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रविवार, अगस्त 28, 2022

"साथ नहीं है कुछ भी जाना"(चर्चा अंक 4535)

 सादर अभिवादन

रविवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है

(शीर्षक और भुमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)

धन संचय की होड़ लगी है,
साथ नहीं है कुछ भी जाना।
जीवन के इस कालचक्र में,
लगा रहेगा आना-जाना।।
*****
साथ कुछ भी नहीं जाना
ये तो सब जानते हैं
पर मानते नहीं
और ज्यादा और ज्यादा के होड़ में लगे रहते हैं
शास्त्री सर की इस प्रेरक शब्दों पर मंथन करते हुए चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर...
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गीत "साथ नहीं है कुछ भी जाना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

दिन दूनी औ रात चौगुनी,
बढ़ती जातीं अभिलाषाएँ।
देश-काल के साथ बदलतीं,
पाप-पुण्य की परिभाषाएँ।
धन संचय की होड़ लगी है,
साथ नहीं है कुछ भी जाना।
जीवन के इस कालचक्र में,
लगा रहेगा आना-जाना।।

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वीर शहीदों के नाम

त्याग दिया हर सुख जीवन का

मृत्यू को भी गले लगाया,

कैसे धुर दीवाने थे वे 

शुभ देश प्रेम को अपनाया !


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छिपा रूस्तम

इतने बुजुर्ग को मिल जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। आश्चर्य की बात है इनके साथ आये सभी युवा इनके गाँव के हैं। इनमें से कोई बुजुर्ग के घर का अपना नहीं है।" परिचारिका ने कहा।

थोड़ी देर में बुजुर्ग के घर से लोग आ गए।

"यह दस हजार रुपया रख लीजिए, पुलिस को सूचना नहीं दीजिएगा..," बुजुर्ग के घर से आये युवक ने कहा।

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सत्य का होता दमन


ज्ञान के भी नेत्र फूटे

        पाप सिर चढ़ बोलता

       नीतियां सब ताक ऊपर

        कौन किसको तोलता

      स्वार्थ जिससे पूर्ण हो बस

         ये करें उसको नमन

         घुल गया..............।।

*******



बैरी बदरवा

गोइंड़े ठाढ़े बदरऊ न बरसैं ।
हमरी अटरिया पे झाँकि दिखावें
हमहीं बुनियाँ को तरसें ॥
गोइंड़े ठाढ़े बदरऊ न बरसैं ॥

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पगड़ीघर में मेहमानों की आवाजाही बढ़ गई है। कार्यक्रम की रूपरेखा बन रही है कौन जाएगा कैसे जाएगा क्या करना है कैसे करना है जैसी चर्चाएं जोरों पर हैं । चाचा ससुर उनके बेटे देवर दोनों बेटे दामाद सभी समूह में बैठकर जोरदार तरीके से शानदार कार्यक्रम की योजना बनाते और फिर एक एक से अकेले अलग-अलग खर्च पानी की चिंता में दूसरे के दिये सुझाव की खिल्ली उड़ा कर उसे खारिज करते। समूह में दमदारी से सब करेंगे अच्छे से करेंगे के दावे खुद की जेब में हाथ डालने के नाम पर फुस्स हो जाते*******


वो शाम उलझी हुई थी
ये रात बिखरी पड़ी है
मैं सुबह को समेटूँगा कैसे
सूरज रूका पड़ा है

उलाहने देता वो समंदर
कभी ना रुकती वो नदी
बस मैं ही ठहरा हूँ
हिमालय का साथी बनके

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राजनीति की लाइफलाइन है पाखंड

जैस अच्छी सेहत का राज अच्छे खान-पान और नियमित व्यायाम में छुपा है वैसे ही  नेताजी की सफलता का राज पाखंड सुबह-शाम में छुपा है। उनका आदर्श वाक्य ही यह है कि काम कम करो लेकिन पाखंड ज्यादा करो क्योंकि पाखंड ही वो 'देव' है जिसकी शरण में जाए बगैर न कोई नोटिस करता है और न ही कोई आमंत्रित करता है! 

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चलते-चलते आईए आपको मुम्बई लोकल ट्रेन के सफर पर ले चलते हैं

एक संस्मरण मेरी कलम से 


"मुंबई की लोकल ट्रेन"

तो हम कहना ये चाहते हैं कि -मुंबई महानगर की जीवन रेखा "मुंबई की लोकल ट्रेन" ये सिर्फ एक सवारी गाड़ी नहीं है जो यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक किफायती सफर कराती है बल्कि ये पटरियों पर दौड़ता हुआ एक शहर है। जिसमे सफर करना और सहयात्रियों के साथ निभाना भी एक कला है। यदि आप इस कला से वाकिफ नहीं है तो आपके लिए सफर दुस्कर ही नहीं होगा बल्कि एक दुःस्वप्न साबित होगा। 

 एक दिन मैंने भी किया था इस "मुंबई लोकल ट्रेन" में ऐसा सफर जो भुलाये नहीं भूलती।  

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*******आज का सफर यहीं तक, अब आज्ञा देआप का दिन मंगलमय होकामिनी सिन्हा 















9 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक और सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. साथ नहीं है कुछ भी जाना
    –अगर साथ कुछ जाने वाला होता तो दुनिया की क्या रंगत होती

    हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए सहृदय धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर, सार्थक और सामयिक चर्चा प्रस्तुति। मुझे भी इस चर्चा में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. धन संचय की होड़ लगी है,
    साथ नहीं है कुछ भी जाना।
    जीवन के इस कालचक्र में,
    लगा रहेगा आना-जाना।।
    यथार्थ पर चोट करती आदरणीय शास्त्री जी की रचना से सजी सुंदर भूमिका और सार्थक रचनाओं से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक प्रिय कामिनी जी । आभार आपका ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभात! सराहनीय रचनाओं के लिंक्स सुझाती बेहतरीन चर्चा!!

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं पढ़ी। बहुत ही सुन्दर सार्थक विविध भावों से सज्जित रचनाएं,सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार सखी सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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