंत्रित करता है।  रचना भेजने के नियम इस प्रकार हैं: 
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दोहे-आलेख "उत्तराखण्ड का पर्व हरेला" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उत्तराखण्ड में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला को ही अधिक महत्व दिया जाता है! क्योंकि श्रावण मास शंकर भगवान जी को विशेष प्रिय है। यह तो सर्वविदित ही है कि उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और पहाड़ों पर ही भगवान शंकर का वास माना जाता है।
*************चलते चलते शास्त्री सर की रचना से कुछ अनमोल और ग्रहण करने योग्य पंक्तियां  वृक्षारोपण को करो, पर्व हरेला आज।
हरितक्रान्ति से कीजिए, उन्नत देश समाज।।
--
तीज-हरेला दे रहे, हमको ये सन्देश।
हरियाली का देश में, बना रहे परिवेश।।
******
आज का सफर यहीं तक, अब आज्ञा दें।आपका दिन मंगलमय हो।कामिनी सिन्हा 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी दो पोस्टों के लिंक को चर्चा मंच में लगाने के लिए
    आपका बहुत-बहुत आभार कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सार्थक और सन्तुलित चर्चा प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  4. सार्थक चर्चा। मेरी पोस्ट को चर्चा अंक में स्थान देने हेतु आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार सखी सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर-सार्थक और संतुलित चर्चा के लिए आदरणीय कामिनी जी को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें। हरेला के बारे में जानकर बहुत खुशी हुई। 16 जुलाई 2022 को मेरी बेटी के स्कूल से मैसेज आया कि 17 जुलाई 2022 शनिवार को हरेला के उपलक्ष्य में स्कूल बंद रहेगा। मैसेज पढ़कर पहला सवाल यही उठा कि हरेला कौनसा त्योहार है? फिर लगा कि सावन शुरु हो गया। हो सकता है हरियाली को लेकर ही कोई त्योहार हो! अब आदरणीय शास्त्री जी को पढ़कर हरेला के बारे सही जानकारी पाकर ख़ुशी हुई। इसके लिए शास्त्री जी का बहुत-बहुत आभार।सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत शुभकामनायें। मेरी पोस्ट को चर्चा का हिस्सा बनाने के लिए आदरणीय कामिनी जी का बहुत- बहुत आभार।सादर धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. सराहनीय सूत्रों से सजी चर्चा प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहद सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार 🙏

    जवाब देंहटाएं

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