मित्रों! स्नेहिल अभिवादन।
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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दोहे "गणनायक भगवान की महिमा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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उधारी से काम चले, फिर काम कौन करे।
छक-छक माल खूब, दूसरो के खाइये।।
सबसे बड़ा है पैसा, आज के इस युग में।
काम धाम छोड़कर, अर्थ गुण गाइये।।
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भ्रम
स्वर्ण मृग था कहीं नहीं, भ्रम में भटके राम।
जो भी नर भ्रम में पड़ा, बिगड़ा उसका काम।।
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ट्विन-टावर प्रकरण: भ्रष्टाचार की बहती धारा में स्नान करने वालों को सजा कौन और कब देगा?
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कैराना फिर अपराधियों के घेरे में
! कौशल ! शालिनी कौशिक
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नोट: उफ्फ़... डर का मंज़र मेरा दूसरा प्रकाशित साझा संकलन है। संग्रह में मेरी कहानी 'डेडलाइन' को भी स्थान दिया गया है जिसके लिए मैं शोपीजन और संपादक मन मोहन भाटिया का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।
उफ्फ़ डर का मंजर मन मोहन भाटिया द्वारा संपादित 15 कहानियों का संग्रह है जो कि शोपीजेन द्वारा प्रकाशित किया गया है। इस संग्रह में बारह लेखकों की निम्न कहानियों को संकलित किया गया है:
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आम जनता को केजरीवाल से जरूर सतर्क रहना चाहिए! दिल्ली की नयी शराब नीति में हुए कथित घोटाले को लेकर केंद्र की बीजेपी और दिल्ली में सत्तारूढ़ आमआदमी पार्टी के बीच आजकल तलवारें खिंची हुई हैं। बीजेपी का आरोप है कि भ्रष्टाचार को खत्म करने का वादा कर सत्ता में आई 'आप' आज स्वयं ही भ्रष्टाचार में लिप्त है। इसके जवाब में 'आप' ने आरोप लगाया है कि बीजेपी, आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता से डर गयी है। दोनों ही दल एक दूसरे पर जो भी आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं वे सब पब्लिक डोमेन में है लिहाजा उन आरोपों-प्रत्यारोपों पर चर्चा करने की बजाय मैं आम आदमी पार्टी के एक आरोप पर बात करूंगा जिस पर शायद उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है जितना दिया जाना चाहिए था।
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भ्र्ष्टाचार की मीनारें "नौ सेकिंड में ढह गईं -भ्रष्टाचार की मीनारें।" ट्विन टावर के पलकझपकते ही उड़ाए जाने के बाद एक टीवी चैनल कुछ इसी जोश और रौ में ज़मींदोज़ होते नोएडा के ट्विन टावर का आँखों देखा हाल बयाँ कर रहा था। बेशक हमारे वक्त की ये एक बड़ी हैरतअंगेज़ घटना है विज्ञान और मानवकौशल का हासिल है लेकिन मीनारें भ्रष्टाचार की मेरे भइया यहां वहां दाएं बाएं हर तरफ हैं बिहार से बंगाल तक झारखंड से दिल्ली तक कहीं शराब कहीं रेलवे में नौकरी के बदले लेंड घोटाला ,कहीं शिक्षक भर्ती में हेराफेरी कहीं पशु-तस्करी मीनारें ही मीनारें हैं हालिया भ्र्ष्टाचार की ही नहीं , ये सिलसिला तो आज़ादी के बाद से ही ज़ारी है।
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डिजिटल समय में बौद्धिक संपदा का कॉपीराइट जब भी जीवन में कुछ नया आता है, उसके साथ बहुत सारी सुविधाएं हमें मिलने लग जाती हैं। लेकिन बहुत बार हमारा ध्यान इस तरफ नहीं जाता है कि नया अपने साथ कुछ चुनौतियां, कुछ उलझनें भी लेकर आता है। अब यही बात देखें कि हाल के बरसों में हम डिजिटल सामग्री के कितने अभ्यस्त हो गए हैं। कभी हम संगीत सुनने के लिए रिकॉर्ड्स खरीदते थे, फिर कैसेट्स, सीडी और पेन ड्राइव तक जा पहुंचे और अब ये सब बासी हो चुके हैं। अपना मनचाहा सब कुछ हमें इनके कौर ही सुलभ है
- डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल (शिक्षाविद और साहित्यकार)
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मेरी आवाज़ सीमा सचदेव
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लोग कहते हैं ,
हवेलियां मजबूत होती हैं ,
एक पीढ़ी उसको बनाती है
तो
दूसरी पीढ़ी उसको सजाती है ।
ये मैंने भी देखा है ,
साथ ही देखा है -
बड़ी बड़ी हवेलियों को दरकते हुए ,
hindigen रेखा श्रीवास्तव
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मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ. पूनम बंसल के गीत-संग्रह 'चाॅंद लगे कुछ खोया-खोया' की राजीव प्रखर द्वारा की गई समीक्षा.... अनुभूतियों से वार्तालाप करती कृति - 'चाॅंद लगे कुछ खोया खोया'
डिप्टी गंज, मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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फर्जीवाड़ा करने पर लगा प्रतिबंध एनडीटीवी को बचाने के काम आ पाएगा ?
हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Trpathi
फर्जीवाड़ा करने वालों को पकड़ना बहुत कठिन है, यह बात हम सब जानते हैं और इससे भी कमाल की बात यह है कि, फर्जीवाड़ा करने वाले पकड़े जाने पर होने वाली कार्रवाई को भी अपने पक्ष में इस्तेमाल कर लेते हैं। इसका ताजा उदाहरण तब सामने आया, जब पता चला कि, राधिका रॉय, प्रणय रॉय के नाम से बनी कंपनी RRPR Holdings को अडानी मीडिया समूह ने खरीद लिया है। जह समाचार चौंकाने वाला था क्योंकि अडानी मीडिया समूह ऐसे कैसे RRPR Holdings को खरीद सकता है।
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कैसे थक कर हार जाऊँ
उम्मीदों से बँधा
मन्नतों के धागों से लिपटा
वटवृक्ष हूँ मैं…!!
ताना बाना उषा किरण
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आज के लिए बस इतना ही...!
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